Babulal Marandi Latest News – बाबूलाल मरांडी झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री है. वो अटल बिहारी सरकार में दो बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. मरांडी एक साधारण घर परिवार से आते हैं. झारखंड में यदि आज बीजेपी की इतनी पकड़ हैं तो इसके कर्णधार बाबूलाल मरांडी जैसे नेता रहे हैं. बाबूलाल मरांडी उन नेताओ में आते हैं जो जमीन से जुड़े होते हैं. शुरूआती जीवन में मरांडी एक स्कूल शिक्षक हुआ करते थे पर बाद में उनकी गिनती न केवल प्रदेश बल्कि देश के बड़े नेताओ में होने लगी. बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के साथ ही सादगी भरा जीवन बिताने वाला व्यक्तित्व भी रहे हैं. बाबूलाल मरांडी के जैसे सादगी से भरा जीवन बिताने वाले नेता देश में कम ही देखने को मिलते हैं. इस लेख में हम आपको भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की जीवनी (Babulal Marandi Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
बाबूलाल मरांडी की जीवनी (Babulal Marandi Biography in Hindi)
पूरा नाम | बाबूलाल मरांडी |
उम्र | 66 साल |
जन्म तारीख | 11 जनवरी 1958 |
जन्म स्थान | झारखंड |
शिक्षा | भूगोल में एमए |
कॉलेज | रांची विश्वविद्यालय |
वर्तमान पद | झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, व्यापार |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पिता का नाम | छोटे लाल मरांडी |
माता का नाम | मीना मुर्मू |
पत्नी का नाम | शांति देवी |
बच्चे | 2 बच्चे |
बेटें का नाम | – |
बेटी का नाम | – |
स्थाई पता | रांची |
वर्तमान पता | रांची |
फोन नंबर | – |
ईमेल | – |
बाबूलाल मरांडी का जन्म और परिवार (Babulal Marandi Birth & Family)
बाबूलाल मरांडी का जन्म 11 जनवरी 1958 को बिहार (अब झारखंड) के गिरिडीह जिले के तीसरी ब्लॉक के कोदाय बांक नामक गांव में हुआ था. बाबूलाल मरांडी संथाल परिवार से आते है. उनके पिता का नाम छोटे लाल मरांडी था और उनकी माँ का नाम मीना मुर्मू था.
बाबूलाल मरांडी की शादी 1989 में शांति देवी के साथ हुई जिनसे इनको एक बेटा हुआ जिसका नाम अनूप मरांडी था. 27 अक्टूबर 2007 को अनूप मरांडी की झारखंड के गिरिडीह जिले के एक दूर के क्षेत्र में नक्सली हमले में मौत हो गई थी. बाबूलाल मरांडी हिन्दू धर्म से आते है.
बाबूलाल मरांडी की शिक्षा (Babulal Marandi Education)
स्थानीय स्कूल से हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के बाद बाबूलाल मरांडी गिरिडीह कॉलेज चले गए जहाँ से उन्होंने इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन किया. यहीं पर वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए.
इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन की पढाई के बाद मरांडी रांची चले गए और रांची विश्वविद्यालय से ही भूगोल में स्नातकोत्तर (एम ए) किया.
बाबूलाल मरांडी का शुरूआती जीवन (Babulal Marandi Early Life)
बाबूलाल मरांडी का प्रारंभिक जीवन शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा रहा हैं. जीवन के शुरूआती दिनों में वो एक शिक्षक हुआ करते थे. इंटरमीडिएट की पढाई करते हुए वो गिरिडीह जिले के स्थानीय संघ कार्यकर्ताओ के सम्पर्क में आये और फिर वो यही से संघ से जुड़ गए. बाद में जब वो एमए की पढाई के लिए रांची गए तो वो प्रदेश स्तर के संघ कार्यकर्ताओ से जुड़े और उनकी दिशा यही से बदलती चली गई.
वर्ष 1983 में वह दुमका के संथाल परगना डिवीजन में भी काम किया था. इससे पहले वो गांव के एक स्कूल में टीचर का काम किया. बाद के वर्षो में वो पूर्णकालिक सदस्य बन गए और अपने करियर को इसी दिशा में मोड़ दिया. अस्सी के अंतिम दशक तक बाबूलाल मरांडी आर एस एस और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़कर प्रदेश में उनके प्रचारक बन गए थे. संघ और विश्व हिन्दू परिषद ने उन्हें दुमका के साथ साथ पुरे संथाल परगना क्षेत्र का दायित्व दे दिया था.
तीस वर्ष की आयु होते होते वह आदिवासियों को जगाने का बीड़ा उठाने वाला नेता के रूप में विख्यात हो चुके थे. वो आदिवासियों में हिंदुत्व की ज्योति जगाते हुए उन्हें अपने धर्म संस्कृति से अवगत करा रहे थे. इन दिनों वह दुमका में ही रहा करते थे.
धीरे धीरे उनका कद बढ़ने लगा और बाद में उन्हें झारखंड क्षेत्र का विश्व हिन्दू परिषद का संगठन सचिव बना दिया गया था. अब वह रांची और दिल्ली का दौरा करने लग गए थे.
