राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को कृषि और पशुपालन विभाग की अनुदान मांगों पर हुई बहस, इस दौरान भारतीय ट्राइबल पार्टी के डूंगरपुर से विधायक राजकुमार रोत ने सरकार से रखी ऐसी चोरी की जांच कि मांग, जिस पर विधानसभा में बैठा हर कोई विधायक हंसने लगा, रोत ने कहा कि पशुपालन विभाग की कई योजनाएं चलती हैं ट्रस्ट और एनजीओ के माध्यम से, यही एनजीओ सरकार की योजना पहुंचाते हैं किसानों तक, लेकिन मैंने 4 साल का आंकड़ा निकाला तो सिरोही नस्ल के बकरे जो एनजीओ के जरिए पशुपालकों को देने का किया गया था प्रावधान, वो सिरोही किस्म के बकरे साल 19-20 से लेकर अब तक डूंगरपुर के आधा दर्जन गांव में कहने को तो पशुपालकों को दिए गए, लेकिन हकीकत ये है कि ये बकरे किसी राजनेता की पार्टी की चढ़ गए हैं बलि, यह बकरे पशुपालकों को नहीं मिले बल्कि पहुंच गए प्रभुत्व वाले लोगों तक,’ रोत ने सरकार से इस मामले में जांच की मांग करते हुए कहा कि जांच होनी चाहिए कि आज दुनिया में वे बकरे हैं या किसी पार्टी के राजनेता की पार्टी की चढ़ गए बलि, वे कौन सी पार्टी के नेता हैं जिनके पार्टी का हिस्सा बन चुके हैं वे बकरे, इस पर हंसने लगे विधानसभा में बैठे सभी विधायक, इस पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने खड़े होकर कहा कि मुझे पता है कि आप भी गए थे उस पार्टी में,’ इसके साथ ही बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने यह भी कहा कि जब वह कंपटीशन एग्जाम की करते थे तैयारी, उस समय यह कहा जाता था कि डूंगरपुर राजस्थान का वह पहला जिला है जो जैविक जिला है, लेकिन यह जैविक जिला बनकर रह गया केवल कागजों में, इसे बचाने के लिए सरकार की नहीं है कोई योजना, आज हालात यह है कि डूंगरपुर में डीएपी और यूरिया का जमकर हो रहा है इस्तेमाल, जबकि हम आदिवासी डीएपी और यूरिया का नहीं चाहते इस्तेमाल