WHO का नेतृत्व भारत को क्या मिला, अपना दबदबा जाता देख अभी से तिलमिला उठा चीन

केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्षवर्धन होंगे 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयरमैन, कार्यक्रम बजट और प्रशासन समिति का सदस्य भी होगा भारत, कोरोना महामारी पर सख्ती से निपटने का चीन को डर

पॉलिटॉक्स न्यूज. भारत WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन का नेतृत्व करने जा रहा है. भारत के इस बढ़ते कद से चीन में बौखलाहट है. चीन में अभी से इस बात की खलबली मची हुई है क्योंकि 34 सदस्यों वाले एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरपर्सन का दबाव वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली की नीतियों और फैसलों पर सीधे-सीधे पड़ेगा. ऐसे में चीन के पक्षधर डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल उसकी ज्यादा मदद करने की स्थिति में नहीं होंगे. भारत के हाथ महत्वपूर्ण नेतृत्व ऐसे समय में आया है जब अमेरिका की ओर से कोरोना वायरस को लेकर WHO पर चीन से मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया है. ऐसे में चीन की बौखलाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है.

बता दें, केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्षवर्धन WHO के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयरमैन होंगे. वे 22 मई को पदभार ग्रहण कर सकते हैं. डॉ.हर्षवर्धन जापान के डॉ.हिरोकी नकतानी की जगह लेंगे. यह पद हर साल बदलता रहता है. भारत के नामित को नियुक्त करने के प्रस्ताव को 19 मई को 194 देशों के विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में पारित किया गया है. इस वैश्विक मंच पर भारत के प्रतिनिधित्व के प्रस्ताव पर विश्व स्वास्थ्य असेंबली के 194 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं. पिछले साल ही दक्षिण पूर्व एशिया ग्रुप ने यह फैसला कर लिया था कि इस बार बोर्ड चेयरमैन का चयन भारत की ओर से होगा. ऐसा पहली बार होने जा रहा हैं जब भारत विश्व के किसी बड़े संगठन का नेतृत्व करेगा. इसके अलावा, भारत अब इंडोनेशिया की जगह कार्यक्रम बजट और प्रशासन समिति का सदस्य भी होगा.

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जानकारी के मुताबिक यह पूर्णकालिक जिम्मेदारी नहीं है और स्वास्थ्य मंत्री को सिर्फ बैठकों में शामिल होना होगा. बोर्ड की बैठक साल में दो बार होती है. मुख्य बैठक आमतौर पर जनवरी में होती है जबकि दूसरी बैठक मई में होती है. कार्यकारी बोर्ड का मुख्य काम स्वास्थ्य असेंबली के फैसलों व पॉलिसी तैयार करने के लिए उचित सलाह देने का होता है. चूंकि भारत WHO का नेतृत्व करने जा रहा हैं, ऐसे में चीन को डर हैं कि WHO के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरपर्सन के पद पर आने के बाद भारत कोरोना महामारी के मामले में उस पर सख्ती से पेश आएगा.

डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड में चेयरपर्सन के तौर पर भारतीय प्रतिनिधि की नियुक्ति ऐसे समय में होगी जब संयुक्त राष्ट्र की यह एजेंसी और पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट के दौर से गुजर रही है. बता दें कि कोविड-19 की वजह से दुनिया भर में 3.22 लाख मौतें हो चुकी हैं जबकि 49.47 लाख लोग संक्रमित बताए जा रहे हैं. भारत में भी हालात खराब होते जा रहे हैं. यहां संक्रमितों की संख्या एक लाख के पार और एक्टिव मरीजों की संख्या साढ़े 61 हजार से ज्यादा है. मौतों का आंकड़ा तीन हजार से अधिक है और तेजी से बढ़ रहा है. भारत सहित सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कोविड-19 से भारी नुकसान पहुंचा है.

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1948 में डब्ल्यूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन का गठन संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के तौर पर हुआ था. डब्ल्यूएचओ के गठन का मुख्य लक्ष्य वैश्विक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद डब्ल्यूएचओ जैसे संगठन बनाने पर जोर दिया गया था. अतिसंवेदनशील या कमजोर देशों को संक्रमित बीमारियों के फैलने से बचाना डब्ल्यूएचओ के प्रमुख काम है. हैजा, पीला बुखार और प्लेग जैसी बीमारियों के खिलाफ लड़ने के लिए डब्ल्यूएचओ ने अहम भूमिका निभाई है. कोविड-19 से बचाव में भी डब्ल्यूएचओ अहम भूमिका निभा रहा है. वायरस की वैक्सिंग पर काम चल रहा है. चूहों और अन्य जानवरों को सफल ट्रायल हो चुका है.

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