कोरोना संकट के लॉकडाउन के बीच फिर जगी राजनीतिक नियुक्तियों की आस

गहलोत सरकार ने दो राज्य स्तरीय समितियों और एक आयोग में नियुक्तियों के लिए बुधवार देर रात किए आदेश जारी, करीब एक दर्जन से भी अधिक राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां जल्द होने की संभावना

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. देशभर में जारी कोरोना संकट के बीच राजनीतिक नियुक्तियों की चाह रखने वाले नेताओं के लिए राजस्थान से एक अच्छी खबर सामने आई है. प्रदेश में बहुप्रतिक्षित राजनितिक नियुक्तियों के लिए गहलोत सरकार ने दो राज्य स्तरीय समितियों और एक आयोग में नियुक्तियों के लिए बुधवार देर रात आदेश जारी किए. राज्य सरकार के इस आदेश के बाद प्रदेश में पिछले लगभग डेढ साल से राजनीतिक नियुक्तियों की प्रतिक्षा कर रहे नेताओं में खुशी की लहर दौड गई है. सूत्रों की माने तो बहुत जल्द करीब एक दर्जन से भी ज्यादा संवैधानिक पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां हो सकती है.

प्रदेश में बुधवार रात गहलोत सरकार की ओर से बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति और वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा समिति और बाल संरक्षण आयोग में राजनीतिक नियुक्तियां कर दी गई है. इन नियुक्तियों में बाल अधिकारिता निरीक्षण समिति में राजस्थान के दिग्गज कांग्रेसी नेता और दो बार मुख्यमंत्री रहे शिवचरण माथुर की पुत्री वंदना माथुर को सदस्य बनाया गया है. इसके साथ ही बाल संरक्षण आयोग में शिव भगवान नागा, वंदना दुबे और नुसरत नकवी को सदस्य नियुक्त किया गया है. वहीं वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा राज्य स्तरीय समिति में कांग्रेस विधायक इंद्राज गुर्जर, पूर्व विधायक रमेश पंड्या, वरिष्ठ कांग्रेसी वीरेंद्र पूनियां और रणधीर सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है.

सूत्रों की माने तो बहुत जल्द प्रदेश में करीब एक दर्जन से भी अधिक राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां होने वाली हैं. इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की हरी झंडी भी मिल चुकी है. इन नियुक्तियों को लेकर सीएम आवास पर मंथन का दौर भी जारी है. आने वाले सप्ताह में जिन पदों पर नियुक्तियां की जानी है उनमें मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, निःशक्तजन आयोग, ओबीसी आयोग, अजा-जजा आयोग में प्राथमिकता के साथ राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं. इसके बाद तीन दर्जन से ज्यादा निगम और बोर्डों में भी जल्द राजनीतिक नियुक्तियां होने की संभावना जताई जा रही है.

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बता दें, प्रदेश में पिछले लगभग डेढ साल से राजनीतिक नियुक्तियां लंबित है. गहलोत सरकार बनने के बाद पहले लोकसभा चुनाव फिर निकाय चुनाव, दिल्ली में पार्टी की भारत बचाओं रैली, पंचायत चुनाव के अलावा प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच चले आ रहे मतभेद के चलते ये राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं. सत्ता और संगठन में मतभेद को खत्म करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जनवरी माह में सात सदस्यीय समन्वय समिति का गठन भी किया था जिसका अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे को बनाया गया था. इसके बाद तय किया गया था कि मार्च माह के अंत तक सभी राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा हो जाएंगी. इसी बीच कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते ये सभी राजनीतिक नियु्क्तियों पर एक बार फिर से विराम लग गया. लेकिन सरकार में कोरोना से जंग के साथ ही अंदरखाने राजनीतिक नियुक्तियों पर मंथन भी जारी है जिसके चलते बुधवार देर रात सरकार ने दो राज्य स्तरीय समितियों और एक आयोग में नियुक्तियों के आदेश जारी किए.

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