Ashok Gehlot on PM Modi and Modi Government: हाल ही में भरतपुर, राजस्थान के दो मुस्लिम युवकों को हरियाणा में जिंदा जलाने के मामले में प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. इस मामले में बड़ा बयान देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मैं चाहता हूं कि मुलजिम पकड़े जाने चाहिए. यह मार्मिक घटना है, इसकी जितनी निंदा की जाए उतना कम है. सीएम गहलोत ने कहा कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नाम से काम करने वाले यह लफंडर टाइप के लोग हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 4 साल पहले इस तरह के लोगों को एंटीसोशल एलिमेंट कहा था, अगर प्रधानमंत्री बार-बार यह बात बोलते तो शायद आज यह नौबत ही नहीं आती. वहीं इस मामले में राजस्थान पुलिस पर लगे आरोपों पर सीएम गहलोत ने कहा कि कानून अपना काम करे, उन्होंने (हरियाणा) ने कोई एफआईआर दर्ज की है तो जांच के बाद क्लोज भी हो जाएगी. बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को सचिवालय में अधिकारियों की बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे.
इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने हालिया बयान को दोहराते हुए कहा कि मैंने कहा है कि जनता कांग्रेस सरकार रिपीट करवाए, व्यक्ति तो बदलते रहते हैं. सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार बदलने का नुकसान यह होता है कि सरकार बदलते ही भाजपा हमारी योजनाओं को बंद कर देती है. जिससे लाखों लोगों को मिल रहा फायदा बंद हो जाता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने चाहे ईआरसीपी हो या वसुंधरा राजे के समय में जो अन्य लोगों से जुड़ी योजनाएं रही, उन्हें बंद नहीं किया, लेकिन भाजपा हमारी जनता से जुड़ी योजनाओं को बंद कर देती है. ऐसे में सीएम गहलोत ने जनता से अपील करते हुए कहा कि इस बार सरकार रिपीट कराएं, ताकि जो योजनाएं लागू की गई हैं. वह बंद नहीं हो. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने दावा किया कि इस बार जो बजट घोषणा उन्होंने की हैं, वह कई राज्य सरकारें अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेंगी. गहलोत ने कहा कि इस बार मुझे सरकार रिपीट करानी है और एक प्रथम सेवक के तौर पर मैंने जो शानदार योजनाएं दी है, यह पहले कभी नहीं आईं.
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अपनी बजट घोषणाओं पर बोलते हुए सीएम गहलोत ने आगे कहा कि बजट बनाना अलग बात होती है और उसे लागू करना अलग. हमारी पिछली बजट घोषणाओं का भी 95 फीसदी के आसपास का क्रियान्वयन हो चुका है. इस बार हमने पहली बार बजट के बारे में पहले ही प्रचार किया. जिससे लोगों ने उसी समय सुना भी, की उनके लिए सरकार की ओर से कौनसी घोषणाएं हुई है. इस दौरान सीएम गहलोत ने साफ संकेत दिए हैं कि इस बार सरकार ने जो आम जनता के लिए घोषणा की है, उन्हें लागू करने में यह ध्यान रखा जाएगा कि जिस व्यक्ति के लिए लाभ दिया गया है. उसी को वह लाभ मिले ना कि कोई उसे बेवकूफ बनाकर उसकी योजनाओं के लाभ उठा ले.
आगे मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि महंगाई की मार बहुत ज्यादा है, ऐसे में हम कैंप लगाना चाहते हैं ताकि उसमें प्रशासन गांवों के संग अभियान के साथ ही जो भी योजनाएं पब्लिक के लिए घोषित की गई है. वह उसी परिवार को लाभान्वित करें, जिसके लिए वह घोषित की गई है. सीएम गहलोत ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अगर सरकार मोबाइल या 500 में गैस सिलेंडर किसी को देती है, तो वह उसी व्यक्ति के काम आए जिसके नाम पर वो जारी हुई है, न कि कोई गुमराह कर उसे खरीद ले. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं कि वह योजना बनाकर रिपोर्ट दें.
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आपको बता दें कि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा था कि राज्य सरकार अगर उनके हिस्से का 2500 करोड़ जमा नहीं करवाएगी, तो राज्य सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 16 फीसदी कर दी जाएगी. इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अब चुनाव आ रहे हैं तो भाजपा के लोग ऐसी बात कर रहे हैं, अन्यथा उनको तो इस बात का जवाब देना चाहिए था कि रिफाइनरी 5 साल लेट क्यों हुई? आधिकारिक रूप से वह बताते कि प्रोजेक्ट 40,000 करोड़ की जगह हमारी गलती से 70,000 करोड़ का हुआ. सीएम गहलोत ने कहा कि हो सकता है कि वह उसी का हिस्सा मांग रहे हो और क्योंकि इस मामले में कंपनी बनी हुई है तो हम यह पता कर लेंगे की केंद्र सरकार की क्या मांग है?
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वहीं इस दौरान बहुचर्चित सियासी मुद्दा बन चुके भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक कांड को एक राष्ट्रीय स्तर की बीमारी बताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान अन्य राज्यों की तरह इससे जूझ रहा है. लेकिन राजस्थान में कार्रवाई हो रही है और हम किसी भी हालत में पेपर माफियाओं को जेल के शिकंजे में डालकर छोड़ेंगे. वहीं ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लेकर सीएम गहलोत ने कहा कि यह योजना राजस्थान में लागू हो चुकी है और लोगों को इसका लाभ मिलना भी शुरू हो गया है. अगर केंद्र सरकार हमारे हिस्से का पैसा नहीं देगी तो हम सुप्रीम कोर्ट से अपना अधिकार लेकर रहेंगे. सीएम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केवल गफलत वाला जवाब दिया, जबकि अगर वह ओपीएस के विरोध में हैं तो उन्हें कहना चाहिए था कि वह ओपीएस लागू नहीं करना चाहती.