राहुल गांधी द्वारा 1984 के सिख दंगों की जिम्मेदारी लेना एक पॉलिटिकल स्टंट या ड्रामा!

अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि वे पार्टी की हर गलती की जिम्मेदारी उठाने को तैयार, बीजेपी ने किया तीखा प्रहार

rahul gandhi speech in brown university america
rahul gandhi speech in brown university america

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों सहित अन्य कांग्रेस राज में हुई अन्य गलतियों की जिम्मेदारी लेना स्वीकार किया है. अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वे इतिहास में पार्टी की हर एक गलती की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं, भले ही कोई घटना उनके राजनीति में आने से पहले की हो. इधर, भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सांसद के इस बयान को राजनीतिक ड्रामा करार दिया है. राहुल गांधी के इस बयान पर बीजेपी प्रवक्ता आरपी सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए यहां तक कह दिया कि अगर राहुल गांधी वाकई में जिम्मेदारी लेना चाहते हैं तो उन्हें तत्काल सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर और कमलनाथ को पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए.

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी अब न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में मजाक का पात्र बन चुके हैं. वहीं दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह सिखों के दर्द और गुस्से की अभिव्यक्ति थी. राहुल गांधी का बयान कोई माफी नहीं, बल्कि एक राजनीतिक ड्रामा था.

सिख युवक के सवाल पर दिया जवाब

वॉटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में आयोजित एक सत्र के दौरान एक सिख छात्र के तीखे सवालों के जवाब में राहुल गांधी ने उक्त बयान दिया. सिख युवक ने राहुल गांधी से पूछा, ‘आपने कहा था कि बीजेपी राज में सिखों को कड़ा पहनने और पगड़ी बांधने से रोका जा सकता है, लेकिन कांग्रेस ने खुद भी सिखों को अभिव्यक्ति की आजादी नहीं दी. क्या आप 1984 के दंगों सज्जन कुमार जैसे नेताओं को बचाने की पार्टी की भूमिका की जिम्मेदारी लेंगे?’

इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, ‘बहुत सी गलतियां तब हुईं, जब मैं राजनीति में नहीं था, लेकिन मैं कांग्रेस पार्टी द्वारा की गई हर गलती की जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं. मैंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि 1984 में जो हुआ वह गलत था. मैं कई बार स्वर्ण मंदिर जा चुका हूं और सिख समुदाय के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं.’ कांग्रेस नेता ने ये भी कहा कि बीजेपी के शासनकाल में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जो डर है, वह वास्तविक है.

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गौरतलब है कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद पूरे देश, विशेषकर दिल्ली में सिख समुदाय के खिलाफ भीषण हिंसा हुई थी, जिसमें हजारों की संख्या में सिखों ने जान गंवाई थी. 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में सिख समुदाय से माफी मांगी थी. इसके बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भी खेद जताया था. एक बार फिर राहुल गांधी ने इसे पार्टी की गलती मानते हुए इसकी जिम्मेदारी लेने की बात कही है. इससे पहले इंदिरा गांधी के शासनकाल में चुनाव से पहले देश में आपातकाल घोषित करने को भी राहुल गांधी ने गलती स्वीकार किया था. अब आशंका जताई जा रही है कि बीजेपी राहुल गांधी के इस बयान को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है.

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