63 दिन बाद आया सरकार का बुलावा, पैदल मार्च करते हुए अमित शाह से मिलने जाएंगी ‘शाहीन बाग’ महिलाएं

फिलहाल मुलाकात का समय तय नहीं, पैदल मार्च की नहीं मिली इजाजत, 15 दिसम्बर से लगातार चल रहा शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. शाहीन बाग में प्रदर्शन के 63 दिन बाद सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच वार्ता के आसार दिख रहे हैं. इस संबंध में प्रदर्शनकारी महिलाएं पैदल मार्च करते हुए रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने गृह मंत्रालय जाएंगी. उनके साथ प्रदर्शनरत रहे कुछ अन्य लोग भी होंगे. फिलहाल पैदल मार्च की इजाजत नहीं ली गई है. मुलाकात का समय भी फिलहाल तय नहीं है लेकिन प्रदर्शनकारियों के दोपहर दो बजे गृह मंत्रालय जाने के संकेत मिले हैं. गृहमंत्री से मुलाकात कर प्रदर्शनकारी महिलाएं सरकार से सीएए कानून को वापिस लेने की मांग करेंगी.

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक निजी टीवी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर नागरिकता कानून को लेकर किसी को संदेह है तो वह इस मुद्दे पर आकर हमसे मिलकर बात कर सकते हैं. शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक विरोध का सवाल है, हर किसी को शांतिपूर्ण विरोध करने का अधिकार है और हम लोगों के उस अधिकार को स्वीकार करते हैं. शाह ने कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को भी अगर किसी भी तरह का संदेह है तो वह आकर हमसे मिलें. वह मेरे ऑफिस में बात करके समय लें. हमारे ऑफिस की ओर से उन्हें तीन दिन के अंदर मिलने का समय दिया जाएगा.

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इसी संबंध में शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाएं और पैनल के सदस्य गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय जाएंगे. प्रदर्शनकारी पैदल मार्च करते हुए गृह मंत्रालय की ओर रवाना होंगे. फिलहाल पैदल मार्च की स्वीकृति नहीं ली गई है लेकिन जल्दी ही ले ली जाएगी. वैसे तो गृहमंत्री से मुलाकात का समय निर्धारित नहीं हुआ है लेकिन पैदल मार्च से दोपहर दो बजे मंत्रालय पहुंचने की खबरें हैं.

बता दें, नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ 15 दिसम्बर, 2019 (63 दिन बाद) से दिल्ली के शाहीन बाग में लगातार धरना प्रदर्शन चल रहा है. प्रदर्शनकारी सीएए कानून को वापिस लेने और एनआरसी को लागू न करने की बात पर अड़े हैं. इस प्रदर्शन में स्थानीय दुकानदार, व्यापारियों के साथ कई औरतें भी शामिल हैं जिन्होंने सैंकड़ों की संख्या में इक्ठ्ठे होकर शाहीन बाग के दोनों तरह का रास्ता बंद किया हुआ है. यहां अधिकतर मजदूर केटेगिरी के लोग हैं जिनके लिए धरने में शामिल होने के बाद दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं लेकिन इस प्रदर्शन को कई सामाजिक संस्थाओं का समर्थन मिला हुआ है. यहां तक की कई दुकान मालिकों ने दो महीने के लाखों रुपये का किराया भी इस आंदोलन के चलते माफ कर दिया है.

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इस प्रदर्शन के दौरान ही हाल में एक दो माह की दुधमुही बच्ची की ठंड से मौत भी हो गई थी. इसके बावजूद बच्ची की मां फिर से आंदोलन में शामिल हो गई. इस मुद्दे को दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी जमकर भुनाया गया. 63 दिनों के अथाह संघर्ष के बाद अब जाकर सरकार से वार्ता की राह खुली है. उम्मीद जताई जा रही है कि शाहीन बाग के रास्ते इस वार्ता के बाद जल्दी ही खुल जाएंगे.

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