राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों पर अप्रैल में होगा चुनाव, अभी राज्य की 10 में से 9 सीटों पर भाजपा सांसद

अप्रैल में समाप्त होने जा रहा तीन सांसदों का कार्यकाल, तीन में से दो पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा का हो सकता कब्जा, अभी कांग्रेस की ओर से डॉ.मनमोहन सिंह इकलौते सांसद

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटें (Rajyasabha Election) अप्रैल माह में खाली हो रही हैं, जिन पर तीन माह बाद चुनाव होगा. इन तीनों सीटों पर सांसदों का कार्यकाल 9 अप्रैल को पूरा होगा. उससे पहले चुनाव कराया जाएगा. अब तक तीनों राज्यसभा सीटें बीजेपी के खाते में हैं. राजस्थान विधानसभा में सदस्य संख्या के हिसाब से दो सीटें कांग्रेस और एक सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है. बता दें, राज्यसभा में राजस्थान की 10 सीटें हैं. अगस्त, 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह कांग्रेस से सांसद चुने गए हैं. ये सीट तत्कालीन बीजेपी राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी के निधन के बाद खाली हुई थी. डॉ.सिंह के सांसद चुने जाने के बाद राज्यसभा में कांग्रेस का खाता खुला, अभी शेष 9 सीटों पर बीजेपी के सांसद काबिज हैं.

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अप्रैल में रामनारायण डूडी, विजय गोयल और नारायणलाल पंचारिया (Rajyasabha Election) का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इससे पहले 2017 में वसुंधरा राजे सरकार में डॉ.किरोड़ीलाल मीणा, मदनलाल सैनी और भूपेंद्र यादव को बीजेपी की ओर से बतौर सांसद राज्यसभा भेजा गया था.

फिलहाल राज्यसभा में राजस्थान की ओर से ये सांसद हैं मौजूद

1. के.जे एल्फोंस
2. विजय गोयल
3. हर्षवर्धन सिंह
4. राम नारायण डूडी
5. नारायण लाल पंचारिया
6. ओम प्रकाश माथुर
7. डॉ. किरोड़ी लाल मीणा
8. भूपेन्द्र यादव
9. रामकुमार वर्मा
10. डॉ.मनमोहन सिंह

राज्यसभा सांसद के चुनाव (Rajyasabha Election) को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में हलचल शुरु हो गई है. हालांकि अभी तक कोई अधिकारिक बैठक नहीं हुई लेकिन चर्चाएं जोरों पर हैं. कयास यही लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस दो सीटों में से एक पर प्रदेश स्तरीय और अन्य पर राष्ट्रीय स्तरीय नेता को मौका देगी. वहीं बीजेपी की ओर से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी का नाम राज्यसभा सांसद के तौर पर सामने आ रहा है.

क्या है सांसद की चुनाव पद्धति
चुनाव पद्धति के अनुसार कुल तीन सीटों में एक जोड़कर विधायक की कुल संख्या यानि 200 में 4 का भाग दिया जाएगा, जिसका मान 50 आया. अब इसमें एक जोड़कर जो संख्या आती है, जीत के लिए उतने प्राथमिक वोट चाहिए यानि जीत के लिए 51 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी. वर्तमान में प्रदेश विधानसभा में आरएलडी का एक और कांग्रेस के 107 विधायकों के साथ कुल 108 विधायक हैं. इस हिसाब से कांग्रेस के खाते में दो सीटें जाना पक्का है. वहीं बीजेपी के पास 72 विधायक हैं, इस तरह से एक सीट उनके खाते में जाती दिख रही है.

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