‘जादूगर’-‘महारानी’ के बीच सियासी जुगलबंदी की अटकलों पर एनकाउंटर टीम को शाबासी ने लगाई मुहर!

गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में कई सियासी घटनाक्रम ऐसे हुए हैं जिनसे लोगों में यह संशय उठने लगा है कि क्या हकीकत है और क्या सियासत?, विपक्ष में रहते हुए आनंदपाल एनकाउंटर को फर्जी बताकर सीबीआई जांच की मांग करने वाली कांग्रेस अपनी सरकार बनने पर उस टीम को बधाई और ईनाम दे रही है, इसके अलावा बंगला प्रकरण हो या सियासी संकट के समय की अप्रत्याशित चुप्पी, संशय पैदा करते हैं

राजनीति के 'जादूगर' और 'महारानी' के बीच सियासी जुगलबंदी की अटकलों पर मुहर!
राजनीति के 'जादूगर' और 'महारानी' के बीच सियासी जुगलबंदी की अटकलों पर मुहर!

Politalks.News/Rajasthan. ‘कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर, क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या?’ ये दो लाइन सागर खय्यामी साहब की मरुधरा की आज की राजनीति पर सटीक बैठती है. आज हम बात कर रहे हैं कि का उस सियासी चर्चा की, जिसने राजनीति के ‘जादूगर‘ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ‘महारानी‘ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच अंदरुनी सियासी जुगलबंदी की खबरों को हवा मिल रही है. गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में कई सियासी घटनाक्रम ऐसे हुए हैं जिनसे लोगों में यह संशय उठने लगा है कि क्या हकीकत है और क्या सियासत. आरएलपी के हनुमान बेनीवाल सहित कई नेता कभी दबी जुबान से तो कभी जोर-शोर से भी यह आरोप लगाते रहे हैं कि सीएम अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे एक ही हैं, दोनों के बीच सत्ता को लेकर सियासी गठजोड़ है, जिसके चलते दोनों नेता एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का काम करते हैं. ताजा मामले की बात करें तो वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुआ बहुचर्चित आनंदपाल एनकाउंटर की टीम को अब गहलोत सरकार में अवॉर्ड दिया जाना प्रदेश में एक बार फिर पेडोरा बॉक्स खोलने जैसा है, जिसने राजनीतिक गलियारों में उड़ती उक्त सियासी चर्चा पर मुहर लगाने का काम किया है.

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दरअसल, हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों को अवॉर्ड जारी किया है. गहलोत सरकार के इस फैसले से वसुंधरा राजे सरकार के दौरान किए गए इस एनकाउंटर पर कांग्रेस सरकार की मुहर माना जा रहा है. जबकि आपको बता दें कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने आनंदपाल एनकाउंटर को फर्जी बताया था और जांच की मांग की थी कांग्रेस ने फर्जी बताया था, वहीं अब कांग्रेस सरकार ने मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को अवॉर्ड देकर एनकाउंटर को सही ठहराया है. सबसे बड़ी बात अब तक तो कांग्रेस और बीजेपी के नेता चुप हैं, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश की सियासत में उबाल आना तय है क्या वसुंधरा सरकार के दौरान हुए गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर को विपक्ष में रहने के दौरान फर्जी बताने वाली कांग्रेस का सत्ता में आते ही इसके प्रति रुख बदल गया है. क्या ये सब नॉर्मल है या कोई बड़ी सियासत है.

आपको बता दें, अशोक गहलोत सरकार ने खूंखार गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाली टीम के 90 पुलिसकर्मियों को नकद पुरस्कार और 6 अफसरों और पुलिसकर्मियों को गैलेंट्री अवार्ड और प्रमोशन देने का फैसला किया है. सियासी गलियारों में सरकार के इस फैसले की जबर्दस्त चर्चा है. विपक्ष में रहकर एनकांउटर पर सवाल उठाने, चुनावी मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार ने वसुंधरा राज के दौरान हुए एनकाउंटर के सही होने पर मुहर लगा दी है.

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गौरतलब है कि बीजेपी की वसुंधरा सरकार के दौरान 26 जून 2017 को हुए आनंदपाल सिंह एनकाउंटर पर उस समय कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए इसकी CBI जांच की मांग की थी. उस समय राजपूत संगठनों और कांग्रेस के नेताओं ने आंदोलन किया था. आनंदपाल एनकाउंटर पर अशोक गहलोत, सचिन पायलट, प्रतापसिंह खाचरियावास, रघु शर्मा, राजेंद्र गुढ़ा सहित कई नेता थे. जिन्होंने लगातार सवाल उठाते हुए वसुंधरा सरकार को घेरा था, एनकाउंटर की CBI जांच की मांग की थी. कांग्रेस ने फरवरी 2018 में हुए अजमेर, अलवर लोकसभा सीट और मांडलगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में आनंदपाल एनकाउंटर को मुद्दा बनाया था. और जबरदस्त चुनावी जीत भी हासिल की थी. विपक्ष में रहते मुखर रहे कांग्रेस नेता अब सरकार के इस फैसले पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं. मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, रघु शर्मा ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. आनंदपाल एनकाउंटर के बाद आंदोलन की अगुवाई करने वाले बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा भी चुप हैं. परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास तो उस समय चूरू के मालासर भी गए थे जहां आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ था.

