दिल्ली चुनाव में करारी हार के कारण तलाशती बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने स्वीकारी हार, गोलीमार नारेबाजी को बताया बड़ा कारण

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताई पार्टी में नई सोच और विचारधारा की जरूरत तो गौतम गंभीर ने सभी सातों सांसदों को बताया हार का जिम्मेदार, गिरिराज सिंह ने कहा- उत्साही कार्यकर्ता वोट डालने नहीं गए

दिल्ली चुनाव में
दिल्ली चुनाव में

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की करारी हार किसी से छिपी नहीं है. यहां एक बार फिर वन मैन आर्मी बनकर उभरे अरविंद केजरीवाल ने बड़े-बड़े दिग्गज़ राजनीतिज्ञ और स्टार प्रचारकों से भरी कांग्रेस और बीजेपी को ऐसी धूल चटाई कि वे पानी तक न मांग सके. हालात ये रहे कि 62 आप विधायकों के सामने बीजेपी के केवल 8 विधायक विपक्ष में बैठेंगे. वहीं कांग्रेस पिछली बार की जगह शून्य से उपर तक न उठ सकी. अब दोनों पार्टियों के नेता हार के कारणों का मंथन करने में लगे हुए हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अपनी हार स्वीकार कर दिल्ली चुनाव में हार के कुछ कारण गिनाए. वहीं कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस संबंध में अपने विचार रखे.

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक टीवी इंटरव्यू में दिल्ली चुनाव में अपनी हार स्वीकार करते हुए विवादित बयानों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि मैं विनम्रता से दिल्ली चुनाव में अपनी हार स्वीकार करता हूं. ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो …’ और ‘भारत-पाक मैच’ जैसे बयान नहीं होने चाहिए थे. इस तरह के बयानों के कारण पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. शाह ने ये भी कहा कि हम जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते विधानसभा में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगे.

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यूपीए सरकार में मंत्री रहे और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दिल्ली चुनाव में हार को निराशाजनक बताते हुए पार्टी में नई सोच, नई विचारधारा और नई कार्यप्रणाली की जरूरत बताई. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सिंधिया ने कांग्रेस के प्रदर्शन को निराशाजनक बताया. उन्होंने कहा कि देश बदल चुका है और आज इस परिप्रेक्ष्य में हमको भी अपनी सोच और विचारधारा के साथ मिलकर देश की जनता के सामने जाना होगा. अगर वो हमारा उद्देश्य है तो लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों में हमें जीत भी हासिल हुई है हमारे सहयोगी दलों के साथ, चाहे वो झारखंड हो या महाराष्ट्र हो, लेकिन दिल्ली का जो परिणाम है, वो बहुत निराशाजनक है… इसमे कोई दो राय नहीं है. नई सोच, नई विचारधारा और नई कार्यप्रणाली की कांग्रेस को सख्त जरूरत है.

बात करें बीजेपी के दिल्ली सांसद गौतम गंभीर की तो उन्होंने अपने साथ दिल्ली के सभी सातों सांसदों को इसका जिम्मेदार बताया. पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में गंभीर ने कहा कि मेरे साथ-साथ दिल्ली के छह अन्य सांसद भी हार के लिए जिम्मेदार हैं. हम अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते. हम दिल्ली को सक्षम बनाना चाहते हैं लेकिन अपने एजेंडे से जनता को भरोसा नहीं दिला सके. बीजेपी सांसद ने शाहीन बाग पर भी अपनी प्रतिक्रिया रखते हुए कहा कि अब धरनास्थल को खाली कराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर प्रदर्शनकारी बात सुनने को तैयार हैं तो सरकार सभी संदेह दूर करने के लिए राजी है.

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वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दिल्ली में हार के लिए तर्क देते हुए कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता उत्साहित थे, इसलिए वोट डालने गए ही नहीं. उन्होंने ये भी तर्क दिया कि दिल्ली में बीजेपी कुल कार्यकर्ताओं की संख्या 62 लाख है. जबकि बीजेपी को दिल्ली में सिर्फ 35 लाख ही वोट मिले हैं. ये ही भाजपा की हार का कारण बन गया. बिहार के बेगूसराय में एक कार्यक्रम में गिरिराज सिंह ने कहा कि दिल्ली में हार के कारण नागरिकता संशोधन एक्ट के मसले पर कोई बदलाव नहीं होगा. उनका दावा है कि इन नतीजों का बिहार के चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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