गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों को दिया बड़ा झटका! नए नियमों में दीं बड़ी राहतें लेकिन नहीं होंगे नियमित

गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों के लिए जारी किए नए नियम, कुछ राहत तो दी, लेकिन नहीं मानी नियमित करने की मूल मांग, साथ ही संतुष्ठ नहीं होने पर नौकरी से निकाले जाने का भी रखा प्रावधान, लेकिन कई लाभ कर दिए तय, PPF जमा करने और छुट्टियों की मिलेगी सुविधाएं, महिला संविदा कर्मी को 180 दिन का मिलेगा मातृत्व अवकाश

गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों को दिया बड़ा झटका!
गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों को दिया बड़ा झटका!

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश की गहलोत सरकार (Gehlot Goverment) ने संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए नियम जारी (Rules Regarding Contractual Employees In Rajasthan) कर दिए हैं. मगर इस दौरान संविदाकर्मियों की काफी लंबे समय से लंबित पड़ी नियमित करने की मांग को मौजूदा नियमों में नहीं माना गया है. नए नियमों के अनुसार सरकार किसी भी समय संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी को निकाल सकेगी. इसके साथ ही नौकरी पर नहीं रखने पर 2 महीने का वेतन देगी. वहीं, प्रदेश के संविदाकर्मी सरकारी कर्मचारियों की तरह नियमित नहीं होंगे. ऐसे में कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों (Sanvidakarmiyon) की नियमित करने की मांगें नहीं मानी है. इससे प्रदेश में काम करने वाले 80 हजार से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है. सूत्रों की माने तो इन नियमों के जारी होने के बाद संविदाकर्मियों का आंदोलन फिर से जोर पकड़ सकता है.

सरकार किसी की भी सेवाएं कर सकती हैं समाप्त
सरकार द्वारा जारी नियमों के तहत अगर कोई अधिकारी संविदाकर्मी की सेवाओं से संतुष्ट न हो या विश्वास करता है कि किसी कारण से अब उसकी सेवाएं जरूरत नहीं रही है तो अधिकारी 3 महीने का नोटिस देकर उसकी सेवाएं समाप्त कर सकता है. इसके साथ ही सरकार संविदाकर्मी को नौकरी से निकालने पर 3 महीने का वेतन देगी. ऐसे में संविदा कर्मी को कोई बोनस नहीं मिलेगा. हालांकि संविदा पर नियुक्त संविदा की कालवधि के अवसान पर संविदा कर्मी की सेवाएं खुद ही समाप्त हो जाएंगी. इस दौरान सेवा समाप्ति के लिए अलग के आदेश जारी नहीं किए जाएंगे. साथ ही संविदा पर नियुक्त व्यक्ति ने 60 साल की उम्र प्राप्त कर ली है तो उसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.

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2 से ज्यादा बच्चों वाले नहीं होंगे योग्य

वहीं, नए नियम के आदेश के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसके 1 जून 2002 को या उसके पश्चात दो से अधिक संतान हो इन नियमों के अधीन नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा. फिलहाल 2 से ज्यादा संतानों वाला अभ्यर्थी तब तक नियुक्ति के लिए निर्हित नहीं समझा जाएगा जब तक उसकी संतानों की उस संख्या में, जो एक जून 2002 को है, बढ़ोतरी नहीं होती. ऐसे में किसी भी अभ्यर्थी की संतानों की कुल गणना करते समय ऐसी संतानों को नहीं गिना जाएगा जो पूर्व के प्रसव से पैदा हुई हो और निशक्तता से ग्रसित हो.

नियुक्ति के लिए आयु 40 साल अधिकतम
संविदा कर्मचारियों को नियुक्ति के लिए अधिकतम 40 वर्ष की आयु होगी. वहीं अनुसूचित जाति व जन जाति सहित अन्य आरक्षण वर्ग में राहत मिलेगी. अधिकतम पांच वर्ष की राहत मिलेगी. साठ साल की उम्र में रिटायरमेंट होगा. किसी भी स्थिति में इस आयु के बाद काम का अवसर नहीं मिलेगा.।

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वेतन बढ़ोतरी का गणित
पहले की तरह संविदा कर्मचारियों को हर साल पांच प्रतिशत वेतन वृद्धि ही मिलेगी. उम्मीद की जा रही थी कि वेतनमान लागू करके सरकार वेतन में बढ़ोतरी करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि किसी भी संविदा कर्मचारी को नियमित कर्मचारी की तरह बोनस नहीं दिया जाएगा. संविदा कर्मचारी बोनस की डिमांड करते रहे हैं.

छुटि्टयां का गणित ये होगा
संविदा कर्मचारियों को सालभर में अब 12 CL मिलेगी. अगर कर्मचारी ने जनवरी के बजाय किसी अन्य महीने में ज्वाइन किया है तो उसी हिसाब से कटौती होगी. हर महीने की एक छुट्‌टी CL के रूप में मिलेगी. इसके अलावा बीस दिन की हॉफ पेमेंट छुट्‌टी मिलेगी. ये मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर दी जाएगी. महिला संविदा कर्मचारियों को दो बच्चों के लिए 180 दिन की मेटरनिटी लीव दी जाएगी.

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कई बड़ी रियायतों का भी किया ऐलान
वहीं सरकार द्वारा जारी किए गए ने ने नियमों में प्रदेश के इन संविदाकर्मियों को बड़ी राहत भी दी गई है. कार्मिक विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक SC, ST, OBC, STSC और आर्थिक रूप से कमजोर EWS के पुरुष अभ्यर्थियों को उम्र में 5 साल की छूट देने का प्रावधान किया गया है. हालांकि सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 5 साल अन्य कमजोर वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 10 साल की छूट रहेगी. वहीं, नए आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति संविदा पर रखने के लिए पात्र नहीं होगा जोकि अनुशासनिक आधार पर लोक सेवा से हटाया गया नहीं हो.

मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में बनाई गई थी कमेटी

आपको बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस ने संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था. इसको लेकर मंत्री बीड़ी कल्ला की अध्यक्षता में कमेटी भी बनी, दो साल से ज्यादा के वक्त में कमेटी ने 7 – 8 बैठक करके अपने सुझाव सरकार को दिए. कमेटी के सुझाव के बाद अब सरकार ने संविदा कर्मियों के नियम जारी कर दिए. इन नियमों में भी संविदाकर्मियों की लंबे समय से नियमित करने की मांग को नहीं माना गया है.

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