बेनीवाल ने लोकसभा में उठाया फसल खराब का मुद्दा, कहा- राइडर हटाकर दी जाए किसानों को राहत

राजस्थान सरकार ने एनडीआरएफ से खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कुछ राशि की मांग कर रखी है जो की लंबे समय से केंद्र के पास लंबित है उस पर भी विचार करते हुए व राशि जारी की जाए- बेनीवाल

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पॉलिटॉक्स न्यूज़/दिल्ली-राजस्थान. रालोपा अध्यक्ष और नागौर सांसद बेनीवाल ने लोकसभा के शून्यकाल में बीते दिनों प्रदेश में हुई अति ओलावृष्टि व बेमौसम बारिश से हुए नुकसान का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हुए कहा कि राजस्थान में बेमौसम हुई बारिश तथा ओलावृष्टि से रबी, जीरे और ईसबगोल की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. इसी वजह से दो दिन पहले भरतपुर जिले के कर्जें से डूबे एक किसान ने आत्महत्या की है. वहीं सदन में वायुयान संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा में सांसद हनुमान बेनीवाल ने भाग लिया.

मंगलवार को सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में किसानों की अरबों रुपए की नष्ट हुई फसलों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि विगत वर्ष अप्रैल में सरकार ने प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने वाले किसानों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाई है, मुआवजा पाने के लिए दावे करने के नियमों में भी ढील दी गई जिससे अब सिंचित क्षेत्रों में मुआवजे की रकम 9 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 13 हज़ार 500 रुपये प्रति हेक्टेयर की गई है. लेकिन प्रति किसान दो हेक्टेयर जमीन से ज्यादा पर यह मुआवजा नहीं दिया जा सकता है इसलिए इस राइडर को हटाया जाए. बेनीवाल ने इसके साथ ही कहा कि नई दर के हिसाब से मुआवजे की अधिकतम सीमा 27 हज़ार रुपये हो गई है जो की एक किसान की कुल लागत का 1/5 भाग भी नहीं है, ज्यादातर मामलों में यह रकम खाद, बीज या फिर मजदूरी की लागत भी पूरी नहीं करती है.

सांसद बेनीवाल ने आगे कहा कि इस प्राकृतिक आपदा से 70 प्रतिशत से अधिक किसानों की उपज का नुकसान राजस्थान में हुआ है. प्रदेश में चना, जीरा, इसबगोल, सरसों सहित कई फसलें नष्ट हो गई है. एक तरफ राजस्थान की निरंकुश सरकार ने बिजली बिलों में बढ़ोतरी करके किसानों की कमर तोड़ दी वहीं दूसरी तरफ इस प्राकृतिक आपदा से किसानों की स्थिति पटरी से उतर गई है.

इसके साथ ही सांसद हनुमान बेनीवाल ने यह भी कहा की राजस्थान में एसडीआरएफ के नाम से जिन जिन आपदाओं को सूचीबद्ध किया गया है उनमें से कई आपदाएं केंद्रीय आपदा राहत कोष में सूचीबद्ध नहीं है. इस संबंध में समय-समय पर सरकारों ने केंद्र को अवगत भी कराया है. ऐसी आपदाओं को एनडीआरएफ की सूची में जोड़ा जाए. इसके साथ ही राजस्थान सरकार ने एनडीआरएफ से खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कुछ राशि की मांग कर रखी है जो की लंबे समय से केंद्र के पास लंबित है उस पर भी विचार करते हुए व राशि जारी की जाए.

वहीं लोकसभा में पारित हुए वायुयान संसोधन विधेयक 2020 की चर्चा में भाग लेते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि भारत नगर विमानन क्षेत्र में विश्व का तीसरा बड़ा मार्केट है. इस क्षेत्र ने 2018-19 में जेट एयरवेज़ तथा वैश्विक मंदी से पैदा हुई विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी अपना लचीलापन सिद्ध किया है, इसी का नतीजा है की 2019 में 144.17 मिलियन यात्रियों ने भारत में डोमेस्टिक सेवाओं का लाभ लिया.

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सांसद ने आगे कहा कि देश में करोड़ों नागरिकों को सेवा प्रदान करने वाले हवाई अड्डों, वायु सेवा कंपनियों को विनियमित करने तथा भारत के एविएशन सैक्टर को वैश्विक सुरक्षा मानकों पर लाने के लिए सरकार जो वायुयान अधिनियम विधेयक लायी है वह प्रशंसा का विषय है. बेनीवाल ने आगे कहा कि 1976 में कश्मीरी आतंकियों द्वारा इंडियन एयरलाइन्स की बोईंग 737 की हाइजैकिंग के बाद भारत सरकार ने सिविल विमानन सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना की थी, लेकिन 44 सालों तक इस ब्यूरो को स्वायत्त दर्जा नहीं दिया जा सका परन्तु मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह बिल सिविल विमानन सुरक्षा ब्यूरो को स्वायत्त दर्जा देता है, जो की वैश्विक मानकों के अनुसार है.

सांसद बेनीवाल ने आगे कहा कि यह बिल नगर विमानन की बाकी दो एजेंसी डीजीसीए और एएआईबी को भी स्वायत्तता प्रदान करता है जो की इस क्षेत्र को प्रभावी रूप से विनियमित करेगे. यह बिल अपराधों के शमन की भी बात करता है जो कि जल, थल और वायु में कोई व्यक्ति और वस्तु को संकट पहुंचाता है. नागरिक विमानन सुरक्षा से कोई भी समझौता नहीं करना चाहिए और वायुयान के माध्यम से व्यक्ति और वस्तु को संकट पहुंचाने वाले हर उस व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. नागरिक विमानन सुरक्षा देश के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है जिसमें किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं करना चाहिए. बेनीवाल ने मांग करते हुए कहा कि देश के सभी हवाई अड्डों, खास तौर से प्राइवेट कंपनियों द्वारा चलाये जा रहे हवाई अड्डों कि सुरक्षा कि पूरी ज़िम्मेदारी सीआईएसएफ या किसी अन्य सरकारी एजेंसी को ही दी जानी चाहिए.

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