जगदानंद सिंह की जीवनी (Jagada Nand Singh Biography in Hindi)
Jagada Nand Singh Latest News – कहा जाता है राजनीति में सदा के लिए न कोई किसी का दोस्त होता है और न ही दुश्मन, यहां सब अपने मौके के इंतजार में रहता है. यानि की यहां की दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही बनावटी होती है पर बिहार के वरिष्ठ राजद नेता जगदानंद सिंह ने इस मिथक को झूठा साबित कर दिया है. जगदानंद सिंह लालू यादव के सबसे करीबी नेता और दोस्त माने जाते है. वे लालू परिवार के साथ हर कठिन से कठिन परिस्थिति में एक सहयोगी बनकर खड़े रहे है. अब जब बिहार इलेक्शन में पार्टी की इतनी बुरी हार हुई है. पार्टी मात्र 25 सीट पर सिमट गई है और फिर इस हार के बाद लालू परिवार में भी आपसी कलह देखें को मिल रहा है तब एक बार फिर से जगदानंद सिंह पार्टी और लालू यादव के साथ खड़े दिखे. इस लेख में हम आपको जगदानंद सिंह की जीवनी (Jagada Nand Singh Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
जगदानंद सिंह का जन्म और परिवार (Jagada Nand Singh Birth & Family)
जगदानंद सिंह जन्म 15 जुलाई 1945 को बिहार के बक्सर ज़िले में हुआ था. उनके पिता का नाम रामरुचि सिंह था, जो लेफ्टिनेंट थे.
इनके बेटो के नाम सुधाकर सिंह और अजीत सिंह है. दोनों ही सक्रिय राजनीति में है और वे राजद के नेता है. अजीत सिंह इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में रामगढ़, बिहार विधानसभा क्षेत्र से राजद के उम्मीदवार थे जहां वे तीसरे स्थान पर रहे, वही सुधाकर सिंह बक्सर लोकसभा सीट से राजद के सांसद है.
जगदानंद सिंह धर्म से हिन्दू है और जाति से राजपूत है. जगदानंद सिंह पर 1 आपराधिक मामला है.
जगदानंद सिंह की शिक्षा (Jagada Nand Singh Education)
जगदानंद सिंह ने वर्ष 1965 में बीएचयू वाराणसी से बीएससी किया और बाद में उन्होंने वर्ष 1973 में हरीश चंदर कॉलेज वाराणसी, गोरखपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी किया.
जगदानंद सिंह का राजनीतिक करियर (Jagada Nand Singh Political Career)
जगदानंद सिंह राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता है. इनकी गिनती राजद के संस्थापक सदस्यों में होती है. अब यही कारण है कि सिंह लालू प्रसाद के सभी मंत्रिमंडलों में मंत्री रहे है. जगदानंद सिंह और लालू यादव के बीच केवल राजनीतिक रिश्ता ही नहीं है बल्कि दोनों एक दूसरे के पक्के दोस्त माने जाते है. जगदानंद राजद के ऐसे नेता है जो पार्टी के स्थापना से लेकर अब तक लालू के साथ डटकर खड़े रहे. वे ऐसे नेता है जिन्होंने पार्टी भक्ति में बेटे से भी दुरी बना ली थी. हालांकि बाद में, फिर सब सामान्य हो गया.
लालू के पक्के मित्र जगदानंद सिंह पहली बार 1985 के बिहार विधानसभा चुनाव में लोकदल के टिकट पर रामगढ़ से खड़े हुए थे. उस चुनाव में उनकी जीत हुई. उसके बाद वे उसी सीट से जनता दल के टिकट पर 1990 और फिर 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में खड़े हुए और लगातार जीतते रहे.
उसके बाद जगदानंद ने रामगढ़ से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर लगातार चुनाव लड़ा और वे हर बार जीतने में सफल रहे. वे रामगढ़ से 2000 से लेकर 2005 तक तीन बार राजद से विधायक चुने गए. चूंकि 2005 में बिहार में विधानसभा के दो बार चुनाव हुए थे. इस तरह से जगदानंद सिंह रामगढ़ से छः बार के विधायक है.
इसके बाद जगदानंद सिंह को राजद ने 2009 के लोकसभा चुनाव में बक्सर निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था, जहां उनका मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के लालमुनि चौबे से था. इस चुनाव में जगदानंद की जीत हुई और वह पहली बार विधायक से सांसद बने. लेकिन जगदानंद दोबारा इस लोकसभा क्षेत्र से फिर जीतने में कभी सफल नहीं हुए. जगदानंद को राष्ट्रीय जनता दल ने 2014 और 2019 में भी बक्सर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था पर दोनों ही बार जगदानंद की बुरी तरह से हार हुई. दोनों ही चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के अश्विनी कुमार चौबे की भारी बहुमत से जीत हुई थी.
इस हार के बाद जगदानंद सिंह फिर कभी चुनाव में खड़े नहीं हुए. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह राजद के टिकट पर जीतने में सफल रहे. अभी बक्सर से सुधाकर सिंह ही सांसद है.
जगदानंद सिंह की पार्टी भक्ति बेटे के प्रेम से भी अधिक है. उन्होंने 2010 में अपने बेटे सुधाकर के खिलाफ भी प्रचार किया था, जिससे राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार के खिलाफ उनकी हार सुनिश्चित हुई थी. इस तरह जगदानंद ने पार्टी भक्ति के लिए स्वयं अपने बेटे को हराया था. इतना ही नहीं राजद पर जब जब संकट आया जगदानंद लालू परिवार के साथ खड़े रहे. चारा घोटाले के सिलसिले में लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए राबड़ी देवी की उम्मीदवारी का समर्थन करने वालो में जगदानंद सबसे आगे थे. अब इसी बफादारी के बाद राजद ने उन्हें नवंबर 2019 में पार्टी का बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया. वे जून 2025 तक पार्टी के अध्यक्ष बने रहे.
लालू यादव के बड़े बेटे तेजस्वी यादव राजद से निकाले जाने के बाद जब राजद के विरुद्ध विगुल बजाया तो जगदानंद फिर से राजद के बचाव में खड़े हो गए. अब जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की बहुत बुरी हार हुई और राजद मात्र 25 सीट पर सिमट गई, तब एक बार फिर से जगदानंद पार्टी के साथ खड़े दिखे. कहते है राजनीति में कोई किसी का यार दोस्त नहीं होता पर जगदानंद सिंह इस मिथक से परे है. लालू यादव चारा घोटाले को लेकर जेल गए, लालू यादव पर जंगलराज का आरोप लगा पर जगदानंद पर इसका कोई असर नहीं हुआ वह हमेशा लालू के साथ बने रहे. इस तरह जगदानंद आज के समय में ऐसे नेता है, जिसकी पार्टी भक्ति का कोई जवाब नहीं है.
जगदानंद सिंह की संपत्ति (Jagada Nand Singh Property)
2019 के लोकसभा चुनाव में दाखिल किये गए घोषणापत्र के अनुसार जगदानंद सिंह की कुल संपत्ति 3.58 करोड़ रूपये हैं जबकि उनपर 5.30 लाख रुपए का कर्ज भी है.
इस लेख में हमने आपको जगदानंद सिंह की जीवनी (Jagada Nand Singh Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.



























