ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने की अटकलों ने पकड़ा जोर, पहले मुख्यमंत्री बाद में प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाए जाने से बढ़ी नाराजगी

आजकल देश में रातों-रात बड़े-बड़े तख्त बदल जाते हैं, महाराष्ट्र की घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, तो ऐसे में रातों-रात सिंधिया बीजेपी से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन जाएं तो शायद कोई बड़े आश्चर्य वाली बात नहीं होगी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र के सियासी घमासान के बीच मध्यप्रदेश के राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Scindia Jyotiraditya) के कांग्रेस पार्टी छोड़ने और बीजेपी में जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. दरअसल, सिंधिया ने अपने ट्वीटर हैंडल पर अपना स्टेटस बदलते हुए कांग्रेस सहित अपने सभी पूर्व पदों का नाम हटाकर खुद को एक लोकसेवक और क्रिकेट प्रेमी बताया है.

विधानसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए सिंधिया (Scindia Jyotiraditya) और कमलनाथ के बीच चली लम्बी खींचतान के बीच तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कमलनाथ को मुख्यमंत्री घोषित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. इसके ठीक बाद सिंधिया की पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात ने चर्चाओं का बाजार गरमा दिया था. हाल ही में हुई ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद सिंधिया के अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस का नाम हटाने से एक बार फिर उनके बीजेपी में जाने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है. हालांकि सिंधिया ने ऐसी किसी सम्भावना को साफ नकार दिया है.

यह भी पढ़ें: बीजेपी और महाराष्ट्र के राज्यपाल से सुरजेवाला ने पूछे ये 10 सवाल जो देश की आम जनता के मन में भी हैं शायद

अपने ट्विटर हैंडल स्टेटस में कांग्रेस का नाम नहीं होने पर सिंधिया (Scindia Jyotiraditya) ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “मैंने एक महीने पहले यह बदलाव किया था, लोगों की सलाह पर मैंने अपना बायो छोटा कर दिया. इसे लेकर उड़ रहीं अफवाहें आधारहीन हैं.” सिंधिया ने भले ही स्पष्टीकरण दे दिया हो लेकिन पिछले कुछ महीनों से चल रहे तमाम घटनाक्रमों के चलते कयास लगाए जाने लगे कि कांग्रेस से नाराज सिंधिया बीजेपी जॉइन कर सकते हैं.

बता दें, महाराज के नाम से प्रसिद्ध ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश का कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनाए पर उनके समर्थक, कार्यकर्ता और यहां तक कि कुछ मंत्री भी अपनी गहरी नाराजगी जता चुके हैं. मध्य प्रदेश में भारी बारिश के दौरान चंबल इलाके में आई बाढ़ के बाद वे लगातार गांव-गांव जाकर लोगों से मिले थे और प्रदेश सरकार से उन्हें जल्द राहत देने की बात कही थी. अक्टूबर में सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 4 पत्र लिखे थे, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद और प्रदेश की सड़कों की हालिया हालत पर काम करने की बात कही थी. वहीं नवंबर महीने में भी सिंधिया ने कमलनाथ को पत्र लिखते हुए दतिया के लोगों की समस्याओं के बारे में बताया था, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री द्वारा इन पत्रों का कोई जबाव नहीं दिया गया. बताया जा रहा है कि कमलनाथ सरकार द्वारा सिंधिया के पत्रों को तवज्जो नहीं देने से सिंधिया में जबरदस्त नाराजगी है, जिससे उन्होंने आलाकमान को भी अवगत करवाया है.

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में सिंधिया की मुख्यमंत्री के लिए प्रबल दावेदारी के बावजूद कमलनाथ को सीएम बनाए जाने के ठीक बाद शिवराज सिंह से सिंधिया की मुलाकात की खबर सामने आई थी. हाल ही में कुछ दिनों पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी. हालांकि मुलाकात के बाद सिंधिया की तरफ से कहा गया कि मध्यप्रदेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों के सन्दर्भ में बातचीत करने गए थे. बता दें, केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के मसले पर भी सिंधिया खुल कर वह केन्‍द्र सरकार के साथ नजर आये थे.

यह भी पढ़ेंराजनीति में फिर से साबित हुआ ‘मोदी है तो मुमकिन है’, रातों-रात बनी महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार

जानकारों की मानें तो मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार बनने के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया (Scindia Jyotiraditya) नाराज चल रहे हैं. मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को सामने रख चुनाव लड़ा गया था. लेकिन चुनाव में जैसे ही कांग्रेस को बहुमत मिला, कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनवा दिया. यहां तक कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कमलनाथ को ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी बनाया हुआ है. अगस्त-सिंतबर में एक बार ज्योतिरादित्य सिंधिया के अध्यक्ष बनने की अटकलें भी चलीं, दिल्ली में उनकी कांग्रेस अध्यक्ष सोेनिया गांधी से मुलाकात भी हई. उस समय चर्चा थी कि सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की ओर एक बार फिर से प्रदेश कांग्रेस का फैसला टाल दिया गया.

ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि सिंधिया और कांग्रेस पार्टी के बीच कुछ तो ऐसा है जो गलत है वरना ऐसे ही कोई पार्टी का नाम अपने स्टेटस से नहीं हटाता है. और वैसे भी आजकल देश में रातों-रात बड़े-बड़े तख्त बदल जाते हैं, महाराष्ट्र की घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, तो ऐसे में प्रदेश में बहुमत के किनारे पर खड़ी कांग्रेस के साथ भी ऐसा हो जाए कि रातों-रात ज्योतिरादित्य सिंधिया (Scindia Jyotiraditya) बीजेपी से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन जाएं तो शायद कोई बड़े आश्चर्य वाली बात नहीं होगी.

Leave a Reply