महाराष्ट्र में आखिर लगा ‘राष्ट्रपति शासन’ गृह मंत्रालय ने कहा – सरकार गठन के लिए 15 दिन काफी

न्याय प्रक्रिया में दिख रहा बड़ा झोल, राज्यपाल की सिफारिश पर तय समय सीमा से तीन घंटे पहले लगा राष्ट्रपति शासन, सुरजेवाला का तंज - संविधान का बनाया मजाक

President rule in Maharashtra
President rule in Maharashtra

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में आखिरकार राष्ट्रपति शासन (President rule in Maharashtra) लग ही गया. मंगलवार दोपहर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मोदी कैबिनेट को राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की जिस पर कैबिनेट ने सहमति जताते हुए राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर करते ही शाम 5:30 बजे से अगले 6 महीनों के लिए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. गौर करने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र में तय समय सीमा से तीन घंटे पहले ही राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. जबकि एनसीपी के लिए सरकार का दावा पेश करने की तय समय सीमा रात 8:30 बजे तक की थी. इसी के साथ पॉलिटॉक्स की दो नवंबर को प्रकाशित उस खबर पर भी मुहर लग गयी जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र में या तो भाजपा की सरकार बनेगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर राष्ट्रपति शासन ही लगेगा.

इस संबंध में गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘महाराष्ट्र में कोई भी पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश करने में असफल रही. इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचा. सरकार गठन में 15 दिन काफी होते हैं’. वहीं राज्यपाल, केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के बेहद जल्दी में लिए किए गए इस फैसले पर (President rule in Maharashtra) कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तंज कसा. उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट पोस्ट करते हुए भाजपा की केंद्र सरकार और राज्यपाल पर लोकतंत्र की निंदा करने और संवैधानिक प्रक्रिया का मखौल उड़ाने का आरोप लगाया.

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इससे पहले राज्यपाल ने कल शाम एनसीपी को तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश करने का आमंत्रण दिया. साथ ही एनसीपी को मंगलवार रात 8:30 बजे तक शपथ पत्र देने की डेडलाइन भी दी. एनसीपी ने सुबह 11:30 बजे राज्यपाल को पत्र लिखकर अतिरिक्त 48 घंटे देने का समय मांगा. एनसीपी के पत्र के आधार पर गर्वनर कोश्यारी ने वक्त से पहले ही केंद्र को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी. इस मामले में शिवसेना ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और राज्यपाल के इस फैसले को चुनौती दी है जिसकी सुनवाई बुधवार को की जाएगी.

राज्यपाल कोश्यारी ने इससे पहले शनिवार शाम भाजपा को और उसके बाद रविवार रात शिवसेना को भी सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया था. भाजपा ने बहुमत न होने के चलते मना कर दिया. वहीं शिवसेना ने 48 घंटे का समय मांगा जिसे राज्यपाल ने नामंजूर कर दिया. (President rule in Maharashtra) ऐसे में भाजपा को दावा पेश करने के लिए 48 घंटे देने और शिवसेना एवं एनसीपी को 24-24 घंटे देने पर भी शिवसेना नाराजगी दिखाते हुए इसी बिनाह पर अदालत में याचिका दायर की है. वहीं प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े गठबंधन में शामिल कांग्रेस को आमंत्रित न किए जाने पर भी जमकर बवाल हो रहा है. कांग्रेस नेताओं ने इस बारे में अपनी नाराजगी जताई है.

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वहीं महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन (President rule in Maharashtra) लगने के बाद भी सियासी हलचल अभी तक शांत नहीं हुई हैं. एक ओर फडणवीस के आवास पर भाजपा कौर कमेटी की बैठक हो रही है. वहीं कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल, अहमद पटेल और मल्लिकार्जुन खडगे मुंबई पहुंचे. यहां उन्होंने पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. खबर लिखे जाने तक उक्त तीनों नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार अपनी शर्तें साझा कर रहे हैं, जिसके तहत एनसीपी चाहती है को कांग्रेस सरकार में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री का पद ले वहीं एनसीपी शिवसेना के साथ ढाई ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद साझा करना चाहती है. कांग्रेस और एनसीपी एक राय होकर फिर शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे से मिलेंगे और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर फैसला लेंगे. साथ ही सरकार और मंत्रीमंडल गठन पर भी चर्चा हो सकती है. आगामी रणनीति की रूपरेखा बनाना भी तय है. 13 नवंबर को अदालत में होेने वाली सुनवाई और संभावित फैसले पर भी नजरें रहेंगी.

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