हरियाणा (Haryana) में विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर कांग्रेस ने पार्टी नेताओं के अंदरूनी मतभेद दूर करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar) के बीच भारी मतभेद चल रहे हैं. पांच साल पहले राहुल गांधी ने अशोक तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था. इन दिनों हुड्डा और तंवर के बीच भारी खींचतान चल रही है, जिससे विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं पर विपरीत असर पड़ सकता है. हुड्डा लंबे समय से अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे हैं.

कांग्रेस महासचिव हरियाणा के प्रभारी गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) ने हाल ही प्रदेश के प्रमुख नेताओं से बातचीत की है और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को भी परिस्थितियों से अवगत कराया है. इसके बाद तंवर को हटाने की संभावना मजबूत हो गई हैं. आजाद ने जिन नेताओं से विचार विमर्श किया है, उनमें हुड्डा और तंवर के अलावा कांग्रेस कार्यकारिणी सदस्य कुमारी शैलजा, विधायक दल की नेता किरण चौधरी, वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) और अजय यादव शामिल हैं. इन बैठकों को हरियाणा में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

आजाद नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर सभी गुटों में सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं. कुमारी शैलजा के नाम पर सर्वसम्मति नजर आ रही है. कुमारी शैलजा (Kumari Selja) दलित नेता हैं और पार्टी में वरिष्ठ भी हैं. उनको प्रदेशाध्यक्ष बनाने से हरियाणा में पार्टी के अंदरूनी मतभेद दूर हो सकते हैं. शैलजा के अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला और अजय यादव भी प्रदेशाध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फिलहाल कुमारी शैलजा का नाम तय नहीं हुआ है. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा या उनके पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा (Deependra Hooda) को भी प्रदेशाध्यक्ष बनाने पर विचार किया जा रहा है.

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एक कयास यह भी है कि कांग्रेस हाईकमान भूपेन्द्र हुड्डा की पार्टी पर दबाव बनाने की नीति से खुश नहीं है. हाल ही में रोहतक की रैली में हुड्डा ने बगावती तेवर दिखाए थे, जिससे पार्टी हाईकमान सतर्क भी है. एक संभावना यह भी है कि हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है, भले ही विधानसभा का कार्यकाल कुछ ही दिनों में समाप्त हो रहा हो. कांग्रेस हाईकमान का मानना है कि हुड्डा को महत्व देना जरूरी है, जिससे कि वह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार से पीछे न हटें.

सूत्रों ने बताया कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) का पुनर्गठन किया जा सकता है. और प्रमुख नेताओं को सामूहिक जिम्मेदारी के आधार पर चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. कांग्रेस हाईकमान को पूरा भरोसा है कि बगावती तेवर दिखाने के बावजूद हुड्डा कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे.

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