हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election-2019) की चौसर बिछ गई है और प्यादे भी अपनी-अपनी चाल चलने को तैयार हैं. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर 21 तारीख को चुनाव होने हैं. चुनावों के बीच प्रदेश में कुरुक्षेत्र जिले की पेहोवा विधानसभा सीट की कहानी अपने आप में ही बहुत कुछ कहती है. इस सीट से भाजपा कभी भी चुनाव नहीं जीत पाई है. यहां साल 991 के बाद से या तो कांग्रेस या फिर क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) का ही कब्जा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां इनोलो के जसविंदर सिंह संधू (Jaswinder singh sandhu) ने बीजेपी के जय भगवान शर्मा को 10 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था.

इस बार इस सीट से भाजपा के टिकट पर संदीप सिंह (Sandeep Singh) ने पर्चा भरा है. संदीप सिंह भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान हैं जिन्हें उनके शानदार खेल के लिए ‘फ्लिकर सिंह’ भी कहा जाता है. भारत ने 2009 में उनकी कप्तानी में 13 साल के अंतराल के बाद सुल्तान अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट जीता था. अब खास बात ये है कि जहां बीजेपी आज तक खाता तक नहीं खोल सकी, क्या वहां भाजपा के फ्लिकर सिंह गोल मार पाएंगे?

हालांकि बीजेपी इस सीट को अपने कब्जे में करने के लिए तरह तरह के राजनीतिक दांव पेच लगा रही है. संदीप सिंह को पेहोवा वि.स. सीट से खड़े करने का फैसला इसी रणनीति का हिस्सा है. इस सीट से संदीप सिंह को लड़ाने का फैसला बीजेपी ने इसलिए भी किया है क्योंकि राजनीति में एंट्री करने वाले संदीप सिंह कुरुक्षेत्र के शाहाबाद के एक छोटे सी जगह से संबंध रखते हैं जो सरस्वती नदी के लिए जाना जाता है. इस क्षेत्र का उल्लेख हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलता है. ऐसे में संदीप को एक पायलट कैंडिडेट नहीं बल्कि स्थानीय होने का फायदा मिल सकता है.

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कुरुक्षेत्र महाभारत युद्ध के दौरान से यह क्षेत्र अस्तित्‍व में है. यहां सरस्‍वती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्‍थल पृथुदक तीर्थ है. यहां की ऐतिहासिकता के बारे में कहा जाता है कि यह क्षेत्र स्‍कंध पुराण और वामन पुराण में दर्शाया गया है. पेहोवा तहसील का गठन 1979 में किया गया जिसके चलते इस क्षेत्र कई बड़े सरकारी विभागों के दफ्तर भी हैं. यहां के धार्मिक स्‍थलों में सरस्‍वती मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, पृथुदक तीर्थ, अरुणई मंदिर प्रमुख हैं.

पेहोवा विधानसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र जिले का हिस्‍सा होने के साथ कुरुक्षेत्र लोकसभा का हिस्‍सा भी है. इस विधानसभा सीट पर 1967 में स्‍वतंत्र पार्टी के सी.लाल पहले विधायक चुने गए थे. उन्‍होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के के.एम.सिंह को हराया. वर्तमान में यहां से इनोलो पार्टी के जसविंदर सिंह संधू विधायक हैं जिसकी इसी साल की शुरुआत में कैंसर की बीमारी के कारण उनका निधन हो गया था. उन्हें मैन ऑफ वर्ड्स और किसानों के मुद्दों को लेकर लड़ने के लिए पहचाना जाता रहा. लेकिन इस सीट पर उप चुनाव नहीं हो सका.

जसविंदर सिंह 1991, 1996 और 2000 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान इनेलो के टिकट से विधायक रह चुके थे. 2005 और 2009 में कांग्रेस नेता हरमोहिंदर सिंह ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया. 2014 के वि.स. चुनावों के चुनावों में एक बार फिर जसविंदर सिंह ने ये सीट इनेलो की झोली में ला पटकी.

बात करें संदीप सिंह की तो साल 2006 में एक ट्रेन में सफर के दौरान संदीप सिंह (33) दुर्घटनावश बंदूक की गोली की चपेट में आने से लकवाग्रस्त हो गए और दो साल व्हीलचेयर पर रहे. 26 सितंबर को ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी प्रेरणा है और राजनीति ज्वाइन करके संदीप सिंह देश की सेवा करना चाहते हैं.

एक सम्मान के तौर पर संदीप सिंह को यहां से उतारने का भाजपा का ये दांव काफी मजबूत है लेकिन संदीप सिंह को इस सीट से भाजपा नेता संदीप ओंकार (Sandeep Onkar) के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस सीट पर ओंकार सबसे प्रबल दावेदार थे लेकिन उन्हें पार्टी की तरह से नजरअंदाज किया गया. अब ओंकार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस की ओर पूर्व विधायक हरमोहिंदर सिंह के बेटे मनदीप सिंह चड्डा और इनोलो के सहयोगी दल दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने रणधीर सिंह को टिकट थमाया है.

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ऐसे में अब ये मुकाबला त्रिकोणीय से ज्यादा हो गया है. संदीप सिंह को चड्डा और रणधीर सिंह से ज्यादा टक्कर संदीप ओंकार की तरफ से मिलने वाली है क्योंकि स्थानीय तौर पर ओंकार इस क्षेत्र में पिछले लम्बे समय से काफी सक्रिय रहे हैं. खैर, संदीप सिंह के सहारे भाजपा पेहोवा विधानसभा सीट पर जो गोल मारने की तैयारी कर रहे हैं, इसमें वे कितने सफल रहते हैं, ये 24 अक्टूबर को पूरी तरह पता चल जाएगा.

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