निर्दलीय और बसपा से आए विधायकों के खिलाफ कांग्रेस नेताओं ने सोनिया को लिखा पत्र, ये कही बड़ी बात

17 कांग्रेसी प्रत्याशियों ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में शिकायत की है कि स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस में निर्दलीय और बसपा से आए विधायकों वरीयता दी जा रही है और हमारे विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टी संगठन के ढांचे को खत्म करने का काम किया जा रहा है

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Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की सियासी अदावत के चलते दोनों के समर्थक विधायकों के बीच घमासान अपने चरम पर है. अब पार्टी के निर्दलीय और बसपा उम्मीदवारों से चुनाव हारे नेताओं सहित कुछ अन्य नेताओं द्वारा पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा एक पत्र सामने आया है. 17 कांग्रेसी प्रत्याशियों ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में शिकायत की है कि स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस में निर्दलीय और बसपा से आए विधायकों वरीयता दी जा रही है और हमारे विधानसभा क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टी संगठन के ढांचे को खत्म करने का काम किया जा रहा है.

कांग्रेस नेताओं ने पत्र में लिखा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने महज 21 सीट से प्रदेश नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से 101 सीटें प्राप्त की और राजस्थान में सरकार बनाई. निर्दलीय और बसपा विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया जिसका हमने स्वागत किया. लेकिन सरकार के स्तर पर हमारे क्षेत्रों में कांग्रेस सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल में अधिकारियों की नियुक्ति से लेकर नगरपालिका में पार्षदों के मनोनयन तक इन्हीं निर्दलीय और बसपा विधायकों की भागीदारी रही जबकि हम कांग्रेस प्रत्याशियों की भागीदारी नाम मात्र भी नहीं रही. इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और मतदाताओं जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी को वोट दिया उनकी सुनवाई सरकार में नहीं हो पाई.

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निर्दलीय विधायकों की मनमानी के आगे झुक गया है पार्टी संगठन
पत्र में लिखा गया है कि कांग्रेस के मतदाताओं पर इन निर्दलीय और बसपा विधायकों द्वारा भेदभावपूर्ण और दमनात्मक रवैया अपनाया जाता रहा है. प्रदेश में सरकार चलाने के लिये स्पष्ट बहुमत है और कांग्रेस को निर्दलीय और बसपा विधायकों की बैशाखी की जरूरत नहीं है. बाजवूद इसके प्रदेश में इन विधानसभा क्षेत्रों के हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं को और पार्टी संगठन के ढांचे को खत्म करने का काम किया जा रहा है. इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इन निर्दलीय और बसपा विधायकों की मनमानी के चलते प्रदेश कांग्रेस संगठन भी इनके आगे झुक चुका है. पिछले दिनों हुए नगरपालिका और पंचायत चुनावों में टिकट वितरण में इनकी शत-प्रतिशत भागीदारी रही जबकि कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने के बावजूद हमारी भागीदारी शून्य रही. ऐसी परिस्थितियों में हमारे कार्यकर्त्ता और मतदाता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

सोनिया के नेतृत्व में जताया विश्वास, मिलने का मांगा समय
पत्र में नेताओं ने आलाकमान को सम्बोधित करते हुए लिखा है कि आपने हमेशा कांग्रेस संगठन का नेतृत्व कर पार्टी और कार्यकर्ताओं को मजबूती प्रदान की है. अब इन विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी, कार्यकर्त्ता और मतदाता न्यायोचित मांग के लिए कहाँ जाये. आगामी समय में कुछ जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं और जिला स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां भी होनी है. पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलने का वक्त मांगा है और कहा है कि हम मिलकर पूरा पक्ष रखना चाहते हैं. इन नेताओं ने नेतृत्व को भरोसा दिलाया है कि हम आपके नेतृत्व में भरोसा जताते है साथ ही इस सम्बन्ध में ठोस निर्णय की उम्मीद जताई है.

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डोटासरा ने बोलने से किया इनकार
वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि पार्टी नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को पत्र लिखने की बात कपोल कल्पित है और इस तरह का कोई पत्र नहीं लिखा गया है. बाद में जब उन्हें पत्र की कॉपी बताई गई तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

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