नड्डा पर दिए गहलोत के बयान की पूनियां ने कड़ी निंदा, कहा- गहलोत अपना मनमाफिक प्रदेशाध्यक्ष तो बनवा नहीं सके, बात बीजेपी की करते हैं

राजनीति में पुत्र की हार बड़ा सदमा होता है गहलोत उससे उबर नहीं पा रहे हैं, कांग्रेस ने कितने नेताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का मौका दिया, राहुल गांधी को पहले राजनीति की पाठशाला में स्वयं को परिपक्व करना चाहिए

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हाल ही में निर्वाचित हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मीडिया में दिये गये बयान की “जेपी नड्डा अध्यक्ष बने या कोई और हमें फर्क नहीं पडता है” पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है. सतीश पूनियां ने कहा कि, “मुख्यमंत्री गहलोत इस तरह की टीका टिप्पणी करने से पहले अपनी पार्टी के हालात सुधारने में ध्यान लगाएं. गहलोत एक परिपक्व और अनुभवी राजनेता हैं, लेकिन इन दिनों सरकार और पार्टी के भीतर जो घट रहा है, उसके कारण उनके बयानों में बौखलाहट और असुरक्षा साफ देखी जा सकती है. राजनीति में पुत्र की हार बड़ा सदमा होता है, सीएम गहलोत उससे उबर नहीं पा रहे हैं.”

सतीश पूनियां ने आगे कहा कि सीएम गहलोत अपने द्वारा कही गई प्रमाणित बातों से मुकर रहे हैं. इन दिनों पाक विस्थापितों के मुद्दे पर उनका तुष्टिकरण ताज्जुब की बात है. मीडिया को धमका रहे है कि “विज्ञापन चाहिए तो खबरें दिखानी पडेंगी.” पूनियां ने सीएम गहलोत द्वारा पूर्व में उनके लिए दिये गये बयान पूनियां नए-नए मुल्ला हैं जोर जोर से बांग दे रहे हैं का जिक्र करते हुए कहा कि, “मुझे निराशा हुई जब उन्होंने मेरे बारे में ऐसा कहा, जबकि मैं राजस्थान के सभी दलों के नेताओं के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता का भाव रखता हूँ. गहलोत के इस बयान ने मुझे आहत किया. गहलोत के बयान और आचरण उनके व्यक्तित्व से मेल नहीं खाते हैं. लेकिन उनको लगता होगा कि ऐसा करने से ही दिल्ली दरबार ख़ुश होगा और उनकी कुर्सी सलामत रहेगी. बीजेपी के नव-निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष पर गहलोत द्वारा दिया गया बयान बेहद अपरिपक्वता का परिचायक है, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद उनका यह कहना कि “माथुर …..क्या नाम है उनका ….ओम माथुर उनको बनाया जाना चाहिए था राष्ट्रीय अध्यक्ष, इस तरह का बयान उनको शोभा नहीं देता”.

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सतीश पूनियां यहीं नहीं रुके, उन्होंने सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि ना तो उनकी सरकार ढंग से चल रही है ना ही उनकी पार्टी. मुख्यमंत्री गहलोत व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच वाक युद्ध और सत्ता का शीत युद्ध जग जाहिर है. राजनीति में दिलचस्पी रखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि राजस्थान में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और इससे प्रदेश की जनता बदहाल हो रही है. प्रदेश में हर तरफ असुरक्षा और अराजकता का माहौल है. सीएम गहलोत के सियासत का एक तरीका यह है कि बयानों से लोगों का ध्यान उलझाए रखो, परन्तु इस बार ऐसा नहीं होगा. प्रदेश के पाक विस्थापित भी अपना कानूनी हक लेकर रहेंगे और प्रदेश की बाकी जनता को भी उनका हक मिलेगा. इसके साथ ही पूनियां ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी और निर्दलियों की बैसाखी से सरकार की संख्या का जुगाड़ तो पूरा हो गया, लेकिन इस बार आपने जन मानस के समक्ष नैतिक साहस और समर्थन खो दिया है.

पूनियां ने आगे कहा कि भाजपा कैडर बेस पार्टी है, जिसमें सभी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी मिलती रहती है. भाजपा में सभी पार्टी सदस्यों को सम्मान दिया जाता है और साधारण से साधारण कार्यकर्ता भी पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष व अनेक महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच सकता है. वहीं कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए पूनियां ने कहा कि कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के अलावा कोई दूसरा परिवार, व्यक्ति कांग्रेस का नेतृत्व नहीं कर सकता. सीएम गहलोत शायद कांग्रेस के इस परिवारवाद से ग्रस्त हैं. पूनियां ने सीएम गहलोत से सवाल करते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों में कांग्रेस ने कितने नेताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का मौका दिया है, जबकि भाजपा में पिछले 20 वर्षों मे 10 राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. मुख्यमंत्री गहलोत प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व तो अपने मनमाफिक तय नहीं कर सके और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बारे में अनर्गल बयान दे रहे हैं.

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इसके साथ ही पूनियां ने राहुल गांधी की 28 जनवरी को हाने वाली रैली पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी कितनी ही रैलियां कर लें, पहले उन्हें राजनीति की पाठशाला में स्वयं को परिपक्व करना चाहिए. केन्द्र सरकार पर तथ्यहीन आरोप लगाकर वे लोकप्रिय होना चाहते हैं, किन्तु जनता उन्हें वैचारिक रूप से नकार रही हैं. वहीं पूनियां ने राहुल गांधी से सवाल करते हुए कहा कि वो देश की जिन समस्याओं की बात अक्सर किया करते हैं, जब उनकी पार्टी ने ही 50 वर्षोें तक देश पर शासन किया तो उन समस्याओं का समाधान क्यों नहीं किया. कांग्रेस पार्टी के पहले चुनावी घोषणा पत्र से लेकर अंतिम घोषणा पत्र तक ये गरीबी मिटाओं, बेरोजगारी खत्म करो जैसे नारे लगाते रही लेकिन वास्तविकता में इन्होंने इस क्षेत्र में कोई कार्य किया ही नहीं.

गौरतलब है कि मंगलवार को जेपी नड्डा के भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि “जेपी नड्डा जी बनें या कोई और बने हमें कोई मतलब नहीं, हमें तो मतलब है तो माथुर से मतलब है जो हमारे राजस्थान के हैं ओम माथुर, ओम माथुर जो खुद प्रभारी रहे हैं गुजरात के, उनका भी हक बनता था. उनको जिस तरह बाहर फेंक दिया गया है, वे राजस्थान के हैं इसलिए हमें चिंता हो सकती है वरना तो वो जानें उनका काम जाने.” सतीश पूनियां ने सीएम गहलोत के इसी बयान की कड़ी निंदा करते हुए बुधवार को उक्त बयान दिया.