स्पीकर ओम बिरला द्वारा सात सांसदों को लोकसभा सत्र से निलंबन की कार्रवाई को कांग्रेस ने बताया ‘तानाशाही वाला निर्णय’

सोमवार से लगातार दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहा विपक्ष, मंगलवार को ही चेतावनी दी थी ओम बिरला ने, अधीर रंजन ने कहा- चर्चा करने से डरती है सरकार, निलंबन का निर्णय सभापति का नहीं बल्कि सरकार की बदले की भावना

पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. लोकसभा में अनुशासनहीनता के चलते लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस के सात सांसदों को पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया. निलंबित होने वाले सांसदों में कांग्रेस सचेतक गौरव गोगोई का नाम भी शामिल है. मत संख्या 13 तथा 14 पर चर्चा के दौरान उक्त सांसदों ने अध्यक्ष पीठ से सभा की कार्यवाही से संबंधित कागजात छीन लिए और उन्हें हवा में उड़ा दिया. निलंबित सदस्यों पर कुछ कागज पीठासन सभापति के आसन की ओर फेंकने का भी आरोप है. इस पर स्पीकर ओम बिरला के निर्देश पर पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने उक्त सातों सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया और इसके तुरंत बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

यही नहीं निलंबित सातों कांग्रेस सांसदों की सदस्यता खत्म करने की मांग पर जांच समिति बनाने की मंजूरी भी स्पीकर ओम बिरला ने दे दी है. बता दें, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बीते मंगलवार को ही सदन में सभी सदस्यों को साफ हिदायत देते हुए कहा था कि सदन में किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कोई भी सदस्य ऐसा करता है तो मैं उसे पूरे सत्र के लिए निलंबित करूंगा. वहीं सदन स्थगन के बाद नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसे सभापति का नहीं बल्कि केन्द्र सरकार का फैसला बताते हुए निलंबन को तानाशाही वाला निर्णय बताया.

कार्यवाही के दौरान पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने कहा कि सदन में आज जब मत संख्या 13 तथा 14 पर चर्चा की शुरुआत हुई तब कुछ सदस्यों ने सभा की कार्यवाही से संबंधित कागज अध्यक्ष पीठ से छीन लिए और उनको उछाला गया. संसदीय इतिहास में ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संभवत: पहली बार हुआ है. उन्होंने कांग्रेस सांसदों के इस आचरण की निंदा करते हुए उक्त सात सांसदों को निलंबित करने का निर्णय सुनाया. निलंबित होने वाले सांसदों में गौरव गोगोई, टीएन प्रतापन, राजमोहन उन्नीथन, मणिकम टैगोर, बेनी बेहन, डीन कुरीकोस, गुरजीत सिंह औजला शामिल हैं.

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इससे पहले सोमवार से ही दिल्ली हिंसा पर सरकार से चर्चा और गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्ष हमलावर रहा है. गुरुवार को सदन की शुरुआत कोरोना वायरस पर चर्चा से हुई. जैसे ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बोलना शुरु किया, विपक्ष हंगामा करने लगा. हंगामे के चलते सदन दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा. सदन के दूसरे चरण में नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के गांधी परिवार पर टिप्पणी के चलते सदन में फिर हंगामा शुरु हो गया और दोपहर दो बजे तक सदन स्थगित करना पड़ा. तीसरे चरण में रमा देवी पीठासन सभापति के पद पर बिराजमान हुई और मत संख्या 13 तथा 14 पर चर्चा शुरु हुई. इसी समय कांग्रेस सदस्यों ने अध्यक्ष पीठ से सभा की कार्यवाही से संबंधित कागज छीन लिए और उनको हवा में उछाल दिए. साथ ही कुछ कागज के टुकड़े पीठासन सभापति की ओर भी फेंके गए. इसके बार सदन में दोनों ओर से हंगामा शुरु होने लगा. भारी हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई.

चौथे और अंतिम चरण में पीठासीन सभापति मीनाक्षी लेखी ने आते ही कांग्रेस के सांसदों के आचरण की निंदा करते हुए नियम क्रमांक 375 के तहत सातों सांसदों पर अनुशानहीनता की कार्रवाई करते हुए सदस्यों को पूरे बजट सत्र से निलंबित करने का निर्णय सुना दिया. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों गौरव गोगोई, टीएन प्रतापन, राजमोहन उन्नीथन, मणिकम टैगोर, बेनी बेहन, डीन कुरीकोस, गुरजीत सिंह औजला को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.

कांग्रेस सांसदों के निलंबन पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये स्पीकर का फैसला नहीं बल्कि केन्द्र की मोदी सरकार का फैसला है. उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ पूरा विपक्ष एक साथ है. हम झुकेंगे नहीं. सरकार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी. नेता प्रतिपक्ष ने लोकसभा सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि से निलंबित किए जाने की बदले की भावना से उठाया गया कदम करार दिया.

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सदन परिसर में मीडिया से रूबरू होते हुए चौधरी ने कहा कि सरकार के इस तानाशाही वाले निर्णय से पार्टी के सदस्य झुकने वाले नहीं हैं और वे दिल्ली हिंसा पर तत्काल चर्चा की मांग उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘आज हो हुआ, वो संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्मिंदगी की दास्तान है. हम देश की खातिर दिल्ली हिंसा पर चर्चा चाहते हैं. दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराने से सरकार क्यों डरती है? हम दो मार्च से मांग करते आ रहे हैं कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा शुरू कराई जाए. हिंसा से देश की छवि धूमिल हो रही है, लोगों की जान जा रही है और मजहबी दरार बढ़ती जा रही है’.

वहीं निलंबित कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार चाहे तो हमें एक साल के लिए निलंबित करा दे, लेकिन वह दिल्ली हिंसा पर चर्चा कराए और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाए.

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