चुनाव आयोग और ईवीएम पर उठे सवालों के बीच दिल्ली में मतगणना कल

एग्जिट पोल 'आप' को तो बीजेपी अपने आपको बता रही दावेदार, आप ने जताई ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका, सबसे पहले ईवीएम का इस्तेमाल करने वाले नीदरलैंड में बैन लगा, अमेरिका में भी उठ रही है ईवीएम के खिलाफ आवाज

चुनाव आयोग और ईवीएम पर उठे सवाल
चुनाव आयोग और ईवीएम पर उठे सवाल

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. ईवीएम और डिजिटल इंडिया के दावों के बीच निकली यह तस्वीर बताती है कि दिल्ली विधानसभा के लिए हुए मतदान का कुल मतदान प्रतिशत बताने में चुनाव आयोग को 24 घंटे से अधिक का समय लग गया, वो भी तब जब देश का चुनाव आयोग आधुनिक संचार माध्यमों से पूरी तरह लेस है. शनिवार को शाम 6 बजे सम्पन्न हुए मतदान का वोटिंग प्रतिशत जब रविवार शाम तक भी घोषित नहीं हुआ तो शुरू हुआ राजनीतिक शोर-शराबा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए तो देर शाम को चुनाव आयोग को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मतदान का कुल प्रतिशत 62.59 बताना पड़ा.

इसके साथ ही दिल्ली में मतदान के बाद से ईवीएम को लेकर हुए कुछ ट्वीट्स के बाद कई तरह के सवाल भी खडे हुए हैं. दिल्ली की जनता के सुनाए फैसले के बाद अब नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है, मगर आम आदमी पार्टी को आशंका है कि कहीं ईवीएम के साथ छेड़छाड़ न हो जाए. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने एक वीडियो ट्वीट कर ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका जताई है. ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक भी की. दरअसल आम आदमी पार्टी को आशंका है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय भी आशंका जता रहे हैं कि ईवीएम में छोड़छाड़ की जा सकती है

यूं तो चुनाव के दौरान आरोप प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब आरोप चुनाव आयोग और ईवीएम से जुडा हो तो मसला गंभीर हो जाता है. यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया मेें नागरिकों के अधिकारों से जुडा मामला है. इसलिए यह राजनीतिक ही नहीं बल्कि कई अन्य मायनों में भी महत्वपूर्ण है. ईवीएम पर सवाल उठते रहे हैं, भारत में जब से ईवीएम का इस्तेमाल बढा है, चुनाव के नतीजोे पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसा नहीं है की इस तरह के सवाल केवल भारत जैसे विकासशील देश में ही उठ रहे हैं बल्कि दुनिया के कई विकसित देशों में ईवीएम पर न सिर्फ सवाल उठे बल्कि उन्हें बैन ही कर दिया गया.

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आपको बता दें कि नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश रहा है जहां ईवीएम से चुनाव कराए गए, लेकिन 2006 में यहां ईवीएम से चुनाव पर बैन लगा दिया गया. सन 2009 में जर्मनी जैसा विकसित देश भी इस बात का उदाहरण बन गया. यहां की सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम को असंवैधानिक बताकर इसके प्रयोग पर रोक लगा दी है. दुनिया के कई ऐसे विकसीत देश हैं जो आधुनिक टेक्नोलाॅजी के इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं, इन देशों में भी ईवीएम से चुनाव को बहुत अधिक सुरक्षित, सटीक और निष्पक्ष नहीं माना जा रहा है.

यही नहीं ईवीएम के उपयोग को लेेकर विश्व महाशक्ति अमेरिका में भी खासी चर्चा का दौर चल रहा है. भारत के बाद अब अमेरिका में भी ईवीएम का विरोध इस बात को पुख्ता कर देता है कि कुछ तो दुनिया में गलत हो रहा है. ईवीएम की सच्चाई या पारदर्शी होने के दावे भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली (चाहे वह तकनीक के मामले में हो या फिर शक्ति के मामले में हो) अमेरिका में गलत साबित हो रहे हैं. वैसे तो नई तकनीक का एक बारगी सभी जगह विरोध होता है लेकिन सिक्योरिटी और एक्यूरेसी को लेकर ईवीएम पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं.

अमेरिका जैसे विकसीत देश में ईवीएम के विरोध में चल रही चर्चा से एक बात तो साफ हो गई है, कि ईवीएम को लेकर सन्देह तो बना हुआ है. सवाल भी उठते रहे हैं कि यह पूर्ण सुरक्षित और पारदर्शी नहीं है और पूंजीपतियों द्वारा इसका गलत उपयोग किया जा रहा है. सवाल प्रभावशाली राजनीतिक दलों के द्वारा इसके उपयोग और फायदे से जुडे भी उठ रहे हैं. भारत में पिछले कई सालों से हो रहे चुनाव भी ऐसे ही विवादों और आरोपों से अछूते नहीं रहे हैं. ईवीएम को लेकर प्रदर्शन, धरने और निर्वाचन आयोग में शिकायतें होतीं रहीं हैं.

भारत विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अपना स्थान बना चुका है. ऐसे में भारत और उसके राज्यों के लिए और चिंता की बात हो जाती है, जब पूर्णतया विकसित और विश्व महाशक्ति अमेरिका में ईवीएम का विरोध हो रहा है जो पूर्ण विकसित देश है, जो सॉफ्टवेयर सुरक्षा के लिए जाना जाता है, जब वहीं सवाल उठ रहे हैं तो भारत तो ईवीएम के मामले में दूसरे देशों का केवल अनुसरण ही कर रहा है.

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अब यह बात साफ हो गई है कि भारत के अन्य राजनीतिक दल जो केंद्र की सत्ता में भागीदार नहीं है वह इस पल को पूरी तरह भुनाने की कोशिश करेंगे. गौरतलब है कि कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और अन्य सहयोगी दल जो काफी समय से ईवीएम के विरोधी हैं, पूरी ताकत से अपने स्वर को मुखर करेंगे तथा देश में फिर से मतदान में मतपत्र की प्रक्रिया को अपनाने की बात की मांग पुरजोर तरीके से करेंगे.

खैर, ईवीएम और चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवालों के बीच मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा होनी है. शनिवार को मतदान के बाद आए तमाम न्यूज़ चैनल्स के एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है. इसी बीच भाजपा ने दावा किया है कि वो पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है, अब इसकी तो कल यानी मंगलवार को आने वाले नतीजों के बाद ही सारी तस्वीर साफ हो पाएगी.

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