जब चीनी सेना भारतीय सीमा में अंदर आई ही नहीं, तो उसके पीछे हटने की बात कहां से आई?

एलएसी को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं विपक्ष को, सरकार ने चीन द्वारा कब्जे को लेकर नहीं की कोई स्थिति साफ, अब सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है चीन की सेना पीछे हटी

भारत-चीन सीमा विवाद
भारत-चीन सीमा विवाद

पाॅलिटाॅक्स न्यूज़/भारत v/s चीन. इससे पहले की इस खबर के विस्तार में जाया जाए, पहले भारत चीन सीमा को 6 स्थितियों से समझना जरूरी है-

1. मीडिया के स्तर पर
2. सरकार के स्तर पर
3. लद्दाख के लोगों के स्तर पर
4. सेना के स्तर पर
5. विपक्ष के स्तर पर
6. चीन के स्तर पर

1. मीडिया के स्तर पर

सबसे पहले चर्चा करते हैं भारत चीन सीमा विवाद पर मीडिया की रिपोर्टिंग की. मई के महीने से ही मीडिया की रिपोर्टिंग इस बात पर फोकस थी कि चीन भारत के गलवान घाटी के उस क्षेत्र में आ बैठा है, जो भारतीय सीमा में आता है. उस समय मीडिया रिपोटर्स में चीन को सबक सिखाने की बात भी होती रही. यानि भारतीय मीडिया के अनुसार चीन के सैनिकों ने भारत की सीमा में प्रवेश करके वहां अवैध रूप से कब्जा जमाया.

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धीरे-धीरे मीडिया की रिपोर्टिंग बदली और यह बात कही जाने की कोशिश की गई कि चीन की सेना भारतीय सीमा के नजदीक अपने बंकर बनाने के साथ टेंट गाड रही है. आप कह सकते हैं कि भारत में तीन तरह की मीडिया है- एक सरकार के पक्ष में, दूसरी विपक्ष के पक्ष में और तीसरी स्वतंत्र मीडिया. हालांकि सभी में अंतर करना बहुत मुश्किल है, लेकिन खबरों को बारीकी से समझने वाले लोग इस अंतर को आसानी से समझते हैं.

पहले दो तरह की मीडिया की बात छोड़ दें तो स्वतंत्र मीडिया इस बात को तथ्यातमक तरीके से कह रहा है कि चीनी सैनिकों ने भारत की उस सीमा रेखा में प्रवेश किया है, जहां भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग के लिए आसानी से जाते थे. यह सीमा रेखा भारतीय अनुसार 8 किलोमीटर है. फिंगर 8 के पीेछे तक भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग करने जाते थे. पिछले एक साल में वहां तक चीन का रोड बन गया. चीन ने फिंगर 8 पर अपने सैनिकों का जमावड़ा कर दिया.

ग्राउंड जीरों के नाम पर भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग
जैसे ही चीन और भारतीय सेना के बीच तनाव शुरू हुआ. भारत की कई मीडिया ने ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग के नाम पर देशवासियों को झूठी खबरें परोसना शुरू कर दिया. हकीकत ये है कि कोई भी भारतीय मीडिया लद्दाख से आगे नहीं जा सकी. गलवान घाटी और पैंगाग झील की सारी रिपोर्टिंग लद्दाख में बैठकर की गई जबकि गलवान घाटी लद्दाख से 250 किलोमीटर की दूरी पर और पैंगाग झील 150 किलोमीटर की दूर स्थित है.

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लद्दाख के लोगों ने ही इस बात पर आपत्ति की कई मीडिया द्वारा उनके आस-पास के पहाड़ों को कैमरों में शूट करके उन्हें गलवान घाटी बताया जा रहा है, जो कि सही नहीं है. मीडिया रिपोटर्स की हकीकत यह है कि उन्होंने लद्दाख के होटलों की छत और आस-पास के पहाड़ो से रिपोर्टिंग की उसे गलवान घाटी और ग्रांउड जीरों बताया, जो सही नहीं था.

2. सरकार के स्तर पर

भारत के पक्ष को बारीकी से समझना होगा क्योंकि भारत की ओर से कभी भी सीमा उल्ल्घंन करने का मामला सामने नहीं आया है. गलवान घाटी में हुई घटना के समय भी भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को पीछे हटने की हिदायत देते रहे. हालांकि इस सवाल पर पूरी सरकार ने चुप्पी साध रखी है कि क्या चीनी सेना ने भारतीय सीमा में प्रवेश करके कब्जा किया है. यही एक वो सवाल है, जिसका जवाब ना तो रक्षा मंत्रालय से मिल रहा है और ना ही विदेश मंत्रालय से प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि ना तो कोई भारत की सीमा में घुसा है और ना ही किसी का हमारी पोस्ट पर कोई कब्जा है. चीनी सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को उसके पक्ष का आधार बनाया था. कुछ घंटे बाद ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान को विस्तृत करके बताया कि यह बयान भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिसंक झड़प के बाद की स्थिति का है.

3. लद्दाख के लोगों के स्तर पर

लद्दाख के लोगों का कहना है कि एक साल पहले तक लददाख के लोग गलवान घाटी और पैंगांग लेक के आस-पास के बने जिन क्षेत्रों तक जाया करते थे. उन क्षेत्रों पिछले कई महीनों से चीन के सैनिकों ने कब्जा जमा लिया है. भारत-चीन तनाव के बीच फिलहाल लद्दाख के लोगों पर उन स्थानों पर जाने की रोक लगाई गई है. यहां एक बात साफ है कि लददाख के लोगों ने समय-समय पर चीनी कब्जें को न सिर्फ महसूस किया बल्कि इस बात की जानकारी स्थानीय प्रशासन के पास भी रही.

