महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बाद भी बनाई जा सकती है सरकार, शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के साथ बीजेपी भी जुटी प्रयासों में

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भले ही लागू हो गया हो लेकिन विधानसभा को सिर्फ निलंबित रखा गया है, ऐसे में कोई भी पार्टी अगर पूर्ण बहुमत का दावा पेश करे तो उसको सरकार बनाने का मौका दिया जा सकता है

Government in Maharashtra
Government in Maharashtra

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र (Government in Maharashtra) में पिछले 15 दिनों सभी ज्यादा समय से चल रहे सियासी घमासान के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर राजनीतिक पार्टियां किसी भी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच सकीं. ऐसे में असमंजस की स्थिति को देखते हुए राज्यपाल और मोदी कैबिनेट ने सूबे में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वीकार करते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए.

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन भले ही लागू हो गया हो लेकिन राष्ट्रपति शासन के जरिए विधानसभा को सिर्फ सस्पेंड/निलंबित रखा गया है. इसका मतलब यह हुआ कि जब भी कोई पार्टी बहुमत का दावा कर राज्यपाल को पूरी लिस्ट सौंपेगी तो उसके बाद उसको सरकार बनाने का मौका दिया जा सकता है. इसी के मद्देनजर शिवसेना, एनसीपी-कांग्रेस के साथ-साथ अब बीजेपी भी सूबे में सरकार (Government in Maharashtra) बनाने के प्रयासों में जुट गई है.

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प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के बाद शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार (Government in Maharashtra) बनाने के लिये जरूरी समर्थन पत्र सौंपने के वास्ते तीन दिन का वक्त नहीं देने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन मामले में तत्काल सुनवाई करवा सकने का उसका प्रयास विफल रहा. ऐसे में शीर्ष अदालत बुधवार सुबह याचिका पर तत्काल सुनवाई कर सकती है.

राष्ट्रपति शासन की घोषणा के ठीक बाद कांग्रेस और एनसीपी के शीर्ष नेताओं की मुंबई में बैठक हुई. इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की गई. बैठक के बाद हुई एनसीपी-कांग्रेस की साझा प्रेस कांफ्रेंस में पवार ने कहा कि हमें सरकार बनाने की जल्दबाजी नहीं है, हम कांग्रेस के साथ बैठकर बात करेंगे और फिर फैसला लेंगे. वहीं कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि जिस तरह से राष्ट्रपति शासन लगाया गया, वह निंदनीय है. सरकार ने पिछले पांच साल में कई बार सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है. भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को राज्यपाल ने बहुमत साबित करने का मौका दिया लेकिन कांग्रेस को बहुमत साबित करने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया, हम इसकी निंदा करते है. अहमद पटेल ने यह भी कहा कि कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के बीच साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय हुए बगैर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा सकता.

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वहीं मुम्बई में हुई कांग्रेस-एनसीपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर सरकार बनाने का फार्मूला खोज लेंगे. इसके साथ ही, उद्धव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि जब कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर भाजपा सरकार बना सकती है, बिहार में नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बना सकती है और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, तो फिर हम कांग्रेस-एनसीपी का समर्थन लेकर सरकार (Government in Maharashtra) क्यों नहीं बना सकते? कांग्रेस और एनसीपी की तरह ही शिवसेना को भी न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है. उद्वव ने यह भी स्पष्ट किया कि शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से पहली बार सोमवार को संपर्क किया था. इससे बीजेपी का यह आरोप भी गलत साबित होता है कि शिवसेना चुनाव परिणाम के बाद से ही कांग्रेस और एनसीपी के संपर्क में थी.

कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के मीडिया से मुखातिब होने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे मीडिया के सामने आए और सबको चौंकाते हुए कहा कि हम राज्य में जल्द सरकार बनाएंगे और देवेंद्र फड़णवीस इस दिशा में जरूरी कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना के गठबंधन की कोशिश पर कहा कि कांग्रेस और एनसीपी दोनों ही पार्टियां शिवसेना को उल्लू बनाने की कोशिश कर रही हैं. राणे ने आगे कहा कि हम 145 विधायकों का आंकड़ा जुटाने की कोशिश करेंगे, जिसको जिसके साथ जाना है जाए, सरकार बनाने के लिए जो करना होगा हम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक नई बीजेपी सरकार बनने के लिए जो भी जरूरी होगा करूंगा लेकिन मैं इस पर चर्चा नहीं करूंगा.’’ राणे ने कहा कि शिवसेना सरकार गठन में अभी तक असफल रही है और इसके बावजूद दावा किया. मैं नहीं मानता कि शिवसेना कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ जाएगी.

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वहीं महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी उम्मीद जताई कि राज्य में जल्द ही एक स्थिर सरकार बनेगी. उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘एक स्पष्ट जनादेश के बावजूद सरकार नहीं बन पायी और राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उम्मीद करता हूं कि राज्य को जल्द ही स्थिर सरकार मिलेगी.’’

गौरतलब है कि महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चूनावों में बीजेपी के 105, शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक जीत कर आये हैं. शिवसेना शरद पवार की पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार (Government in Maharashtra) बनाना चाहती है लेकिन कांग्रेस विचारधारा की वजह से असमंजस में है.

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