लगातार जारी है मायावती का ट्वीटर वॉर, निशाने पर है राजस्थान की गहलोत सरकार

सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में शामिल होने से किया इनकार, गहलोत के साथ प्रियंका भी लगातार निशाने पर, मायावती की नाराजगी मध्यप्रदेश में नहीं हिला दे कमलनाथ का सिंहासन

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में बसपा के सभी 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय हो जाने के बाद से बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के प्रति कड़ा रूख इख्तियार कर रखा है. बसपा विधायकों के पिछले साल 16 सितंबर की देर रात कांग्रेस में चले जाने के बाद मायावती ने ट्वीटर के जरिए कांग्रेस और गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला जो आज तक अनवरत जारी है. यहां तक कि सोमवार को दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में सोनिया गांधी के नेतृत्व में हुई विपक्ष की एकजुटता वाली बैठक में मायावती शामिल नहीं हुईं और इसका कारण राजस्थान सरकार को बताते हुए बसपा सुप्रीमो ने लगातार तीन ट्वीट किए.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार सुबह एक के बाद एक तीन टवीट करतेे हुए लिखा, जैसा कि विदित है कि राजस्थान कांग्रेस सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है.

वहीं दूसरे टवीट में लिखा, ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी.

इसके बाद तीसरे टवीट में लिखा, वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है. केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले. साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण.

सोमवार को यह पहला मौका नहीं था जब मायावती ने ट्वीटर वॉर कर कांग्रेस पर अपनी भडास निकाली हो. इससे पहले 10 जनवरी को उत्तर प्रेदश की राजनीति में काफी सक्रिय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की अल्प समय की जयपुर यात्रा पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और लिखा- बीएसपी किसी भी मामले में कांग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियों की तरह अपना दोहरा मापदण्ड अपनाकर घटिया राजनीति नहीं करती है. जिसके कारण ही आज पूरे देश में हर तरफ किसी ना किसी मामले को लेकर हिंसा, तनाव व अशान्ति आदि व्याप्त है.

वहीं दूसरा टवीट करते हुए लिखा था, लेकिन ऐसे माहौल में भी अन्य पार्टियों की तरह कांग्रेस पार्टी भी अपने आपको बदलने को तैयार नहीं है, जिसका ताजा उदाहरण कांग्रेसी शासित राजस्थान के कोटा अस्पताल में वहाँ सरकारी लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में मासूम बच्चों की हुई मौत का मामला है.

तीसरा टवीट करते हुए लिखा था, अर्थात् कांग्रेस की नेता यूपी में तो आए दिन यहाँ घड़ियालू आँसू बहाने आ जाती है. लेकिन राजस्थान में कल वह अपने निजी कार्यक्रम के दौरान अपना थोड़ा भी समय कोटा में उन बच्चों की मांओं के आँसू पोछने के लिए देना उचित नहीं समझती है. जबकि वह भी एक माँ है जो यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है.

मायावती ने 2 जनवरी को राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में हुई नवजात बच्चों की मौत पर भी गहलोत सरकार व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर हमला करते हुए टवीट कर लिखा था, कांग्रेस शासित राजस्थान के कोटा जिले में हाल ही में लगभग 100 मासूम बच्चों की मौत से माओं का गोद उजड़ना अति-दुःखद व दर्दनाक, तो भी वहाँ के सीएम श्री गहलोत स्वयं व उनकी सरकार इसके प्रति अभी भी उदासीन, असंवेदनशील व गैर-जिम्मेदार बने हुए हैं, जो अति-निन्दनीय.

वहीं दूसरा टवीट कर लिखा था, किन्तु उससे भी ज्यादा अति दुःखद है कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर महिला महासचिव की इस मामले में चुप्पी साधे रखना. अच्छा होता कि वह यू.पी. की तरह उन गरीब पीड़ित माओं से भी जाकर मिलती, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही आदि के कारण उजड़ गई हैं.

तीसरे टवीट में लिखा था, यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की माओं से नहीं मिलती हैं तो यहाँ अभी तक किसी भी मामले में यू.पी. पीड़ितों के परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाजी ही मानी जायेगी, जिससे यू.पी. की जनता को सर्तक रहना है.

मायावती ने पिछले महिने 28 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी के स्थापना दिवस पर कांग्रेस द्वारा देशभर की राजधानियों में कांग्रेस द्वारा केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में निकाये गये पैदल मार्च और दिए गये नारे भारत बचाओ, संविधान बचाओ की जमकर आलोचना की थी.

याद दिला दें, 16 सितंबर 2019 की देर रात अचानक राजस्थान के सभी 6 बसपा विधायकों ने बसपा छोडकर कांग्रेस में विलय कर लिया था. सभी विधायकों ने 16 सितंबर की रात को ही राजस्थान विधानसभा पहुंचकर स्पीकर सीपी जोशी को अपना विलय पत्र सौंपा था जिसको स्पीकर सीपी जोशी ने उसी समय मंजूरी दे दी थी. इसके ठीक अगले दिन यानी 17 सितंबर को मायावती ने ट्वीटर के जरिए इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर जमकर भडास निकाली थी, और यहीं से मायावती की कांग्रेस के प्रति नाराजगी व ट्वीटर वार की शुरूआत हुई थी.

उस समय मायावती ने टवीट कर लिखा था, राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बीएसपी के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है. यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है जो दोबारा तब किया गया है जब बीएसपी वहाँ कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी.

वहीं दूसरा टवीट करते हुए लिखा था, कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं. कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है.

तीसरे टवीट में लिखा था, कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही. इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया. अति-दुःखद व शर्मनाक.

बता दें, ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कांग्रेस ने बसपा के विधायकों का विलय अपनी पार्टी में किया हो. इससे पहले भी गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये थे. ऐसे में कांग्रेस इन दिनों मायावती के दोहरे गुस्से को झेल रही है. इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश में पिछले काफी समय से सक्रिय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बसपा सुप्रीमो मायावती के निशाने पर हैं और प्रियंका पर उनका ट्वीटर वॉर जारी है.

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सोमवार को दिल्ली में हुई कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टीयों की बैठक में उनके शामिल नहीं होने से तो यही जाहिर होता है कि मायावती अब कांग्रेस से आर-पार की लडाई लडने के मूड में है. अब आने वाले समय में देखने वाली बात यह होगी कि राजस्थान में अपनी सत्ता के बहुमत को मजबूत करने के लिए जिस कांग्रेस ने बसपा के सभी छह विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है उस कांग्रेस को मायावती के गुस्से का अभी कहां-कहां सामना करना पड़ेगा. सनद रहे, मायावती की यह नाराजगी मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिरा तो नहीं सकती लेकिन सिंहासन को हिला जरूर सकती है.

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