बार-बार मुंह की खाने के बाद भी मनमानी कर रहा पाकिस्तान, भारत की आपत्ति के बाद कर रहा यह काम

गिलगिट और बाल्टिस्तान में नियंत्रण के लिए पाक ने अपनाया नया पैंतरा, भारतीय सेना के जनरल वीके सिंह ने फैसले को बताया पाक सेना का निर्णय, पाक सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, आर्थिक हित साधने में जुटा पाकिस्तान

पॉलिटॉक्स न्यूज़. बार बार मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान फिर से अपनी मनमानी करने पर आतुर हो रहा है. भारत के कड़े रूख और आपत्ति जताने के बावजूद पाकिस्तान गिलगिट-बाल्टिस्तान प्रांत में चुनाव कराने और एक केयरटेकर सरकार बनाने की तैयारी में है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी दोनों आदेशों पर मुहर लगा दी है. इससे पहले भारत ने दोनों प्रदेशों के मौसम का हाल बताते हुए गिलगिट और बाल्टिस्तान को भारत देश का अभिन्न हिस्सा बताया था. बता दें, दोनों प्रांत पीओके में हैं. भारतीय सेना के जनरल वीके सिंह ने इस आदेशों को वहां की सेना का निर्णय बताते हुए पाक सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

गौरतलब है कि 30 अप्रैल को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार को गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में चुनाव कराने और इससे जुड़े 2018 के प्रशासनिक आदेश में संशोधन के लिए अनुमति दे दी थी. भारत ने इस फैसले को लेकर इस्लामाबाद के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था. भारत ने कहा था कि पाकिस्तान को अवैध और जबरन कब्जा किए हुए क्षेत्र को लेकर कोई फैसला करने का अधिकार नहीं है.

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इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने गिलगित-बाल्टिस्तान पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पाकिस्तानी राजदूत को आपत्ति पत्र सौंपा था. भारत ने स्पष्ट किया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस्लामाबाद को इन क्षेत्रों में अपने अवैध कब्जे को छोड़कर इलाके को तुरंत खाली कर देना चाहिए.

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भारत के कड़े रूख के बावजूद पाकिस्तान के कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्रालय ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि दोनों प्रांतों में पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने गिलगित-बाल्टिस्तान ऐंड केयरटेकर एमेंडमेंट ऑर्डर, 2020 पर मुहर लगाई है.

राष्ट्रपति ने जारी आदेश में कहा, ‘पारदर्शी चुनाव कराने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान में केयर टेकर सरकार बनाना जरूरी हो गया था. इस आदेश के बाद केयर टेकर सरकार दो महीनों के भीतर गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा चुनाव कराएगी. खास परिस्थितियों में केयर टेकर सरकार का कार्यकाल भी बढ़ाया जा सकता है.’

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गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान द्वारा चुनाव कराए जाने की बात पर अपने सुर कठोर करते हुए भारतीय सेना के जनरल वीके सिंह ने कहा, ‘पाकिस्तान के हुक्मरानों से अपना देश तो संभल नहीं रहा. वहां सेना लोगों के लिए तय कर रही है कि क्या करना है. इस परिस्थिति में वो लोग कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं कि दुनिया उनके साथ खड़ी हो जाए लेकिन ऐसा होने वाला नहीं है’.

बता दें, गिलगित और बाल्टिस्तान इलाकों में नियंत्रण स्थापित करने के लिए पाक नए-नए पैंतरे आजमा रहा है. इन इलाकों में नियंत्रण पाने में पाकिस्तान के आर्थिक हित भी जुड़े हुए हैं. हाल में पाकिस्तान की सरकार ने चीन की फर्म के साथ 442 अरब रुपये के एक कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत, गिलगित-बाल्टिस्तान में दिआमेर-भाषा बांध का निर्माण किया जाएगा. अगर यहां स्थानीय सरकार का निर्माण नहीं होता तो प्रोजेक्ट रद्द हो सकता है.

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दूसरी ओर, बीते गुरुवार भारत ने पाकिस्तान के इस कदम को लेकर को कड़ा संदेश दिया और कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में इस तरह की परियोजनाओं को शुरू करना सही नहीं है.

इसके बावजूद पाक पीछे हटने को तैयार नहीं है. कोरोना संकट और लॉकडाउन की विकट परिस्थितियों में भारत और पाकिस्तान के बीच शीतयुद्ध अब आमने सामने की लड़ाई में तब्दील होता नजर आ रहा है. खैर… इस बारे में भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आना अभी शेष है.

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