पहाड़ों में सियासी दिग्गजों की रस्साकशी, धामी के लिए चुनाव बना चुनौती, तो रावत का बड़ा सियासी दांव

देवभूमि में गर्माई सियासत! युवा धामी के लिए चुनाौती बना चुनाव, पहाड़ी और गैर पहाड़ी वोटर्स पर धामी का फोकस, छठ की छुट्टी दे खेला सियासी दांव तो रावत ने 'विजय शंखनाद' रैली में खोला मोदी शाह के खिलाफ बड़ा मोर्चा, बोले- आपदा के दौरान आते हैं लेकिन एक पैसा नहीं देते

पहाड़ों में सियासी दिग्गजों की रस्साकशी
पहाड़ों में सियासी दिग्गजों की रस्साकशी

Politalks.News/Uttarakhand. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर ली है. सभी दल ये अच्छे से जानते हैं कि प्रदेश की सत्ता की चाबी पहाड़ी आबादी के पास है. लेकिन जो गैर पहाड़ी समुदाय है, वो भी चुनाव में अपनी अच्छी खासी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में सभी दल इन क्षेत्रों पर अपनी नजर गड़ाए बैठे हैं. वहीं बीजेपी के नजरिये से देखने तो 2022 विधानसभा चुनाव के लिए खटीमा सीट हॉट सीट बन चुकी है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इसी सीट से विधायक हैं. ऐसे में सीएम धामी अपने विधानसभा क्षेत्र के वोटरों को लुभाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे. तो वहीं कांग्रेस ने भी सत्ता में वापसी के लिए कमर कस ली है. कांग्रेस ने हल्द्वानी में विजय शंखनाद रैली के ज़रिये चुनावी बिगुल फूंक दिया है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों दल अपनी अपनी जमीन मजबूत करने पर जुटे हैं.

आगामी चुनाव में अगर बीजेपी की बात करें तो उनके लिए प्रदेश में एक के बाद एक मुख्यमंत्री चेहरों में किया गया बदलाव टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए पार्टी का सत्ता में वापसी करवाना बहुत ही मुश्किल होगा. लेकिन फिर भी सीएम धामी अलग ही रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं. गुरूवार को अपने विधानसभा क्षेत्र पहुंचे सीएम धामी ने क्षेत्रवासियों से चर्चा की. गैर पर्वतीय मतदाताओं की संख्या के लिहाज से देखने तो खटीमा काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है. क्योंकि इनमें पूर्वांचल समाज के मतदाताओं का बड़ा तबका अहम रोल निभाता है.

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ऐसे में खटीमा के मतदाताओं को रिझाने के लिए सीएम धामी ने छठ पूजा पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा तो की ही. साथ ही उन्होंने न केवल पूर्वांचल समाज के छठ महोत्सव में शिरकत की बल्कि पूर्वांचलियों के गढ़ माने जाने वाले बंडिया, नौसर, मेलाघाट, बाइसपुल सहित 7 क्षेत्रों में लोगों से सीधी मुलाकात भी की. इसके अलावा, धामी ने पूर्वांचल समाज के एक बड़े तबके को छठ पूजा के लिए 4 बीघा जमीन की घोषणा भी की. कुल मिलाकर धामी इस महत्वपूर्ण गैर पहाड़ी समुदाय को रिझा गए. वहीं एक बार फिर धामी ने गैर भाजपाई मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की तारीफ कर दी.

खटीमा पहुंचे पुष्कर सिंह धामी ने एक सभा के दौरान कहा कि ‘भले ही एनडी तिवारी की राजनीतिक विचारधारा अलग रही, लेकिन उन्होंने तिवारी से बहुत कुछ सीखा’. धामी ने कहा कि,’विकास पुरुष रहे तिवारी को कांग्रेस ने हमेशा नज़रअंदाज़ किया लेकिन भाजपा उन्हें सम्मान देती है इसलिए पंतनगर में सिडकुल उनके नाम से घोषित किया गया’. पॉलिटॉक्स यह पहले ही बता चुका है कि किस तरह आगामी विधानसभा चुनाव फ़तेह करने के लिए कांग्रेस-बीजेपी के मन में एनडी तिवारी के लिए प्रेम जाग गया है.

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तो वहीं कांग्रेस ने भी हल्द्वानी में चुनावी बिगुल फूंका. हल्द्वानी के रामलीला मैदान में हुई विजय शंखनाद रैली में उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम बड़े नेता नज़र आए. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस द्वारा विजय शंखनाद रैली का आयोजन सही समय पर किया है. अगले कुछ दिनों में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक बड़ी रैली करने वाले हैं. कांग्रेस ने अपनी इस रैली के साथ 2017 में खुद से दूर हो चुके दलित वोटरों को दोबारा पाने की भरसक कोशिश की है. अगर कांग्रेस की रणनीति की बात करें तो पार्टी सवर्ण, दलित और मुस्लिम कॉम्बिनेशन को मिलाकर विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज करने की तैयारियों में जुटी हुई है.

अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात की जाये तो कांग्रेस ने 2017 विधानसभा चुनाव कुमाऊं की पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस ने अपना चुनावी शंखनाद कुमाऊं से किया है. वहीं कुमाऊं में हुई चुनावी रैली के दौरान सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीजेपी को जमकर आड़े हाथ लिया और साथ ही यह एलान भी कि, ‘ये विजय शंखनाद रैली बीजेपी के ताबूत में अंतिम कील साबित होगी’. रावत ने आगे कहा कि,’सरकार महंगाई नियंत्रित करने में नाकाम है तो स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है और बेरोज़गार युवा सरकार पलटने के लिए तैयार खड़े हैं. मोदी शाह पर निशाना साधते हुए हरीश रावत ने कहा कि ‘पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह आपदा के बाद प्रदेश का दौरा करते हैं, लेकिन उत्तराखंड को राहत के नाम पर एक पैसा नहीं देते.’ रावत ने कहा कि जिस डबल इंजन की बात करके 2017 में बीजेपी सत्ता में आई थी, वो नारा अब पूरी तरह फेल हो गया है.

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