इंतहा हो गई राजनीतिक नियुक्तियों के इंतजार की, आई ना कुछ खबर समन्वय समिति के गठन के बाद भी

प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की राह का रोड़ा बनी लम्बे समय से चली आ रही सत्ता और संगठन के बीच की खींचतान को खत्म करने के लिए बनाई गई समन्वय समिति की नहीं हो पाई है अभी तक एक भी बैठक

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को बने एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है. लेकिन सत्ता और संगठन के बीच लगातार चली आ रही खींचतान के चलते प्रदेश में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियां अभी तक अटकी हुई हैं. सत्ता और संगठन के बीच की इस खींचतान और गुटबाजी को रोकने के लिए पिछले महीने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर समन्वय समिति का गठन भी कर दिया गया है. लेकिन इस समिति की बैठक नहीं होने के चलते बहुप्रतिक्षित राजनीतिक नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पायी हैं. प्रदेश के हजारों मायूस कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को इन राजनीतिक नियुक्तियों का लंबे समय से इंतजार है.

प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार के बनते ही राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी जो कि आज तक जारी है. असल में इन नियुक्तियों का अब तक भी नहीं होने का प्रमुख कारण सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच चली आ रही लम्बी खींचतान है. लेकिन कांग्रेस नेताओं द्वारा इन नियुक्तियों के अब तक नहीं होने के समय-समय पर अलग-अलग कारण बताए गए. प्रदेश में सबसे पहले लोकसभा चुनाव के चलते इन नियुक्तियों को टाल दिया गया. इसके बाद उपचुनाव और फिर निकाय चुनाव तो अब पंचायत चुनाव की आचार संहिता का बहाना बनाकर इन नियुक्तियों को टाला जा रहा है.

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बता दें, निकाय चुनाव के बाद ऐसा लगने ही लगा था कि अब नियुक्तियां होने वाली हैं लेकिन ठीक इसके बाद कांग्रेस की दिल्ली में आयोजित हुई देशव्यापी भारत बचाओ रैली के चलते ये नियुक्तियां नहीं हो पायीं. इस रैली में कांग्रेसी नेताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में कार्यकर्ताओं को दिल्ली रैली में ले जाने के लिए कहा गया था. ऐसे में राजनीतिक नियुक्तियों में अपना दावा रखने वाले कांग्रेसी नेता इस रैली में अपने नंबर बढाने और अच्छा पद पाने की लालसा लिए अपने साथ सैकडों कार्यकर्ताओं को दिल्ली लेकर भी गए. यहां तक कि संगठन की ओर से बकायदा चेक पोस्ट लगाकर कौन कितने लोगों को रैली में लेकर गया उसकी गिनती भी हुई. लेकिन इस रैली के बाद भी इन नेताओं को निराशा ही हाथ लगी और एक बार फिर उसी खींचतान के चलते दिल्ली रैली के बाद भी नियुक्तियां नहीं हो पायीं.

खैर, प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच की इस अदावत को खत्म करने और बेहतर तालमेल स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर एक समन्वय समिति का गठन किया गया. प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम व पीसीसी चीफ सचिन पायलट, मंत्री भंवरलाल मेघवाल, हरीश चौधरी, विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत, हेमाराम चौधरी और महेंद्रजीत सिंह मालवीय को समिति का सदस्य नियुक्त किया गया. समिति के गठन के बाद एक बार फिर से आस दिखी कि अब शायद जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा प्रदेश में होगी. लेकिन इस गठित समन्वय समिति की एक बैठक भी आज तक नहीं हुई है.

यहां मजेदार बात यह भी है कि इस समिति का जो ढांचा है वो व्यवस्था तो प्रदेश कांग्रेस में पहले से भी थी, यानी सीएम गहलोत व उनके समर्थक नेता और पीसीसी चीफ सचिन पायलट व उनके समर्थक नेता जो कि समिति में शामिल हैं, इनके बीच किसी भी मुद्दे पर चलने वाली खींचतान का समाधान पहले भी प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे यानी इस समन्वय समिति के अध्यक्ष ही करते आए हैं तो फिर इस समन्वय समिति में नई बात या नया चेहरा कौनसा है 🤔, यह बात थोड़ी समझ से परे है, लेकिन पार्टी ने तय किया है तो कुछ तो जरुर सोचा ही होगा.

खैर, समन्वय समिति के गठन के कुछ समय बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव के चलते पार्टी के सभी शीर्ष नेता दिल्ली चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गए. ऐसे में पार्टी नेताओं की दिल्ली में व्यस्तता के कारण समन्वय समिति की बैठक नहीं हो पाई और राजनीतिक नियुक्तियां भी. वहीं गुरूवार को अपने गुरु ‘प्रदीप’ की स्मृति में आयोजित सरकार के कार्यक्रम में शिरकत करने जयपुर आये प्रदेश कांग्रेस प्रभारी और समन्वय समिति के अध्यक्ष अविनाश पांडे ने कहा कि अभी तक सभी नेता दिल्ली चुनाव में व्यस्त थे, जिसके चलते समन्वय समिति की बैठक नहीं हो पायी अब बहुत जल्द समिति की बैठक भी होगी और उसके बाद राजनीतिक नियुक्तियां भी.

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बता दें, करीब 52 बोर्ड, आयोगों, समितियों और अकादमियों में ये नियुक्तियां होंगी जिनमें अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर हजारों कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पद मिलने का इंतजार है. अब देखने वाली बात यह होगी कि सत्ता और संगठन में इन नियुक्तियों को लेकर किस तरह का आपसी सामंजस्य बैठेगा और कब तक ये नियुक्तियां हो पाती हैं.