Draupadi Murmu In Rajasthan: राजस्थान की 15 वीं विधानसभा के अंतिम सत्र की शुरुआत आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विशेष संबोधन से हुई. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सहित विधानसभा के तमाम सदस्य सदन में मौजूद रहे. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पैर में चोट के कारण वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इस सत्र में जुड़े.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मान, सम्मान और बलिदान की धोरां री धरती राजस्थान के निवासियों को घणी शुभकामनाएं. राष्ट्रपति ने कहा कि 1952 में राजस्थान विधानसभा का गठन हुआ जिसके बाद 71 सालों का गौरवशाली सफर पूरा किया गया है, जिसके लिए मैं राजस्थान की जनता को धन्यवाद देती हूं. राजस्थान के लिए यह विशेष गौरव की बात है कि वर्तमान में लोकसभा और राज्यसभा की अध्यक्षता राजस्थान विधानसभा के पूर्व सदस्यों के द्वारा की जा रही है. राजस्थान की छवि राष्ट्रपति भवन आने वाले और वहां काम करने वाले सभी लोगों को दिख जाती है.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राजस्थान में जैसलमेर के रेगिस्तान से लेकर सिरोही के माउंट आबू, उदयपुर की झीलों तथा रणथंभौर के आंचल में प्रकृति की इंद्रधनुष छटा दिखाई देती है. जयपुर को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है. वहीं राजस्थान के करौली जिले के पत्थरों कि चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति भवन के निर्माण में अधिकांश पत्थर राजस्थान से ही गए हैं और भवन को बनाने में यहां के कर्मचारियों का खून-पसीना लगा है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के आतिथ्य की तारीफ करते हुए कहा कि अतिथि को देवता समझने का सबसे अच्छा उदाहरण राजस्थान है, जहां यहां के लोगों के मधुर व्यवहार के चलते देश-विदेश के लोग यहां आते रहते हैं. सभ्यता और संस्कृति के हर आयाम में राजस्थान की परंपरा समृद्ध रही है. हिंदी का प्रथम कवि होने का गौरव राजस्थान के प्रथम कवि चंदबरदाई को जाता है, जहां उनकी लिखी पृथ्वीराज रासो को हिंदी भाषा का पहला महाकाव्य माना जाता है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि मैं सभी माननीय विधायकों से कहना चाहती हूं कि जनता अपने जनप्रतिनिधि से बहुत प्यार करती है. एक से अधिक बार अपने नेता को वोट की ताकत से विधानसभा में भेजती है. जनता अपने नेता को फॉलो करती है और उनको बहुत मानती है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आज तकनीक का युग है और घर-घर तक क्या चल रहा है और विधानसभा में विधायक क्या बोल रहे हैं, वह सब देखते और समझते हैं. इसलिए मैं सभी विधायकों से गुजारिश करना चाहती हूं कि चाल-चलन के साथ-साथ आचार-विचार को जनता की दिशा में, जनता के लिए सोचना चाहिए और केवल मैं और मेरा की सोच छोड़कर हर काम हमारा होना चाहिए. सिर्फ मैं और मेरा सोचने से राज्य का भला नहीं होगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं और मेरा से ऊपर उठकर हमारा देश और हमारा राज्य की सोच प्रभावी होनी चाहिए और वर्तमान की जरूरतों के हिसाब से नियम बनाने का दायित्व जनता ने सभी माननीयों को दिए हैं और सभी विधायकों को किसी से नहीं बल्कि अपने आप से पूछना चाहिए कि मैंने जनता के लिए क्या काम किया.