दूर तक जाएगी इस आदेश की गूंजपुलिस मुख्यालय से जारी हुए इस आदेश की गूंज सियासी हलकों में लंबे समय तक सुनाई देगी. लेकिन प्रदेश की सियासत में एक ये बात बार-बार कही जा रही है कि गहलोत और वसुंधरा में आंतरिक और जोरदार समझ वाला सियासी गठबंधन है. ये पहला मामला नहीं है जब ऐसा सुनने को मिल रहा है पहले भी कई बार ऐसे घटनाक्रम हुए हैं कि जिससे इस बात पर संशय गहराता है कि क्या हकीकत और क्या सियासत?

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अगस्त में हुए सियासी संकट के दौरान की चुप्पी पर सवाल
बीते साल गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान कांग्रेस-भाजपा नेताओं के बीच जब दबाकर सियासत जारी थी और एक दूसरे पर जमकर शब्द-बाण छोड़े जा रहे थे, तब भी इस पूरे प्रकरण पर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की खामोशी सुर्खियों में रही थी. वसुंधरा राजे की चुप्पी पर हनुमान बेनीवाल ने आरोप लगाया था था कि वसुंधरा राजे लगातार अशोक गहलोत की अल्पमत वाली सरकार को बचाने का पुरजोर प्रयास कर रही हैं वो लगातार कांग्रेस पार्टी में उनके नजदीकी विधायकों से बात भी कर रही हैं. विश्वास मत के दौरान भी बीजेपी के कुछ विधायकों के गायब होने की घटना को लेकर भी कई चर्चाएं हुई थी.

वसुंधरा राजे का बंगला रहा सुर्खियों में
वसुंधरा राजे को सिविल लाइंस वाला बंगला खाली नहीं करना पड़े इसके लिए गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक जाने के साथ कानून में ही संशोधन कर दिया था. हर ओर से मिल रही आलोचना की परवाह किए बगैर गहलोत सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है. सरकार की ओर से यह साफ किया गया कि वसुंधरा राजे को वरिष्ठ विधायक होने के नाते बंगला नंबर 8 दिया गया है. इस पूरे बंगला विवाद को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी ने आंदोलन तक किया था और बीजेपी छोड़कर कुछ दिनों के लिए कांग्रेस में चले गए थे. लेकिन गहलोत सरकार ने सारा जोर लगा दिया और राजे को अपना बंगला खाली नहीं करना पड़ा. राजस्थान सरकार की तरफ से अधिसूचना में कहा गया कि राजे अपने वर्तमान कार्यकाल के लिए बंगले में रहना जारी रख सकती हैं और अगर उन्हें विधायक के रूप में चुना जाता है तो फिर से रह सकती हैं. अधिसूचना में गहलोत सरकार ने घोषणा की है कि जब तक कोई पूर्व मुख्यमंत्री विधायक पद पर रहेगा, तब तक उसे टाइप वन श्रेणी का बंगला मिल सकता है.

टेक्नो हब पर दोनों के बीच हुआ था ‘थैंक्स गिविंग’
सीएम अशोक गहलोत ने सरकार बनने के बाद राजधानी जयपुर में बने भामाशाह टेक्नो हब और भामाशाह डाटा स्टडी सेंटर का अवलोकन किया था. अवलोकन के बाद सीएम अशोक गहलोत ने इसकी जमकर सराहना की थी. भामाशाह टेक्नो हब और भामाशाह डाटा स्टडी सेंटर को वसुंधरा राजे सरकार का प्राइम प्रोजेक्ट था. इस पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत को भामाशाह टेक्नो हब पर उनके द्वारा दिए गए बयान के लिए धन्यवाद दिया था. राजे ने ट्वीट में लिखा था हमारे प्रयासों को सराहने के लिए धन्यवाद गहलोत जी.

सियासी संकट, राजे का बंगला प्रकरण और टेक्नोहब के बाद अब आनंदपाल एनकाउंटर में शामिल पुकिसकर्मियों व अधिकारियों को ईनाम देने का गहलोत सरकार का ऐलान उन सियासी अटकलों को हवा देता है कि सियासत में कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर, क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या?, वैसे लगातार इन मामलों के साथ ही बयानबाजी में दोनों ही दिग्गजों के द्वारा आपस में सीधे टारगेट नहीं और सॉफ्ट क़ॉर्नर रखना भी चर्चा का विषय बना हुआ है.

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