यूपी: बसपा की जमीं मजबूत करने के लिए मायावती ने उतारी वरिष्ठ धुरंदरों की अनुभवी टीम

बीजेपी और प्रियंका गांधी को रोकने के लिए खड़ी की जा रही अनुभवी फौज, 2017 के चुनावों में महज़ 19 सीटों पर सिमट गई थी बसपा, आधा दर्जन से अधिक बार संगठन को बदल चुकी है मायावती

मायावती
मायावती

PoliTalks.News. बहुजन समाज पार्टी की ओर से 2012 में मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद मायावती उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर अपनी जमीन तलाश करने में नाकामयाब रही है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में बसपा उतना अच्छा नहीं कर पाई है. 403 सीटों वाली यूपी विधानसभा में बसपा 2012 के विधानसभा चुनाव में 80 और 2017 के चुनावों में 19 सीटों पर सिमट गई. लोकसभा में भी पार्टी इतना अच्छा नहीं कर पाई. अब अपनी पुरानी जमीन तलाशने के लिए बसपा चीफ मायावती ने फिर से अपने उन वरिष्ठ नेताओं पर फिर से भरोसा जताया है जो कई वर्षों से उपेक्षि‍त होकर दूसरे प्रदेशों के प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे. अपनी सरजमीं पर फिर से मजबूत पैठ जमाने के लिए मायावती ने पुराने नेताओं की अनुभवी धुरंदरों की टीम मैदान में उतारी है और उन्हें फि‍र से मंडलों में बसपा की संगठनात्मक जिम्मेदारी दी गई है.

2012 के विधानसभा चुनाव से यूपी की सत्ता से बाहर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं. अगले विधानसभा चुनाव के लिए केवल डेढ़ साल का समय शेष है, इसे देखते हुए मायावती ने नए सिरे से बसपा संगठन को तैयार करना शुरू किया है. यही वजह है कि मायावती बसपा को यूपी में दोबारा खड़ा करने की मंशा लेकर आधा दर्जन से अधि‍क बार संगठन को बदल चुकी हैं. मायावती ने कई मंडलों पर सेक्टर प्रभारियों की व्यवस्था समाप्त कर मंडल स्तर पर मुख्य सेक्टर प्रभारियों की तैनाती की है. इसके अलावा मंडलों को दो हिस्सों में बांट कर उनमें अलग अलग सेक्टर प्रभारी और जिला स्तर पर भी सेक्टर प्रभारी तैनात किए हैं.

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लखनऊ मंडल के लिए बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा, एमएलसी भीमराव आंबेडकर, शमशुद्दीन राइन और राजकुमार गौतम को मुख्य सेक्टर प्रभारी बनाया गया है. ये सभी मुख्य सेक्टर प्रभारी मंडल की सभी संगठनात्मक गतिविधि‍यों पर नजर रखते हुए बसपा की मजबूती के लिए काम करेंगे. इनकी सहायता के लिए लखनऊ मंडल में तीन-तीन जिलों पर अलग-अलग दो टीम होंगी. पहली टीम में लखनऊ, उन्नाव और रायबरेली शामिल हैं. इन तीन जिलों में महेंद्र सिंह जाटव, विनय कश्यप और सलाहुद्दीन सिद्दीकी को सेक्टर प्रभारी के रूप में तैनात किया गया है.

इसी तरह हरदोई, लखीमपुर खीरी और सीतापुर के दूसरी टीम बनाई गई है. इस टीम में डाक्टर विनोद भारती, रणधीर बहादुर और अखि‍लेश आंबेडकर सेक्टर प्रभारी बनाए गए हैं. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर को प्रयागराज मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है. इन सभी नेताओं को बूथ पर बसपा के संगठन को मजबूत करने के साथ बीजेपी सरकार की नीतियों के खि‍लाफ लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है. बसपा के एक राष्ट्रीय महामंत्री बताते हैं कि मायावती ने सभी सेक्टर प्रभारियों को गांव में रात गुजारकर दलितों, पिछड़ों के साथ संवाद बनाकर उन्हें भाजपा सरकार की गलत नीतियों की जानकारी देने और उनसे बसपा के बारे में फीडबैक लेने का निर्देश दिया है ताकि पार्टी अपनी अगली रणनीति तय कर सके.

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इनमें से अधिकांश नेता वरिष्ठ नेता के तौर पर जाने जाते हैं. इनमें से कुछ वे भी हैं मायावती के चारों कार्यकाल में पार्टी के संगी साथी रहे हैं. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जबरदस्त पटखनी खाने के बाद मायावती कोई ढील या मौका नहीं छोड़ना चाहती. इस बार बसपा का मुकाबला सत्ताधीन बीजेपी सरकार के साथ सपा और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में यूपी में मजबूत होती जा रही कांग्रेस से भी है. माना यही जा रहा है कि प्रियंका जिस तरह आगे बढ़कर कांग्रेस का नेतृत्व कर रही है, वो योगी के बाद नंबर दो नेता बनकर उभर रही है. ऐसे में मायावती का सीधा मुकाबला प्रियंका गांधी से ही हो रहा है. दोनों नेताओं में परिपाठी का अंतर काफी बड़ा है और इसी अंतर को पाटने के लिए मायावती अपनी अनुभवी टीम को काम पर लगा रही है ताकि प्रियंका को अनुभव से मात दी जा सके.

इन सेक्टर प्रभारियों के हवाले मंडल

  • अलीगढ़- मुनकाद अली और रणवीर सिंह कश्यप.
  • आगरा- मुनकाद अली और सुमि‍त जैन.
  • कानपुर- आरएस कुशवाहा, बौ़द्ध प्रिय गौतम और हेमेंद्र प्रताप सिंह
  • प्रयागराज- रामअचल राजभर, डॉ. राम कुमार कुरील, डॉ. अशोक गौतम और टिकेस गौतम.
  • वाराणसी- नौशाद अली, मदन राम और रामचंद्र गौतम.
  • आजमगढ़- नौशाद अली, मदन राम और हरिश्चंद्र गौतम.
  • गोरखपुर- घनश्याम चंद्र खरवार और सुधीर कुमार.
  • मुरादाबाद- गिरीश चंद्र जाटव और शम्सुद्दीन राइनी.
  • सहारनपुर- शम्सुद्दीन राइन.
  • मिर्जापुर- रामकुमार कुरील और आशोक गौतम.
  • बस्ती- घनश्याम चंद्र खरवार.
  • फैजाबाद- घनश्याम चंद्र खरवार और दिनेश चंद्रा.
  • देवीपाटन- ब‍लिराम और इंदलराम.
  • मेरठ- शम्सुद्दीन राईनी.
  • बरेली- गिरीश चंद्र जाटव और शम्सुद्दीन राईनी.
  • झांसी- लालाराम अहिरवार, बृजेश जाटव, भूपेंद्र आर्या और रविकांत मौर्य.
  • चित्रकूट- लालाराम अहिरवार, मधुसूदन कुशवाहा और जितेंद्र शंखवार.

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