तबादला विवाद में वायरल ‘सियासी चिट्ठी’ से गर्माई सियासत, BJP बोली- आचार संहिता में ये क्या हो रहा है…

तबादला विवाद और सियासत तेज, वायरल लैटर के बाद बयानबाजी, बीजेपी के दिग्गजों ने सरकार को घेरा, रफीक मंडेलिया ने चूरू में ट्रांसफर में राठौड़ के चलने की लिखी बात इस पर भड़के राठौड़ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, प्रदेश की राजनीतिक परंपराओं का दिया हवाला, गज्जू बना ने पूछा क्या ये नहीं है शिक्षकों का अपमान? कटारिया ने तो आचार संहिता में निर्वाचन आयोग से रोक की मांग के साथ पूछा- ये क्या कर रही है गहलोत सरकार

तबादला विवाद के बीच वायरल 'सियासी चिट्ठी' से गर्माई सियासत
तबादला विवाद के बीच वायरल 'सियासी चिट्ठी' से गर्माई सियासत

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश की सियासत तबादलों को लेकर गर्मा गई. एक वायरल लैटर के बाद लेटरबाजी और बयानबाजी का दौर शुरु हो गया. चूरू से कांग्रेस नेता रफीक मंडेलिया का डोटासरा को लिखा वायरल होने के बाद बीजेपी के दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ हमलावर हो गए हैं. रफीक मंडेलिया ने पीसीसी चीफ डोटासरा को शिकायत की है कि चूरू जिले के तबादलों में राजेंद्र राठौड़ चल रही है. कांग्रेस सरकार में बीजेपी नेता के समर्थकों को तरजीह मिल रही है. मंडेलिया के इस लैटर को लेकर राजेन्द्र राठौड़ और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सरकार को घेरा है. वहीं नेता प्रतिपक्ष ने पंचायती चुनाव की आचार संहिता के बीच जारी तबादलों के दौर को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर ट्रांसफरों पर रोक लगाने की मांग की है.

रफीक मंडेलिया का ‘सियासी शिकायती लैटर’ वायरल!
चूरू से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रफीक मंडेलिया का एक लैटर वायरल हो रहा है. डोटासरा को लिखे इस पत्र को लेकर सियासी चर्चाओं का दौर जारी है. इस डोटासरा को लिखे शिकायती पत्र में लिखा है कि, ‘माननीय मेरे विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र चूरू के वरिष्ठ अध्यापकों की विषयवार संलग्न सूची के अनुसार स्थानान्तरण हेतु अभिषेशा की जा रही है. संलग्न सूची में भाजपा समर्थित और राजेन्द्र राठौड उपनेता प्रतिपक्ष के समर्थक भी हैं. भाजपा समर्थित कर्मचारियों को जिले से अन्यत्र स्थानान्तरण और कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ताओं के निजी रिश्तेदारों को चूरू विधानसभा क्षेत्र में स्थानान्तरण करने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. आपसे निवेदन है कि वरिष्ठ अध्यापकों की विषयवार संलगन सूची के अनुसार स्थानान्तरण कर मुझे अनुग्रहित और चूरू विधानसभा में कांग्रेस को मजबूत करने में सहयोग प्रदान करे’. रफीक मंडेलिया के इस लैटर के वायरल होने के बाद प्रदेश में तबादलों को लेकर सियासत तेज हो गई है.

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राठौड़ भड़के, राजनीतिक सुचिता का दिया हवाला
रफीक मंडेलिया के वायरल लैटर आने के बाद चूरू से दिग्गज और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भड़क गए हैं. राजेन्द्र राठौड़ ने इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लैटर लिख दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे लैटर में राठौड़ ने लिखा है कि, राज्य कर्मचारियों को राजनीतिक विचारधारा के आधार पर बांटने की संस्कृति राजस्थान में कभी नहीं रही है और न ही रिश्तेदारी के आधार पर अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर किये जाने का किसी नियम और कानून में प्रावधान है. पिछले ढाई साल में रफीक मंडेलिया द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों में भय बनाने के लिए विभिन्न विभागों के मंत्रियों को लगातार ट्रांसफर की अभिशंषा कर प्रताड़ित और ए.पी.ओ. किये जाने के कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है.
राठौड़ ने सियासी प्रतिद्वंदी मंडेलिया पर कसे तंज
राजेन्द्र राठौड़ ने तंज कसते हुए लिखा है कि, ‘रफीक मंडेलिया की यह प्रवृति न केवल उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है. मंडेलिया के इस कदम से अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य क्षमता में कमी और मनोबल को तोड़ने का काम भी कर रही है. मंडेलिया और उनका परिवार लगातार 4 चुनाव अपनी इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण से हार चुके हैं. चूरू जिले में राज्य कर्मचारियों को भाजपा और मेरे समर्थित मानते हुए स्थानान्तरण की प्रताड़ना देना आपकी सरकार द्वारा दिये गये सुशासन के नारे को कुलषित करने का कार्य किया है.

