BJP-Congress engaged in Helping Gurjar Community. चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुकी राजस्थान की राजनीति अब आमजन के मुद्दों से कहीं उपर उठती जा रही है. जनता पर सियासत तो दशकों से चली आ रही है, अब तो सूबे की सियासत देवताओं तक भी पहुंच गई है. हाल ही में बीते शनिवार को गुर्जरों के आराध्य भगवान देवनारायण के 1111वें जन्मोत्सव कार्यक्रम से ऐन पहले राजस्थान में भगवान देवनारायण भगवान के नाम पर होती सियासत देखने को मिली. गुर्जरों के सबसे बड़े नेता रहे किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन के बाद बे’पटरी हुए गुर्जर समाज को साधने के लिए एक ओर जहां सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव पर राजकीय अवकाश घोषित कर दिया, तो वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी पहुंच इस मौके को साधने की कोशिश भरपूर की, लेकिन यह केवल एक चुनावी सभा बनकर रह गई और मन में कुछ आस बांधे यहां पहुंचे गुर्जर समाज को बड़ी निराशा ही हाथ लगी. यहां आपको बता दें, पॉलिटॉक्स ने इसके संकेत पहले ही दे दिए थे कि प्रदेश के आदिवासी समाज की तर्ज पर कहीं गुर्जर समाज को भी पीएम मोदी से निराश ही हाथ न लगे.
दरअसल, चुनावी साल में भगवान देवनारायण के प्रकाट्य स्थल भीलवाड़ा के आसींद के मालासेरी डूंगरी में गुर्जरों को साधने के उद्देश्य के साथ बीजेपी की ओर से एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया गया जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया. इस दौरान उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी मंदिर के लिए देवनारायण कॉरिडोर बनाने की घोषणा करेंगे. इसी आस को मन में बसाए करीब 3 लाख की तादात में गुर्जर समाज के लोग यहां आए हुए थे लेकिन ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई. ऐसे में ये एक चुनावी सभा बनकर रह गई जिससे गुर्जर समाज के लोगों को भारी निराशा ही हुई.
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आपको बता दें कि जिले के आसींद उपखंड से 5 किमी. दूर मालासेरी डूंगरी भगवान देवनारायण का जन्म स्थान माना जाता है. आसींद विधानसभा में हुए भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव में देश के 9 राज्यों और प्रदेश के 17 जिलों में फैले गुर्जर समाज के 3 लाख से अधिक लोगों के यहां पहुंचने का अनुमान बताया जा रहा है. प्रदेश की 200 में से करीब 14 विधानसभाओं में गुर्जरों का प्रभाव है क्योंकि यह प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है. देवनारायण मंदिर का कॉरिडोर बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है और पीएम मोदी की सभा में पहुंचे गुर्जरों को इसकी घोषणा की उम्मीद भी थी, लेकिन ऐसा हो न सका.
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अगर देखा जाए तो राजस्थान में चुनावी साल को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों की ओर से गुर्जरों को अपनत्व के वार से दो चार होना पड़ रहा है. गुर्जरों के नेता किरोडी सिंह बैंसला के निधन के बाद गुर्जरों में कई फाड़ हो चुकी हैं. बैंसला की पुरानी टीम और किरोड़ी के सुपुत्र विजय सिंह बैंसला एकराय नहीं हैं. इसके अलावा जो इन दोनों से ही अलग हैं, वे अपनी अलग रणनीति बना रहे हैं. ऐसे में राजस्थान की राजनीति में दोनों मजबूत पार्टियां बिना कुछ दिए भी गुर्जरों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही राजनीतिक दल गुर्जर वोट बैंक को साधने के लिए देवनारायण जयंती को भुनाने में जुटे रहे.
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शुरूआत करते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा से, जहां प्रधानमंत्री ने मोदी ने गुर्जरों से कहा कि आपका और हमारा गहरा नाता है. भगवान देवनारायण का जन्म कमल पर हुआ है और हमारी तो पैदाइश ही कमल से है. पीएम मोदी कहा कि यह संयोग है कि देवनारायण के जन्म का 1111वां वर्ष और भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली है. जी-20 के लोगो में दुनिया को कमल पर बैठाया है.
धार्मिक कार्यक्रमों और मान्यताओं को लेकर प्रो-एक्टिव माने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकदेवताओं, स्थानीय महापुरुषों और आराध्य पर फोकस करते हैं. इस बार भी उन्होंने गुर्जरों के आराध्य को अपने से जोड़ते हुए कहा कि भगवान देवनारायण का बुलावा आए तो कोई मौका नहीं छोड़ता, इसीलिए मैं हाजिर हो गया. ये कोई प्रधानमंत्री यहां नहीं आया है, मैं पूरे भक्तिभाव से आप ही की तरह एक यात्री के रूप में भगवान देवनारायण का आशीर्वाद लेने यहां आया हूं.
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धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता के इतर राजनीतिक रूप से भी यह कार्यक्रम बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था. बीजेपी इस कार्यक्रम के माध्यम से गुर्जरों को साधने की कोशिश में लगी रही. जिस आसींद विधानसभा में यह कार्यक्रम हुआ, यहां भी करीब 45 हजार गुर्जर वोटर हैं. हालांकि गुर्जरों के कुछ नेताओं के अनुसार, चुनावी सभा के तौर पर इस सभा को पूरे नंबर मिले, लेकिन गुर्जर समाज के लोग यहां से निराश होकर ही लौटे हैं.
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इधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश स्तर पर नाराज गुर्जरों को मनाने के लिए भगवान देवनारायण के जन्मोत्सव पर अवकाश की घोषणा की. पीएम मोदी के एक दिवसीय दौरे से ऐन वक्त पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह सार्वजनिक अवकाश घोषित कर गुर्जरों में मैसेज देने की कोशिश की. इस पर देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष और विधायक जोगिंदर सिंह अवाना ने कहा कि देवनारायण जयंती के मौके पर सरकार ने अवकाश की घोषणा कर ऐतिहासिक फैसला लिया है. इसका राजस्थान के गुर्जरों को लंबे वक्त से इंतजार था.
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आपको बता दें कि राजस्थान की राजनीति में गुर्जर एक मजबूत वोट बैंक है, लेकिन सचिन पायलट को मुख्यमंत्री न बनाने से गुर्जर वोटर नाराज हैं. ऐसे में बीजेपी भी इतने बड़े वोट बैंक को अपनी ओर डायवर्ट करने की पूरी कोशिश कर रही है. पीएम मोदी की यह यात्रा भी धार्मिक की जगह राजनीतिक यात्रा थी, इस बात में कोई संयश नहीं है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के ये अपनत्व के वार गुर्जरों को केवल दिलासा देने के लिए है. अब देखना ये होगा कि आगामी विधानसभा और उसके बाद के लोकसभा चुनावों में गुर्जर किस ओर एकजुट होते हैं.