महाराष्ट्र की राजनीति दिल्ली हुई शिफ्ट, एनडीए से बाहर किए जाने से नाराज राउत ने फिर साधा बीजेपी पर जबरदस्त निशाना

कोई अपने आप को भगवान ना समझे, आज जो शिवसेना को एनडीए से निकालने का एलान कर रहे हैं, जब एनडीए बना तब उनका जन्म भी नहीं हुआ था- राउत, पूर्व सीएम चव्हाण ने कहा अभी हम सोच रहे हैं कि क्या शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आ भी सकते हैं या नही

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. जैसा कि हमने पहले भी कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर नित नये मोड़ से सस्पेंस बढ़ता ही जा रहा है. आज से नया परिवर्तन जो आने वाला है वो यह कि अब तक महाराष्ट्र में सत्ता की राजनीति (Politics of Maharashtra) जो मुंबई में चल रही थी वो अब दिल्ली शिफ्ट हो गई है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार से लेकर शिवेसना के खेवनहार संजय राउत तक सब दिल्ली आ गए हैं. शिवसेना को एनडीए से बाहर किए जाने से नाराज संजय राउत ने बीजेपी पर जबरदस्त हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली में बड़े-बड़े बादशाह आए ओर चले गए लेकिन लोकतंत्र कायम है. कोई भी अपने आप को भगवान समझने की कोशिश ना करे, जनता सबसे बड़ा भगवान है. वहीं महाराष्ट्र के पूर्व सीएम चव्हाण ने यह कहकर “हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आ भी सकते हैं या नहीं” एक बार फिर सबको चौंका दिया. अब सबकी निगाहें शरद पवार और सोनिया गांधी के बीच सोमवार को होने वाली अहम मुलाकात पर है.

महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार की कोशिशों के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की दिल्ली में होने वाली इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में सरकार (Politics of Maharashtra) बनाने की तस्वीर साफ हो सकती है. वहीं शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत भी संसद के शीतकालीन सत्र में हिस्सा लेने दिल्ली पहुंच गए हैं. इस बीच एनडीए से शिवसेना को बाहर किए जाने पर संजय राउत का गुस्सा बीजेपी पर फूटा है. संजय राउत ने बीजेपी नेतृत्व का नाम लिए बिना कहा कि “कोई अपने आप को भगवान ना समझे, अपुन ही भगवान है’ वाली सोच गलत है. इसके साथ ही संजय राउत ने मशहूर शायर हबीब जालिब का शेर भी ट्विटर पर शेयर किया. राउत ने लिखा, ”तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था, उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था.

शिवसेना के आज के खेवनहार संजय राउत ने कहा, “दिल्ली में बड़े बड़े बादशाह आए और चले गए लेकिन इस देश का लोकतंत्र कायम है. जनता सबसे बड़ी भगवान है, अपने आप को भगवान समझने की कोशिश किसी को नहीं करनी चाहिए. अपुन ही भगवान है वाली सोच गलत, कोई भगवान नहीं होता. आज जो स्थिति महाराष्ट्र में स्थिति पैदा हुई है, वो अहंकार की बात है. जो बात शिवसेना के बारे में तय हुई थी अगर आप उससे पीछे हटते हो और अपने आप भगवान समझते हैं तो यह ठीक नहीं है.”

संजय राउत शिवसेना (Politics of Maharashtra) को एनडीए से बाहर किए जाने के फैसले पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “दिल्ली में प्रदूषण के साथ-साथ राजनीतिक प्रदूषण ज्यादा है, इसे कैसे दूर करेंगे. राजनीति में वचन और शब्द का महत्व है. आज जो लोग हमें एनडीए से निकालने की बात करते हैं. एनडीए किसी की प्रॉपर्टी नहीं है. एनडीए का संयोजक कौन है ? शिवसेना को बाहर निकालने का फैसला किसने लिया ? क्या एनडीए के बाकी सहयोगियों प्रकाश सिंह बादल, नीतीश कुमार से किसी ने पूछा? क्या शिवनसेना को चिट्ठी भेजी गई ? आज जो शिवसेना को एनडीए से निकालने का एलान कर रहे हैं, जब एनडीए बना तब उनका जन्म भी नहीं हुआ था.”

राउत ने कहा, “एनडीए के संस्थापकों में से हम एक हैं, एनडीए बनाने वाले नेताओं में अटल जी, आडवाणी जी, प्रकाश सिंह बादल जी, जॉर्ज फर्नाडिस और बाला साहेब ठाकरे शामिल थे. हमने एनडीए बनाया और हमने एनडीए को मजबूत करने की कोशिश की है. एत जमाना था जब एनडीए में दो या तीन दल ही बचे थे, उनमें शिवसेना थी. हमने एनडीए बचा कर रखा, हमने कभी इसे टूटने नहीं दिया.”

वहीं रविवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बेहद सधे शब्दों में यह कहकर कि “हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आ भी सकते हैं या नहीं“, एक बार फिर सबको चौंका दिया. चव्हाण ने कहा है कि सोमवार को शिवसेना और कांग्रेस नेताओं की दिल्ली में एक बैठक है, इस बैठक में ये तय किया जाएगा कि दोनों पार्टियां एक साथ आगे बढ़ सकती भी हैं या नहीं (Politics of Maharashtra).

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बता दें कि रविवार को एनसीपी कोर कमेटी की बैठक हुई थी. इस बैठक में शिवसेना को समर्थन से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई. इस बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने दावा किया कि चुनाव पूर्व बीजेपी से जुड़ने वाले कई विधायक एक बार फिर से पार्टी के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि मेरिट के आधार पर ऐसे नेताओं को एनसीपी में वापस लिया जा सकता है. पाटिल ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार (Politics of Maharashtra) बनाने में कुछ वक्त लग सकता है क्योंकि एनसीपी की पहली प्राथमिकता स्थिर सरकार बनाने की है. खुद शरद पवार भी सरकार गठन में वक्त लगने की बात कह चुके हैं.

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