राकंपा और कांग्रेस के साथ सरकार बनाना शिवसेना को पड़ा भारी, बीजेपी में शामिल हुए 400 शिवसैनिक

विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों के साथ हाथ मिलाने से नाराज हैं कार्यकर्ता, पार्टी के विशेष कार्यकारी अधिकारी ने कहा-हम कैसे उन लोगों का सामना करें जिनके खिलाफ हमने एक ईमानदार सरकार बनाने के लिए वोट मांगा

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (MVA) की सरकार तो जैसे तैसे बन गई लेकिन लगता है शिवसैनिकों (Maharashtra ShivSena) को एनसीपी और खास तौर पर मुस्लिम तुष्टिकरण की विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करना रास नहीं आ रहा. यही वजह रही कि मुंबई के धारावी में करीब 400 शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. ये सभी कार्यकर्ता शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से खासे नाराज बताए जा रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि शिवसेना ने भ्रष्ट और विरोधी विचारधारा वाले दलों से हाथ मिलाया है. धारावी के एक कार्यक्रम में इन सभी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.

शिवसेना (Maharashtra ShivSena) के विशेष कार्यकारी अधिकारी रहे रमेश नादेसन ने कहा कि हमारी पार्टी के 400 समर्थक भाजपा में शामिल हो गए क्योंकि उन्हें तब धोखे जैसा महसूस हुआ जब पार्टी ने गैर-हिंदू पार्टियों के साथ हाथ मिलाया. बता दें, विशेष कार्यकारी अधिकारी पार्टी में नई भर्तियां करता है.

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नादेसन ने सरकार बनाने के लिए एनसीए और कांग्रेस से हाथ मिलाने की आलोचना करते हुए कहा कि वे शिवसेना के साथ इसलिए थे क्योंकि उसने हिंदुत्व के एजेंडे को उच्च प्राथमिकता दी थी. पार्टी के इस कदम से 400 कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि शिवसेना में कई अन्य लोग भी दुखी हैं.

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नादेसन ने भावुक होते हुए कहा कि कोई भी समर्थक की भावनाओं और जज्बातों को नहीं समझता है जो बिना किसी चीज के बदले असल में पार्टी के लिए काम करता है. पिछले सात सालों से हम (Maharashtra ShivSena) कांग्रेस और एनसीपी समर्थकों के खिलाफ लड़ रहे हैं. चुनाव के दौरान कार्यकर्ता हर दरवाजे पर जाकर वोट मांगते हैं. हम कैसे वापस जाकर उन्हीं लोगों का सामना कर सकते हैं जिनके खिलाफ हमने एक ईमानदार सरकार बनाने के लिए वोट मांगा था?

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बता दें, हाल में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. शिवसेना ने 56 सीटों पर कब्जा जमाया. एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली. हालां​कि शिवसेना और भाजपा गठबंधन में चुनाव लड़े लेकिन सरकार गठन में हिस्सेदारी को लेकर दोनों पार्टियों में मतभेद हो गया. शिवसेना ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री के लिए अड़े हुए थे. बीजेपी के मना करने के बाद शिवसेना ने दोनों के बीच अपनी तीस साल पुरानी दोस्ती तोड़ ली और एनसीपी एवं कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार का गठन किया. (Maharashtra ShivSena)

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