बंगाल की सियासी पिच पर भाजपा ने खेला ‘दादा बनाम दीदी का मास्टर स्ट्रोक’, अटकलों का बाजार हुआ गर्म

पिछले दिनों बंगाल दौरे में अमित शाह ने कहा था कि कोई बंगाली ही भाजपा की ओर से राज्य का मुख्यमंत्री होगा, शाह के इस बयान के बाद अब सौरभ गांगुली के भाजपा में बैटिंग करने के कयास लगने शुरू हो गए हैं, पिछले 2 दिनों में हुई दो बड़ी सियासी मुलाकातों से अब यह संभावना बढ़ती दिखाई देने लगी है

भाजपा ने खेला 'दादा बनाम दीदी का मास्टर स्ट्रोक'
भाजपा ने खेला 'दादा बनाम दीदी का मास्टर स्ट्रोक'

Politalks.News/West Bengal Election. पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी इतनी अधिक उतावली है कि सोते-जागते-बैठते हर वक़्त भाजपा को सिर्फ बंगाल ही दिखाई दे रहा है. बंगाल फतह करने के लिए इस सियासी युद्ध की कमान खुद भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने संभाल रखी है. अमित शाह ने अब बंगाल फतह पाने के लिए वहां की सियासी पिच पर एक और मास्टर स्ट्रोक खेला है, जिसके तहत भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और वर्तमान में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली को भाजपा अपना सबसे बड़ा सियासी मोहरा बनाने जा रही है. या यूं समझिए कि अमित शाह बंगाल में अब ‘दादा बनाम दीदी‘ की सीधी लड़ाई कराना चाह रहे हैं, इसलिए भाजपा सौरव को पार्टी में शामिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है.

राजनीतिक गलियारों में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के भारतीय जनता पार्टी में शामिल करने के लिए अटकलें शुरू हो गई हैं. पिछले दिनों बंगाल दौरे में अमित शाह ने कहा था कि कोई बंगाली ही भाजपा की ओर से राज्य का मुख्यमंत्री होगा. गृहमंत्री शाह के इस बयान के बाद गांगुली के भाजपा में बैटिंग करने के कयास लगने शुरू हो गए हैं. बता दें, सौरव के बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अच्छे संबंध हैं. सौरव को बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाने में ममता की सीधे तौर पर भूमिका रही है. इसी तरह सौरव के केंद्रीय गृहमंत्री व भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह के साथ भी तगड़ी दोस्ती है और अमित शाह के समर्थन से ही दादा बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे.

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दरअसल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को सौरव गांगुली से मुलाकात कर भाजपा की राह आसान कर दी, तो वहीं सोमवार को राजधानी दिल्ली में फिरोजशाह कोटला मैदान में स्व अरुण जेटली की मूर्ति के अनावरण समारोह के दौरान अमित शाह ने दादा को अपने साथ खड़ा कर जहां एक ओर सीधा सियासी सन्देश दे दिया तो वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फिर एक बार चुनौती दे दी. याद दिला दें, हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान ममता बनर्जी के सबसे खास रहे तृणमूल के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी के साथ 10 विधायकों को भाजपा में शामिल कर टीएमसी को चुनौती दी थी. हालांकि अभी बंगाल चुनाव में लगभग 5 महीने बाकी है लेकिन तब तक भाजपा यहां अपना जबरदस्त सियासी माहौल बनाने में जुट गई है.

गांगुली के दो दिन में दो मुलाकातों के बाद राजनीतिक गलियारों में बाजार गर्म

सौरव गांगुली के भाजपा ज्वाइन करने की खबरें तो कई महीनों से आ रही थी लेकिन पिछले 2 दिनों में हुई दो बड़ी सियासी मुलाकातों से अब यह संभावना बढ़ती दिखाई देने लगी है. रविवार को सौरव गांगुली ने बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की, तो सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह के साथ एक मंच पर दिखे. बता दें कि दिल्ली के कोटला मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की मूर्ति का अनावरण किया गया है, जहां अमित शाह, सौरव गांगुली एक साथ दिखे. ‘जब सौरव से उनके राजनीति में आने की अटकलों पर सवाल हुआ, तो उन्होंने कहा कि अगर राज्यपाल आपसे मिलना चाहते हैं तो आपको मिलना होता है.

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आपको बता दें कि सौरव गांगुली को लेकर लंबे वक्त से कयास लगाया जा रहा है कि वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. हालांकि सौरव की ओर से हर बार इस सवाल को टाला गया. ‘पश्चिम बंगाल में मई 2021 के आसपास चुनाव होना है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी सौरव गांगुली को बंगाल में अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा लगा सकती है‘, लेकिन अभी न सौरव गांगुली ने और न बीजेपी ने इस बात की पुष्टि की है.

कई वर्षों से दादा के राजनीति में आने की लगती रहीं हैं अटकलें

सौरव गांगुली को पश्चिम बंगाल में बहुत ही सम्मान दिया जाता है. भाजपा, लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ दादा के अच्छे संबंध माने जाते हैं. यह पहला मौका नहीं है जब सौरव के राजनीति में उतरने के कयास लग रहे हों. साल 2011 के विधानसभा चुनावों के समय सौरव गांगुली के सीपीएम और टीएमसी में शामिल होने की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ा था. बता दें कि वाम मोर्चा सरकार ने सौरव को कोलकाता के पूर्वी इलाके में स्कूल के लिए एक प्लॉट भी दिया था, लेकिन उसके कानूनी पचड़ों में उलझने की वजह से वह दादा को नहीं मिल सका. बाद में तृणमूल कांग्रेस की सरकार आने पर ममता बनर्जी ने दादा को इसी काम के लिए कोलकाता के सबसे पॉश एरिया सॉल्टलेक में दो एकड़ का एक प्लॉट दिया था.

सौरव गांगुली ने इस साल अगस्त में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर वह प्लाट लौटा दिया था. तभी से सियासी गलियारों में चर्चा और तेज हो गई थी कि दादा बंगाल में दीदी के खिलाफ भाजपा का साथ लेकर हुंकार भर सकते हैं. अब एक बार फिर भाजपा ने सौरव गांगुली को अपनेे पाले में शामिल कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है. दिल्ली में बैठा भाजपा केंद्रीय आलाकमान भी जानता है कि दीदी को बंगाल में दादा यानी सौरव गांगुली विधानसभा चुनाव में टक्कर दे सकते हैं.

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