Politalks.News/Bharat/SupremeCourt/ED. प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारों और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने कहा है कि ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार है और मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है, ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट में कोई खामी नहीं है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और PMLA को लेकर दायर 240 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज यह आदेश दिया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट में जो बदलाव किए गए थे, वह सही हैं. यही नहीं कोर्ट ने कहा कि एजेंसी की ओर से गिरफ्तारी करना और आरोपियों से पूछताछ करने में कुछ भी गलत नहीं है.
दूसरी एजेंसियों के बंद मामलों में भी ईडी ले सकती है संज्ञान
आपको बता दें, याचिकाकर्ताओं की एक और मांग पर अदालत ने कहा कि ईडी ने कोई शिकायत दर्ज की है तो उसकी कॉपी आरोपी को देना जरूरी नहीं है. इसके अलावा सीबीआई या अन्य किसी एजेंसी की ओर से बंद किए गए मामले को भी ईडी अपने हाथ में लेकर जांच कर सकती है. वहीं इसके साथ ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट में मनी बिल के तहत बदलाव किए जाने के सवाल को अदालत ने 7 जजों की बेंच के सामने भेजने का फैसला लिया है. दायर की गई याचिकाओं में ईडी की ओर से रेड, गिरफ्तारी के अधिकारी, संपत्ति को जब्च करने और बेल की कठिन शर्तों पर विचार करने की अपील की गई थी. जस्टिस ए.एम खानविल्कर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि ईडी की ओर से गिरफ्तारी किया जाना मनमानी नहीं है. अदालत ने ईडी ओर से संपत्ति जब्त करने को सही करार देते हुए कहा कि गलत ढंग से पैसा कमाने वाले लोग इसका इस्तेमाल न कर सकें, इसलिए ऐसा अधिकार ईडी के पास है.
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यही नहीं जमानत की दो कड़ी शर्तों को भी सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आरोपी को दो शर्तों पर ही बेल मिलती है. ये शर्तें हैं कि मामले में दोषी न होने के समर्थन में कुछ सबूत मिलें और यह भरोसा हो कि आरोपी निकलने के बाद कोई दूसरा अपराध नहीं करेगा. इसके साथ ही ईडी की ओर से दर्ज की जाने वाली रिपोर्ट एन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट को लेकर भी अदालत ने अहम फैसला दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है और उसे आरोपी को दिया जाना जरूरी नहीं है. अदालत ने कहा कि शुरुआती दौर में ईडी की ओर से आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताना काफी होगा. कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम समेत कई लोगों की ओर से दायर याचिका में ईडी के अधिकारों और PMLA में बदलाव को चुनौती देते हुए कहा था कि इनके जरिए संवैधाानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है. इस पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत जिन करारों का हिस्सा है, उसके तहत यह कार्रवाई जरूरी है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग से निपटा जा सके.