प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार सदस्या ने उठाया केंद्रीय बजट पर सवालिया निशाना, बजट को बताया निराशाजनक

पीएम की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंन्सिल की पार्ट-टाइम मेंबर हैं आशिमा गोयल, बजट में 'स्लोडाउन' शब्द का इस्तेमाल नहीं होने पर बताया आश्चर्यजनक

आशिमा गोयल
आशिमा गोयल

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. केंद्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और अर्थव्यवस्था की गिरती दर पर विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी के कई नेता और ब्यूरोक्रेसी के अधिकारी भी कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य आशिमा गोयल (Aashima Goel) का नाम भी शामिल हो गया है जिन्होंने हाल में पेश किए गए केंद्रीय बजट पर सवाल उठाया है. यही नहीं, गोयल ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट को निराशाजनक भी बताया. हालांकि, गोयल ने वित्तीय घाटे के लक्ष्य में ढील देने और आयकर को सरल बनाने के उपायों को सकारात्मक बताया.

रविवार को हुए एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक (पार्ट-टाइम) सदस्य आशिमा गोयल ने आम बजट को निराशाजनक और दूरदर्शिता की कमी वाला बताया. उन्होंने न केवल बजट में दूरदर्शिता की कमी बताया, बल्कि बजट भाषण में ‘स्लोडाउन’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होने पर भी आश्चर्यजनक बताया. गोयल ने कहा कि इस बात पर कोई बात नहीं हुई कि इस बार का बजट स्लोडाउन से निपटने में कैसे मददगार होगा. बजट बनाने की प्रक्रिया के दौरान स्लोडाउन शब्द के इस्तेमाल को लेकर वित्तमंत्री सीतारमण दुविधा में थीं, क्योंकि इससे कोई नाराज हो सकता था. हालांकि, वित्त मंत्री संतुलन बनाने में कामयाब रहीं.

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गोयल ने बजट के लक्ष्यों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि रेवेन्यू के लक्ष्य में इजाफा बहुत ज्यादा है. उन्होंने सब्सिडी के मॉडल पर भी फिर से विचार करने की जरूरत बताई. इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंन्सिल मेंबर ने खाद्य सब्सिडी पर जोर देते हुए कहा कि लोगों के उपभोग की आदतें बदल चुकी हैं.

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रहने का अनुमान है. जीडीपी की यह दर पिछले 11 सालों में सबसे निचले पायदान पर होगी. घरेलू खपत में कमी और वैश्विक वजहों से ग्रोथ में लगातार गिरावट आ रही है. सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 4.5 फीसदी रह गई थी. वहीं यूपीए सरकार में जीडीपी रिकॉर्ड के अनुसार 9 फीसदी से अधिक रही थी.

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