उनकी यही लगन उन्हें आगे चलकर राज्य का बड़ा नेता बनाने में काम आया. कहते हैं उनकी मेहनत और समर्पण से भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य जैसे बड़े नेता कैलाशपति मिश्र के निकटतम बन गए. उस समय राम जन्म भूमि आंदोलन प्रदेश समेत पुरे देश में जोर शोर से चल रहा था और उसी समय भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी रथ यात्रा कर रहे थे. बाद में उन्हें समस्तीपुर, बिहार में लालू सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था. इन्ही दिनों बाबूलाल मरांडी प्रत्यक्ष राजनीति में कदम रख दिया था.
बाबूलाल मरांडी का राजनीतिक करियर (Babulal Marandi Political Career)
बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक यात्रा वर्ष नब्बे के दशक से शुरू हुई. उस समय झारखंड क्षेत्र में बिहार को बटबारे को लेकर राजनीति गर्म थी. दक्षिण बिहार के अधिकांश नेता इसी को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे थे, वे समय समय पर कई प्रकार से आंदोलन भी कर रहे थे. उसी बीच देश में मध्यवती चुनाव की घोषण हो गई और पहली बार बाबूलाल मरांडी 1991 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट चुनाव से लड़ा. उस चुनाव में उनका मुकाबला जनजातीय नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन से था. उस समय शिबू सोरेन की स्थानीय जनता में प्रदेश के विभाजन को लेकर जबरदस्त पकड़ थी और दूसरी ओर राज्य में बीजेपी की कोई पकड़ नहीं थी. परिणाम यह हुआ कि बाबूलाल मरांडी की हार हो गई. बाबूलाल मरांडी की इस चुनाव में हार तो जरूर हो गई थी पर वो सवा लाख वोट लाने में सफल रहे थे. इससे साबित हो गया था आने वाले समय में उनकी जीत तय हैं.
1996 में जब लोक सभा चुनाव हुआ तब भारतीय जनता पार्टी ने बाबूलाल मरांडी को दुमका लोक सभा सीट से प्रत्याशी बनाया. एक बार फिर से मरांडी का मुकाबला शिबू सोरेन से था और इस बार मात्र 5,000 मतों से वह शिबू सोरेन से हार गए. इसके बाद भाजपा ने 1998 में बाबूलाल मरांडी को (अविभाजित बिहार) राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. अब मरांडी प्रदेश के शीर्ष नेता बन चुके थे. तब तक बिहार का बटबारा नहीं हुआ था और बिहार के विधानसभा चुनाव में झारखंड क्षेत्र में यह सबसे बड़े मुद्दों में से एक था. यह चुनाव भाजपा ने बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में लड़ा और परिणाम उम्मीद से भी ज्यादा अच्छे निकले. बाद में जब लोक सभा चुनाव हुए तब इस चुनाव में झारखंड क्षेत्र की 14 में से अकेले 12 सीटों पर कमल खिले. इस चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने दुमका लोकसभा क्षेत्र से जेएमएम के शीर्ष नेता शिबू सोरेन को पहली बार पराजित किया था. पार्टी को ऐसी जीत दिलाने के लिए बाबूलाल मरांडी की पहचान अब राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष निताओ में होने लग गई थी. जब देश में अटल बिहारी के नेतृव में एनडीए की सरकार बनी तब बाबूलाल मरांडी की मेहनत और कद को देखते हुए उन्हें अटल बिहारी मंत्री मंडल में स्थान मिला और उन्हें वन और पर्यावरण मंत्री बनाया गया पर अटल बिहारी की सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल पायी. बाद में फिर जब 1999 का लोकसभा चुनाव हुआ तब भाजपा ने एक बार फिर से दुमका से बाबूलाल मरांडी को अपना प्रत्याशी बनाया. इस बार उनका सामना जेएमएम शीर्ष नेता शिबू सोरने की पत्नी रूपी किस्कू से था पर बाबूलाल मरांडी ने जेएमएम उम्मीदवार रूपी को पराजित कर दिया और एक बार फिर से सांसद बनकर दिल्ली पहुंच गए. जब अटल बिहारी की एनडीए की सरकार बनी तो बाबूलाल मरांडी को फिर से वही वन और पर्यावरण मंत्रालय मंत्री पद मिला.
अटल बिहारी ने चुनाव में झारखंड में जाकर वादा किया था कि जब उनकी सरकार बनेगी तो वो बिहार का बटबारा करके झारखंड को एक अलग राज्य बनायेगे. अब जब केंद्र में अटल बिहारी की सरकार बन गई थी तब वादा निभाते हुए तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने बिहार का बटबारा करके झारखंड को अलग राज्य घोषित कर दिया और 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य अस्तित्व में आ गया. झारखंड राज्य बनने के बाद एनडीए की सरकार की सरकार बनी और बहुलाल मरांडी को झारखंड राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया. इस तरह बाबूलाल मरांडी इतिहास रचने में सफल रहे और झारखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बनने का ऐतिहासिक गौरव अपने नाम कर लिया.
बाबूलाल मरांडी की संपत्ति (Babulal Marandi Net Worth)
2024 में चुनाव के समय उनके द्वारा घोषित संपत्ति लगभग 1.11 करोड़ है.
इस लेख में हमने आपको झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की जीवनी (Babulal Marandi Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.
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