योगी महाराज ने बनाए कई कीर्तिमान, 37 साल बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में आई BJP, टूटा नोएडा का मिथक

यूपी की प्रचंड जीत से भाजपा गदगद, योगी ने अनूठा रिकॉर्ड बनाने में दिग्गजों को छोड़ा पीछे, जो कोई नहीं कर पाया वो योगी ने किया, 37 साल बाद बना ये रिकॉर्ड, 1988 के बाद तोड़ा ये बड़ा मिथक

योगी महाराज ने बनाए कई कीर्तिमान
योगी महाराज ने बनाए कई कीर्तिमान

Politalks.News/YogiAdityanath. यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने एक नया इतिहास लिखा है. इस जीत ने कई सारे मिथक भी तोड़े हैं. योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) को यूपी की सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज करने का इतिहास बना दिया है. 37 साल पहले कांग्रेस ने सूबे में बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्धारित पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हुए फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी कराते हुए पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा (historical gift) दिया है. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी में भाजपा के ऐसे पहले नेता हो गए हैं जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे. योगी ने यूपी का नोएडा मिथक (Noida Myth) तोड़ते हुए इलाके को कई सौगातें भी दी. सियासी जानकारों का कहना है कि रिकॉर्ड बनाने और तोड़ने में महाराज का कोई मुकाबला नहीं है.

तिवारी, मुलायम और मायावती जो नहीं कर पाईं वो योगी ने किया
यूपी में ऐसी उपलब्धि डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह, और मायावती भी हासिल नहीं कर सकीं. यूपी के राजनीतिक इतिहास के अनुसार, प्रदेश में 1951-52 के बाद से अब तक डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, और मायावती मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें यह मौका दो अलग-अलग विधानसभाओं के लिए मिला. मुलायम सिंह यादव और मायावती दो बार से अधिक बार यूपी की सीएम बनी पर इन नेताओं ने भी वह उपलब्धि हासिल नहीं की जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खाते में दर्ज हो गई है. पूरे देश में इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंका बज रहा है.

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रिकॉर्ड बनाने में उस्ताद हैं महाराज
दरअसल नम्बर एक पर रहना उनकी फितरत है. करीब ढाई दशक पहले जब वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं. इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गये. जैसे 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गये तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे. 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है. मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद रहे हैं. चार महीने बाद ही दुबारा वह सिरमौर बने. यकीनन ये सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि इसके लिये वह अथक परिश्रम करते हैं.

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टूटा ‘नोएडा’ का मिथक!
उत्तरप्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बने इस इतिहास के साथ ही कई मिथक धाराशायी हुए है. प्रदेश की राजनीति में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है. उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती. इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव तो नोएडा जाने से परहेज करते रहे. नोएडा में उद्घाटन या शिलान्यास के कार्यक्रम को लेकर वहां जाने की जरूरत पड़ी, तो अखिलेश यादव ने नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया. इसके विपरीत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए. योगी नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर और भाजपा को बहुमत से साथ फिर सत्ता में वापसी करते हुए इस मिथक को तोड़ दिया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अयोध्या में राममंदिर में पूजा करने जाने को लेकर भी नेताओं का मिथ तोडा है. पहले अयोध्या जाकर भी तमाम नेता राममंदिर जाने से परहेज करते थे. अब हर नेता राममंदिर में पूजा करने जा रहा है.

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योगी एक नहीं कई बार गए नोएडा और तोड़ा मिथक!
यूपी के इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है कि नोएडा का यह मिथक वर्ष 1988 से शुरू हुआ था. वर्ष 1988 में राजनीति में सक्रिय नेता नोएडा जाने से बचने लगे, क्योंकि यह कहा जाने लगा था कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है. तब वीर बहादुर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. वे नोएडा गए और संयोग से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई. नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया. तिवारी 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क का उद्घाटन करने गए. कुछ समय बाद चुनाव हुए, लेकिन वे कांग्रेस की सरकार में वापसी नहीं करा पाए, इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा गए और कुछ दिन बाद संयोग से मुख्यमंत्री पद छिन गया. राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्हें नोएडा में निर्मित एक फ्लाई ओवर का उद्घाटन करना था पर, उन्होंने नोएडा की जगह दिल्ली से इसका उद्घाटन किया. अखिलेश यादव ने भी पांच साल मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा जाने से परहेज किया. जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. वह पांच वर्षों के कई बार नोएडा गए और उन्होंने ने नोएडा को कई सौगातें दी.

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