प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए क्वारेंटीन अनिवार्य नहीं, RTE में भी बड़ी राहत- गहलोत

आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटों पर निशुल्क प्रवेश के लिए परिजनों की आय सीमा एक से बढ़ाकर की ढाई लाख, अधिकारी इसकी गहन मॉनिटरिंग करें कि क्वारेंटीन सेंटर्स में श्रमिकों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पडे़- गहलोत

Ashok Gehlot(1)
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पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. देशभर में कोरोना कहर के चलते ठप्प हुए काम धंधों का सबसे ज्यादा असर आने वाले समय की बच्चों की पढाई पर पडने वाला है. राजस्थान के संवेदनशील मुख्यमंत्री ने बच्चों को अच्छी पढाई मिल सके इसके लिए शुक्रवार को एक और महत्वपूर्ण कदम लिया है. इसके तहत अब आरटीई में प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर निशुल्क प्रवेश के लिए बच्चों के परिजनों की आय सीमा एक लाख रूपये से बढाकर ढाई लाख रूपये कर दी गई है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने एक ओर राहत देते हुए प्रदेश में लॉकडाउन के चलते फंसे लोगों को एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर 14 दिन के लिए क्वारेंटीन नहीं करने के निर्देश भी दिए.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जरूरतमंद बच्चों को अच्छी पढाई मिल सके इसके लिए निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 आरटीई एक्ट के तहत प्रदेश के गैर सरकारी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्बल वर्ग एवं असुविधाग्रस्त समूह के निशुल्क प्रवेश के लिए अभिभावकों की वार्षिक आय सीमा एक लाख रूपए के स्थान पर ढाई लाख रूपए करने को मंजूरी दी है.

मुख्यमंत्री गहलोत की इस स्वीकृति से प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम की भावना को मजबूती मिलेगी. आय सीमा बढ़ाने से दुर्बल वर्ग और असुविधाग्रस्त समूह के और अधिक बच्चे गैर सरकारी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश पा सकेंगे. सीएम गहलोत के इस निर्णय से बड़ी संख्या में इस वर्ग के वे बच्चे भी बड़े एवं नामी निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे जो गत सरकार द्वारा अभिभावकों की आय सीमा ढ़ाई लाख रूपए सालाना से घटाकर एक लाख रूपए करने के कारण वंचित हो गए थे.

गौरतलब है कि बीते दिनों शिक्षा विभाग की वीडियो कांफ्रेंस में सीएम गहलोत ने इस बात पर बल दिया था कि निशुल्क शिक्षा एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की भावना के अनुरूप जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को लाभ दिए जाने की जरूरत है. सीएम गहलोत ने इस दौरान इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि अभिभावकों की आय सीमा घटाने के फैसले के कारण जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को गैर सरकारी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है, जो कि इस अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को अपने निवास पर प्रवासियों के सुरक्षित आवागमन, क्वारेंटीन एवं शिविरों की व्यवस्था को लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक ली. इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि करीब दो माह से चल रहे लॉकडाउन की पीड़ा झेल रहे प्रवासियों एवं श्रमिकों को संबल देने के लिए क्वारेंटीन शिविरों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना हम सबकी जिम्मेदारी है. सीएम गहलोत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे श्रमिकों की तकलीफ को समझें और क्वारेंटीन सेंटरों में रह रहे इन श्रमिकों के लिए बेस्ट प्रैक्टिसेज लागू करें, ताकि संकट की इस घड़ी में उन्हें राहत मिल सके. ग्राम स्तरीय क्वारेंटाइन समितियों तक भी इन नवाचारों को पहुंचाया जाए.

मुख्यमंत्री गहलोत ने आगे कहा कि लोगों के जीवन की रक्षा करना और मुसीबत के समय में प्रवासियों की पीड़ा को कम करना हमारा ध्येय होना चाहिए. अधिकारी इसकी गहन मॉनिटरिंग करें कि क्वारेंटीन सेंटर्स और शिविरों में श्रमिकों को किसी परेशानी का सामना नहीं करना पडे़. सीएम गहलोत ने आगे निर्देश दिए कि हॉट-स्पॉट और कफ्र्यू एरिया को छोड़कर प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले में जाने वाले व्यक्तियों को 14 दिन के लिए क्वारेंटीन नहीं किया जाए. केवल उन्हीं लोगों को क्वारेंटीन करें, जिनमें सर्दी, खांसी या जुकाम के लक्षण पाए जाएं. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने निर्देश दिए कि सीमावर्ती जिलों के औद्योगिक क्षेत्रों जैसे भिवाड़ी, नीमराणा आदि में प्रतिदिन व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आने वाले दूसरे राज्यों के उद्यमियों एवं श्रमिकों को भी क्वारेंटीन नहीं किया जाए.

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लोगों ने मास्क को दिनचर्या का हिस्सा बनाया यह अच्छा संकेत

सीएम गहलोत ने आगे कहा कि लोगों ने मास्क लगाने को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है, यह अच्छा संकेत है. लोगों में कोरोना को लेकर अब जागरूकता आने लगी है. इससे ही हम लॉकडाउन में और अधिक छूट देने तथा जीवन रक्षा के लिए तैयार हो सकेंगे. लोगों के ये सकारात्मक प्रयास ही इस लड़ाई से जीतने में मददगार होंगे.

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