‘मिशन 22’ से पहले योगी के सिर पंचायत चुनाव जीतने की जिम्मेदारी, किसानों की नाराजगी पड़ न जाए भारी

पांच राज्यों के साथ भाजपा के लिए यूपी पंचायत चुनाव भी तय करेंगे 'मिशन 22' का भविष्य, तीन हजार से ज्यादा सभाएं और 12 हजार से ज्यादा सम्मेलन के साथ जिला पंचायतों के सभी वार्डों में चुनावी सभा करेगी बीजेपी, राकेश टिकैत, कांग्रेस और सपा द्वारा की जाने वाली किसान महापंचायत बनेगी योगी की चुनौती

CM योगी के सिर पंचायत चुनाव जीतने की जिम्मेदारी
CM योगी के सिर पंचायत चुनाव जीतने की जिम्मेदारी

Politalks.News/UttarPradesh/BJP पांच राज्यों में शुरू होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जहां भाजपा हाईकमान पूरे दमखम के साथ जोर लगाए हुए है, वहीं पार्टी ने उत्तर प्रदेश में भी अपनी तैयारी तेज कर दी है. बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले यहां हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पार्टी के स्टार प्रचारक माने जाते हैं. उत्तरप्रदेश की सत्ता संभाले योगी को 4 साल हो गए हैं. मुख्यमंत्री योगी की असली परीक्षा अगले महीने यूपी में होने जा रहे हैं ‘पंचायत चुनाव‘ को लेकर होगी, जिसको लेकर योगी पूरी तैयारी में जुटे हुए हैं. पिछले दिनों राजधानी लखनऊ में प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की दो दिवसीय आयोजित हुई बैठक में पंचायत चुनाव को लेकर पूरी रूपरेखा तय की गई. हालांकि अभी यूपी के पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा है कि अप्रैल के आखिरी तक पूरे करा लिए जाएंगे.

भाजपा के लिए उत्तरप्रदेश के यह पंचायत चुनाव वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का भविष्य भी तय करेंगे. वहीं पार्टी के अंदर अपना कद और मजबूत करने के लिए योगी आदित्यनाथ के लिए यह चुनाव चुनौती से कम नहीं होंगे. पार्टी आलाकमान ने व्यापक पैमाने पर तैयारियां भी तेज कर दी हैं. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी तीन हजार से ज्यादा सभाएं और 12 हजार से ज्यादा सम्मेलन करेगी. बीजेपी जिला पंचायतों के सभी वार्डों में चुनावी सभा करेगी. इन सभी चुनावी सभाओं और सम्मेलनों में पार्टी के विधायक, सांसद और मंत्रियों के साथ-साथ प्रदेश के बड़े नेता भी चुनाव अभियान में मोर्चा संभालेंगे.

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बता दें कि कुछ वर्षों से भाजपा के छोटे से बड़े नेता किसी भी चुनाव में अपने कार्यकर्ताओं से बूथ और वार्ड को मजबूत करने के लिए फरमान जारी करते रहेे हैं. इस बार पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रणाली लागू हुई है. इसके चलते वार्डों में करवाए जाने वाले इन सम्मेलनों में बीजेपी किसान, महिला, युवा, बुजुर्ग सम्मेलनों के साथ-साथ ओबीसी, अनुसूचित जाति और श्रवण सम्मेलन भी करने की तैयारी में है. इन पंचायत चुनाव में आदित्यनाथ की सियासी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है. पंचायत चुनाव में अगर भाजपा अपना परचम लहराती है तो योगी आदित्यनाथ के लिए अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की राह भी आसान हो जाएगी.

किसानों की नाराजगी पड़ न जाए भारी, इसके लिए भाजपा ने शुरू की खास तैयारी

बता दें कि केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर किसानों की नाराजगी भाजपा के लिए पंचायत चुनाव में भारी पड़ सकती है. पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले राकेश टिकैत पूरे देश भर में घूम-घूम कर भाजपा को हराने के लिए कमर कसे हुए हैं. वहीं पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी किसानों की महापंचायतों का आयोजन पिछले समय से करने में जुटी हुई है. भारतीय जनता पार्टी को इन चुनावों में पहले किसानों की नाराजगी दूर करनी होगी. इसका सबसे बड़ा कारण है कि यह पंचायत चुनाव जिसको ‘गांव की सरकार’ भी बोला जाता है, जिससे सीधे तौर पर आम आदमी, किसान और मजदूर जुड़े होते हैं.

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ऐसे में किसानों का वोट समाजवादी पार्टी या कांग्रेस की ओर न खिसक जाए इसी को लेकर पिछले दिनों लखनऊ में भाजपा ने कार्यसमिति की बैठक भी आयोजित की, जिसमें मुख्य एजेंडा पंचायत चुनाव की तैयारियों पर ही फोकस दिखाई दिया. कार्यसमिति की बैठक में तय हुआ कि भारतीय जनता पार्टी आठ अभियान चलाएगी. 19 मार्च को सभी जिलों और सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी मंत्री, विधायक और सांसद योगी सरकार के चार साल पर कार्यक्रम करेंगे. इसके साथ 403 विधानसभा में पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी के कार्यक्रम होंगे, जहां पर भाजपा के विधायक नहीं है वहां सांसद और एमएलसी भी रहेंगे. भाजपा के नेता युवाओं के बीच भी कार्यक्रम करके उन्हें रोजगार और व्यवसाय के बारे में बताएंगे.

इसके साथ ही पार्टी आलाकमान ने तय किया है कि महिलाओं और रेहड़ी, खोमचे वालों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा. इसके अलावा ग्राम संपर्क अभियान के अंतर्गत पार्टी के बड़े पदाधिकारियों के साथ-साथ सांसद विधायक तो चौपाल लगाएंगे ही, सरकार के मंत्रियों को भी गांव में चौपाल लगाने के आदेश दिए गए हैं. यही नहीं इन चुनाव प्रचार का जिम्मा स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संभालेंगे.

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