Politalks.News/Rajasthan/Assam. राजस्थान में एक बार फिर सियासी बाड़ाबंदी की गई है. इस बार असम के कांग्रेस गठबंधन के विधायक उम्मीदवारों को जयपुर लाया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीसरे कार्यकाल में जयपुर पॉलिटिकल टूरिज्म का हब और कांग्रेस के लिए सेफ जोन बनकर उभरा है. इससे इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस आलाकमान जयपुर को बाड़ाबंदी के लिए अभेद दुर्ग मानता है और जब-जब जरुरत पड़ी कांग्रेस को बाड़ाबंदी की तो दिल्ली आलाकमान को सीएम अशोक गहलोत याद आते हैं.
आपको बता दें, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान कांग्रेस के विधायकों के बाद अब असम कांग्रेस गठबंधन के विधायक प्रत्याशी जयपुर की मेहमानवाजी का लुत्फ उठा रहे हैं. खुद आलाकमान और कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन करने वाली अन्य पार्टियां भी अपने सिपहसालारों के लिए जयपुर को सबसे मुफीद जगह मानती है. अब तो आलम यह है कि विपक्षी पार्टियों के दिग्गज भी सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस का जेलर कह रहे हैं. आपको बता दें, असम विधानसभा चुनाव के बाद होर्स ट्रेडिंग के डर से कांग्रेस गठबंधन के विधायक उम्मीदवारों को जयपुर में दिल्ली रोड स्थित फेयरमोंट होटल में रुकवाया गया है. चुनाव परिणाम घोषित होने तक ये विधायक यहीं रुकेंगे.
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महाराष्ट्र के विधायकों की बाड़ाबंदी
आपको बता दें, साल 2019 के नवंबर माह में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए जयपुर में बाड़ाबंदी की गई थी. महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को दिल्ली रोड स्थित होटल ब्यूना विस्ता रिसोर्ट में ठहराया गया था और बहुमत साबित होने तक विधायक जयपुर में ही रुके थे. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों की बाड़ाबंदी की कमान संभाली थी.
मध्यप्रदेश के सियासी संकट के दौरान
फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विश्वासपात्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान भी मध्यप्रदेश कांग्रेस के विधायकों की जयपुर में बाड़ाबंदी की गई थी. इन विधायकों को भी होटल ब्यूना विस्ता और शिव विलास में शिफ्ट किया गया था. तकरीबन 15 दिनों तक मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों ने जयपुर की मेहमाननवाजी का लुत्फ उठाया था. लेकिन फिर भी कमलनाथ विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे और सरकार गिर गई थी.
गुजरात राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के विधायकों बाड़ाबंदी
इसी तरह बीते साल फरवरी 2020 में राज्यसभा चुनाव के चलते गुजरात कांग्रेस के विधायकों को भी जयपुर के शिव विलास रिसोर्ट में रुकवाया गया था, और कुछ विधायकों को ग्रीन टी हाउस में ठहराया गया था. इस दौरान इन विधायकों ने जयपुर दर्शन का लुत्फ भी उठाया था.
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राजस्थान कांग्रेस के विधायकों की दो बार बाड़ाबंदी
इन सबके अलावा खुद राजस्थान के कांग्रेस विधायकों और समर्थित विधायकों की भी जयपुर में ही 2 बार बाड़ाबंदी करनी पड़ी है. जून 2020 में राज्यसभा चुनाव में खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते
कांग्रेस के विधायकों की जयपुर में शिव विलास और एक अन्य लग्जरी रिसोर्ट में बाड़ाबंदी की गई थी. इस बाड़ाबंदी में पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कई अन्य नेता भी शामिल थे.
गहलोत सरकार के सियासी संकट के समय बाड़ाबंदी
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कैंप के बगावत करने के बाद भी कांग्रेस और गहलोत समर्थित विधायकों की जयपुर में होटल फेयरमाउंट में बाड़ाबंदी की गई थी. तकरीबन 35 दिनों तक पूरी गहलोत सरकार और सम्बंधित दिग्गज बाड़ाबंदी में ही रहे थे. इस दौरान सचिन पायलट द्वारा आलाकमान को अपनी शिकायत नोट करवाने के बाद अपने समर्थकों के साथ की गई वापसी से ही सरकार बच गई थी.
अब असम के कांग्रेस गठबंधन के नेताओं की बाड़ाबंदी हुई शुरू
हाल ही में चार चरणों में सम्पन्न हुए असम विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस गठबंधन के लगभग 22 प्रत्याशियों की जयपुर के होटल फेयरमाउंट में बाड़ाबंदी की गई है. जानकारों की मानें तो अभी कांग्रेस सहित असम व अन्य राज्यों के विधायक प्रत्याशियों को भी जयपुर लाए जाने की संभावना है. असम में प्रत्याशियों की खरीद-फरोख्त ना हो इससे बचने के लिए परिणाम के लगभग 22 दिन पहले ही कांग्रेस ने यहां बाड़ाबंदी का दांव खेला है.
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सीएम गहलोत हैं कांग्रेस के जेलर
जयपुर में हुई बाड़ाबंदी को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सीएम अशोक गहलोत पर करारा हमला करते हुए ट्वीट में लिखा है कि ‘अशोक गहलोत जी कांग्रेस के बाड़ेबंदी एक्सपर्ट मुख्यमंत्री बन चुके हैं, असम में अभी नतीजे आए नहीं हैं और कांग्रेस को हार का भूत डराने लगा है, असम के अपने और सहयोगी दल के प्रत्याशियों को राजस्थान लाकर पार्टी ने एक बार फिर बाड़ेबंदी का सहारा लिया है.’ एक अन्य ट्वीट में गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लिखा है कि, ‘वैसे मुख्यमंत्री जी का मुख्य काम यही है, फाइव स्टार सेवाओं का बाड़ा बनाकर अपने ही नेताओं को कैद करना, इस बार तो दूसरी पार्टी के नेताओं को भी बंदी बना लिया गया है, गहलोत जी को कांग्रेस का जेलर कहना ही सही होगा.’