अनलॉक कहीं खतरे की दस्तक तो नहीं! पहले 60 दिन में एक लाख तो बीते 15 दिनों में हुए दो लाख मरीज

कोरोना केस के डबल होने की रेट महज 15 दिन, 19 मई को देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,01,139 था जो अब बढ़कर 2,08,072 हो गया है, एक्टिव मरीजों की संख्या एक लाख से अधिक, मरने वालों की संख्या भी दोगुना के करीब

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पॉलिटॉक्स न्यूज. देश में लॉकडाउन के चार चरण समाप्त हो चुके हैं और अनलॉक-1 की शुरुआत हो चुकी है लेकिन देश में कोरोना का कहर भयानक होता जा रहा है. देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 2 लाख के पार पहुंच गया है लेकिन हैरानी की बात ये है कि जहां लॉकडाउन के बीच शुरुआती 60 दिनों में देश में कोरोना के एक लाख मरीज थे, लॉकडाउन खुलने के महज 15 दिन में मरीजों की संख्या एक लाख से 2 लाख हो गई. कोरोना मरीजों के बढ़ते आंकड़े के बीच राहत की खबर यह है कि इस बीमारी से ठीक होने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. लेकिन जिस तेजी से नए कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, समझ नहीं आ रहा कि ये हालात लॉकडाउन के हटने के चलते बने हैं या किसी अन्य वजह से.

19 मई को सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1 लाख 1 हजार 139 था जबकि 3163 लोगों की मौत हो गई थी. ठीक 15 दिन बाद यानी आज स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 3 जून सुबह रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल कोरोना मरीजों का आंकड़ा 2 लाख को पार कर गया है. आंकड़ों से साफ है कि अब देश में कोरोना केस के डबल होने की रेट केवल 15 दिन है. इस समय देश में कुल कोरोना मरीजों की संख्या 2,08,072 है जबकि एक्टिव मरीजों की संख्या एक लाख से अधिक है. मरने वालों का आंकड़ा 5829 है. राहत की बात है कि करीब 50 फीसदी मरीज कोरोना से जंग जीत चुके हैं. अभी देश में कुल एक्टिव केस की संख्या 1,01,876 है.

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देश में कोरोना के एक लाख से डेढ़ लाख होने में केवल 9 दिन लगे. 27 मई को देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख हो गई और अगले 50 हजार होने में केवल 6 दिन लगे. मतलब साफ है कि भारी संख्या में मरीज कोरोना की गिरफ्त से छूट रहे हैं लेकिन उससे तीन गुना ज्यादा तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ रहे हैं.

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हालांकि कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच रिकवरी रेट भी बढ़ा है. 19 मई को 1 लाख से अधिक कंफर्म केस में से 39 हजार लोग ठीक हो चुके थे. यानी 19 मई तक रिकवरी रेट 40 फीसदी था, जबकि 3 जून तक 2 लाख कंफर्म केस में से एक लाख से अधिक मरीज कोरोना से जंग जीत चुके हैं, यानी अब रिकवरी रेट 50 फीसदी के करीब पहुंच गया है.

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हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय इस बात को कई बार कह चुका है कि अगर लॉकडाउन नहीं लगाया होता तो देश में संक्रमितों की तादात करीब 50 लाख के करीब होती और शायद एक लाख से अधिक मौत हो चुकी होती. पीएम मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि लॉकडाउन में देश को संभलने का समय मिला. लेकिन एक प्रश्न बार बार सामने आकर खड़ा हो जाता है कि अगर लॉकडाउन सफल रहा तो जांच एंजेंसियों के बार बार चेतावनी देने के बावजूद उसे क्यों खोला गया. यहां तक की विमान सेवा भी शुरु कर दी गई और कारोबार एवं मंडियां भी, जहां सबसे अधिक कोरोना संक्रमण का डर है. इधर, महाराष्ट्र ने भी शूटिंग की इजाजत दे दी है.

भारत सरकार इस पर सफाई दे रही है कि अर्थव्यवस्था का जाम चक्का चलाना भी जरूरी है लेकिन कोविड-19 पर गठित नेशनल टास्क फोर्स के सदस्यों ने भी महामारी से निपटने में केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर भारत सरकार शुरुआत में संक्रमण विशेषज्ञों की राय ली होती तो हालात पर ज्यादा प्रभावी तरीके से काबू पाया जा सकता था. एक्सपर्ट्स ने ये भी कहा कि भारत के कई जोन में अब कोरोना का सामुदायिक संक्रमण हो रहा है, इसलिए ये मानना गलत होगा कि मौजूदा हाल में कोरोना पर काबू कर पाना संभव हो सकेगा.

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