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4. भारतीय सेना के स्तर पर

भारत और चीन के बीच एलएसी बनी हुई है. इसके आस-पास का दो किलोमीटर के एरिये को बफर जोन बनाया गया है जिसमें किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता है. 15 जून को हुई हिसंक झड़प इसी बफर जोन को चीनी सैनिकों से खाली कराने के लिए हुई थी. यहां यह बात उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में बनी एलएसी को लेकर काफी बड़ा विवाद है. गलवान घाटी के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर दोनों देश अपना दावा करते हैं. अभी हाल के ताजा घटनाक्रम को समझे तो भारत इस क्षेत्र में जिन स्थानों को अपना मानता है और जहां तक सेना की पेट्रोलिंग होती रही है. उसी क्षेत्र में चीनी सेना ने अपना जमावड़ा किया. चीन के कब्जे को भारतीय सेना स्वीकार नहीं कर रही है. यही कारण है, भारतीय सेना बार-बार पहले के समझौते के अनुसार चीन को व्यवहार करने की हिदायत दे रही है.

5. विपक्ष के स्तर पर

15 जून को हुई घटना के बाद से विपक्ष खास तौर से कांग्रेस ने सरकार पर हमलावर रूख अपना लिया. सरकार की ओर से जारी किए गए हर बयान पर सवाल किए गए. सरकार के मंत्री और बीजेपी की ओर इन सवालों का जवाब देने के बजाए इन्हें देश और सेना विरोधी बताने का प्रयास किया जाता रहा. विपक्ष का सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है? क्या चीनी सेना ने भारतीय सीमा पर कब्जा किया है? पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए बयान को लेकर कहा था कि उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए. इससे विदेश नीति प्रभावित होती है. इसके साथ ही विपक्ष चीन और नेपाल सीमाओं को लेकर विभिन्न स्थानों पर चल रहे तनाव से जुड़े कई सवाल उठाए लेकिन सरकार की ओर से उनके स्पष्ट जवाब नहीं दिए गए.

6. चीन की दृष्टि से

इस पूरे मसले पर चीन का रवैया बड़ा ही अजीब रहा है. पिछले कुछ महीने में चीनी सेना ने गलवान घाटी में ना सिर्फ आर्मी टेंट लगाए बल्कि वहां कई तरह के निर्माण भी किए. गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिसंक झड़प का भी बड़ा कारण यही था. भारतीय सैनिकों ने चीनी कब्जे का विरोध करते हुए उसे वहां से पीछे हटने के लिए कहा था, लेकिन चीनी सैनिकों ने अचानक हमला कर दिया. इसके बाद भारतीय सैनिकों को भी हमले का जवाब हमले से देना पड़ा.

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इस घटना के बाद चीन ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि पूरी गलवान घाटी उसकी है और उसके सैनिक पीछे नहीं हटेंगे. वहीं भारत ने भी स्पष्ट कर दिया कि भारत की एक इंच जमीन पर चीन को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा.

क्या है ताजा हालात

भारत चीन सीमा के बीच सैन्य सहित कई स्तर की बातचीत के बाद बार-बार यह बात सामने आती रही कि दोनों देश शांति से मसले का हल चाहते हैं. इसके साथ ही दोनों देश कए दूसरे को चेतावनी देने के साथ युद्व स्तर की तैयारियों में भी जुटे रहे सीमाओं पर सेनाओं की तैनाती हो चुकी है. दोनों देशों की सेनाओं को अलर्ट पर रखा गया है. इन सबके बीच भारतीय सेना की ओर से समझौते का सम्मान करने की बात स्पष्ट दिखाई दे रही है. वही चीन हर बार विवादित क्षेत्र में पूर्व की स्थिति को बहाल करने की बात तो करता है लेकिन उस पर अमल नहीं कर रहा है.

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क्या चीन ने भारतीय सीमाओं में प्रवेश किया?

अगर सारे पहलूओं पर नजर डालें तो यह बात साफ हो जाती है कि चीन गलवान घाटी के उन क्षेत्रों में घुसपैठ कर चुका है, जिन क्षेत्रों को भारत अपना मानता रहा तथा इन क्षत्रों में इतने बड़े विवाद की स्थिति कभी नहीं बनी. भारतीय सेना द्वारा चीन को बार-बार पीछे हटने की कवायद से भी समझा जा सकता है कि चीन सीमा समझौते का उल्लघंन कर रहा है.

गलवान घाटी का मसला हल नहीं हुआ, अब देपसांग में चीनी सैनिकों का जमावड़ा

15 जून को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिसंक झड़पों के बाद उपजा तनाव कई स्तर की बातचीत के बाद भी समाप्त नहीं हुआ. इस दौरान एक नई और बड़ी खबर सामने आ रही है. देपसांग इलाका दौलत बेग ओल्डी के अहम हवाई पट्टी से दक्षिण-पूर्व में 30 किलोमीटर दूर है. ये एक बॉटलनेक इलाका है. इसे वाई-जंक्शन भी कहा जाता है. इसका 18 किलोमीटर का इलाका भारतीय सीमा में है. बीते दो दिनों में चीन ने यहां बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं. इसके अलावा यहां सेना के भारी वाहन और सैन्य उपकरण भी देखे गए हैं. सेना की ओर से इस खबर की न तो पुष्टि की है और ही इनकार किया है.

साल 2013 में चीन ने लगाए थे यहां टेंट

देपसांग में ही साल 2013 में चीन ने कई टेंट लगा लिए थे जिसके चलते दोनों देशों के सैनिकों के बीच यहां झड़प भी हुई थी. बाद में बातचीत के बाद मामला सुलझ गया था और चीन के सैनिक वापस अपनी जगह चले गए थे. इसके बाद भारतीय सेना ने नया पेट्रोलिंग बेस तैयार किया था.

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