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राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सरकार ने तीन विधेयक पारित करवा लिए. ये विधेयक हैं सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय एवं वितरण का नियमन) (राजस्थान) संशोधन विधेयक, राजस्थान मंत्री वेतन (संशोधन) विधेयक 2019 और राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक.

सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय एवं वितरण का नियमन) (राजस्थान) संशोधन विधेयक स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने पेश किया. विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में हुक्का बार का संचालन पूरी तरह बंद हो चुका है. अब कहीं भी इसका संचालन करते हुए पाए जाने पर मालिक को तीन साल तक की सजा हो सकती है. विधेयक पर विपक्ष ने भी कुछ संशोधन सुझाए. पक्ष-विपक्ष में हल्की नोकझोंक हुई. इसके बाद विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.

राजस्थान मंत्री वेतन (संशोधन) विधेयक 2019 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने पेश किया. इस विधेयक में प्रावधान है कि राज्य में मंत्री पद से हटने के बाद तय समय में सरकारी निवास खाली नहीं करेंगे तो उन पर 10 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा. पहले यह जुर्माना पांच हजार रुपए प्रतिदिन था. सरकार ने विधेयक पेश करते हुए इसे बढ़ाकर 10 हजार रुपए प्रतिदिन कर दिया है. इस तरह जुर्माने में करीब 60 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है.

शांति धारीवाल ने कहा कि पूर्व मंत्रियों के समय पर आवास खाली नहीं करने से नए मंत्रियों को आवास नहीं मिल पाते, इसलिए ऐसा कानून लाया गया है. भाजपा विधायकों ने इस कानून का विरोध करते हुए हंगामा किया. संयम लोढ़ा ने विपक्ष को घेरने का प्रयास किया. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आवास समय से खाली होने चाहिए, लेकिन इसके लिए जो समयावधि तय की गई है, उस पर फिर से विचार करने की जरूरत है. कई बार पारिवारिक परिस्थितियों के कारण तय समय पर आवास खाली करना संभव नहीं होता. ऐसे में इतना जुर्माना लगाया जाना सही नहीं है. यह कानून कभी न कभी हमारे लिए ही मुश्किल बनेगा.

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उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि इसके पीछे सरकार अपने विधायकों के बीच फैला असंतोष खत्म करना चाहती है. वासुदेव देवनानी, किरण माहेश्वरी और रामलाल शर्मा ने कहा, यह कानून तक तरह से अब तक रहे मंत्रियों को घेरने की कोशिश मालूम पड़ता है. इससे समाज में यह संदेश जा रहा है कि मंत्री मकान खाली करना नहीं चाहते.

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन कैबिनेट मंत्री की सुविधा और आवास देने का मामला उठा दिया. राजस्थान में भाजपा ने अपने कार्यकाल में यह संशोधित कानून पारित कराया था. लोढ़ा ने कहा कि पिछली सरकार ने यह कानून पारित कराया था, जिससे सरकार पर एक करोड़ रुपए प्रतिमाह का भार आएगा, जिसकी कोई जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि इसके तहत पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जयपुर में सरकारी बंगला मिला हुआ है. लोढ़ा के इतना कहते ही भाजपा के विधायक भड़क गए. कुछ विधायक आसन के सामने पहुंच गए. हंगामे के बीच ही पीठासान सभापति राजेन्द्र पारीक ने यह विधेयक पारित होने की घोषणा कर दी.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक पेश करते हुए इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पारदर्शिता की दृष्टि से लाया गया है. मूल अधिनियम में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) के कुलपति को ठीक से काम नहीं करने पर हटाने का प्रावधान था, जिसे बाद में संशोधन के जरिए हटा दिया गया था. वर्तमान में अधिनियम में आरयूएचएस के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में तो स्पष्ट प्रावधान है, लेकिन प्रक्रियाधीन जांच के दौरान अथवा जांच में दोष सिद्ध पाए जाने पर कुलपति के विरुद्ध कार्रवाई संबंधी कोई प्रावधान नहीं है.

रघु शर्मा ने कहा कि राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों कुलपति के विरुद्ध नियुक्ति में अनियमितताओं, वित्तीय कुप्रबंधन, प्रशासनिक दृष्टि से अनुचित निर्देश की स्थिति में यह वांछनीय है कि कुलपति को जांच प्रक्रिया के दौरान कुलपति पद के कर्तव्यों के निर्वहन से वंचित करने तथा निलंबन करने का अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान हो. इस विधेयक पर भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया.

भाजपा के रामप्रसाद कासनिया, अशोक लाहोटी, कालीचरण सराफ, वासुदेव देवनानी सहित कई विधायकों ने विधेयकों का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून कुलपति को सरकार की कठपुतली बनाने वाला है. भाजपा विधेयकों के विरोध के बीच विधेयक विधानसभा में पारित हो गया.

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