अतः आपसे आग्रह है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र चूरू सहित राज्य में राजनीतिक विचारधारा रखने और प्रतिपक्ष के विधायकों के समर्थक, रिश्तेदार समर्थकों के नाम राजकीय अधिकारियों/ कर्मचारियों के स्थानान्तरण में पारदर्शिता रखते हुए इस प्रकार की अभिशंषाओं पर रोक लगाते हुए ऐसी पुनरावृति भविष्य न हो ये आप सुनिश्चित करवाएं. राठौड़ ने मुख्यमंत्री से इस मामले को संज्ञान में लेने की मांग की है.

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शेखावत का गहलोत सरकार पर हमला
इसी मसले पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने हमला करते हुए कहा है कि, ‘राजस्थान में कांग्रेस का ये हाल है कि उसे अपना मनोबल बढ़ाने के लिए रिश्तेदारों के ट्रांसफर की जरूरत पड़ने लगी है. चूरू विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी ने इस आशय का पत्र बाकायदा राज्य के शिक्षामंत्री के नाम लिखा है. वरिष्ठ अध्यापकों की सूची में कौन किसका रिश्तेदार है, यह तक खोज लिया है. अब शिक्षामंत्री बताएं कि क्या राजस्थान में रिश्तेदारी देखकर राज्य और देश का भविष्य गढ़ने वाले अध्यापकों से राजनीति की जाती है? क्या यह शिक्षकों का अपमान नहीं है?
कटारिया ने आचार संहिता में तबादलों पर उठाए सवाल
इधर, प्रदेश में पंचायत राज चुनावों का बिगुल बज चुका है. पहले चरण के लिए नामांकन भी भरे जा चुके हैं. चुनाव की वजह से प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में आदर्श आचार-संहिता लगी हुई है. यानि ना कोई तबादले किए जा सकते हैं और ना ही किसी तरह के लोकार्पण व शिलान्यास. मगर राजस्थान सरकार ने कई जिलों में कार्मिकों के तबादले कर दिए, जिसे लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा है. नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने पत्र में लिखा है कि, ‘जयपुर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, सिरोही, दौसा और जोधपुर में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लगी हुई है. इन 6 जिलों में स्थानांतरण एवं पदस्थापन पर पूर्ण प्रतिबन्ध है. इसके बावजूद आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है. इन जिलों में बड़ी संख्या में स्थानांतरण/पदस्थापन आदेश जारी किए जा रहे हैं.’

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‘आचार संहिता को दिखाया ठेंगा, ट्रांसफर प्रक्रिया रोकने की मांग’- कटारिया
गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि, ‘संयुक्त शिक्षा निदेशक स्कूल शिक्षा जयपुर ने 372 द्वितीय वेतन श्रृंखला के अध्यापकों के स्थानांतरण किए हैं. निदेशक माध्यमिक शिक्षा में विभिन्न पदों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के स्थानांतरण, निदेशक संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा इन जिलों में स्थानांतरण आदेश जारी किए गए हैं. इसके अलावा जलदाय विभाग ने इंजीनियर्स व कर्मचारियों, चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा अधिकारियों के स्थानांतरण आदेश जारी किए हैं. कई अन्य विभागों में भी स्थानांतरण आदेश जारी कर आचार संहिता को ठेंगा बताया जा रहा है’. उन्होंने निर्वाचन अधिकारी से तुरंत प्रभाव से स्थानांतरण आदेशों को निरस्त करने की मांग की है.

तबादलों को लेकर प्रदेश में राजनीति गर्मा गई है. संभवत् ये पहला मामला है जब किसी नेता का तबादलों को लेकर ऐसा लैटर वायरल हुआ है. अभी तक इसको लेकर मंडेलिया की ओर से कोई सफाई नहीं आई है. लेकिन ये तय है कि इस मामले को लेकर बीजेपी गहलोत सरकार और खासकर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को जमकर घेरेगी. वैसे भी राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र 9 सितंबर से शुरू होने वाला है. सदन में भी इसको लेकर सवाल उठने तय हैं.

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