राजस्थान (Rajasthan) में क्या हो रहा है? पुलिस निकम्मी बन गई है या अपराधियों को वारदात करने की छूट दे दी गई है. जयपुर में एक अखबार वितरक की हत्या के मामले में पुलिस को जो सांप्रदायिक पक्ष दिखा, वह चौंकाने वाला रहा. पुलिस ने हत्यारे के खिलाफ सख्ती करने की बजाय उससे सहानुभूति दिखाई, जिससे लोग भड़क गए. पुलिस ने उलटे प्रदर्शऩ करने वालों पर लाठियां भांजी. रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को खदेड़ा. फोटो खींच रहे फोटोग्राफर को पीट दिया. पुलिस की ज्यादती सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यह विवाद थमा भी नहीं था कि शुक्रवार सुबह अलवर जिले के बहरोड़ पुलिस थाने (Behror Police Station) से कुछ लोग अंधाधुंध गोलियां चलाकर, पुलिस को धमकाकर एक दुर्दांत अपराधी को छुड़ा ले गए.

जयपुर पुलिस (Jaipur Police) का रवैया अजीबो गरीब रहा. एक व्यक्ति ने अखबार वितरक को कुल्हाड़ी से काट दिया और पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती करवा कर रहा कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है. क्या मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को हत्या करने का हक मिला हुआ है? मुख्यमंत्री गहलोत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं, जिसकी खबरें अखबारों में छपती रहती हैं. इससे यह लगता है कि मुख्यमंत्री को प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी फिक्र है. गहलोत पुलिस अफसरों को सीख भी देते होंगे कि पुलिस को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए? क्या उनकी सीख यह है कि दुर्दांत अपराधी को थाने से भागने देना चाहिए, या अखबार वितरक को कुल्हाड़ी से काट देने वाले के खिलाफ तत्काल प्रभाव से हत्या का मामला दर्ज नहीं करना चाहिए?

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राजस्थान में कानून-व्यवस्था की स्थिति विकट है. मुख्यमंत्री गहलोत राज्य के गृहमंत्री भी हैं और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर बुरी तरह फेल साबित हो रहे हैं. जयपुर की घटना पुलिस की आम आदमी के खिलाफ बर्बरता का उदाहरण पेश करती है, जबकि बहरोड़ की घटना पुलिस के नाकारापन की मिसाल है. किसी की हत्या होने पर उसके परिजन जब न्याय की मांग करते हैं तो पुलिस लाठी चलाती है, उनके साथ अमानवीय व्यवहार करती है और जब एक थाने से कुछ लोग अपराधी को छुड़ाने पहुंचते हैं तो उसके सामने समर्पण की मुद्रा में आ जाती है. क्या लोग पुलिस पर भरोसा कर सकते हैं?

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बहरोड़ (Behror) का घटनाक्रम इस प्रकार है. शुक्रवार तड़के करीब 3.20 बजे पुलिस ने एक गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें सवार तीन लोग भागने लगे. एक पुलिस की पकड़ में आ गया. वह हरियाणा का कुख्यात अपराधी विक्रम गुर्जर उर्फ पपला था. उसने पुलिस को अपना गलत नाम बताया. खुद को प्रॉपर्टी कारोबारी साहिल के रूप में पेश किया. पुलिस ने सुबह पांच बजे बाद उसे थाने लाकर हवालात में बंद कर दिया. शुक्रवार सुबह करीब 8.20 बजे थाने के सामने तीन गाड़ियां रुकी उनमें करीब 15 लोग सवार थे. सात-आठ थाने में घुसे और गोलियां चलानी शुरू कर दी.

अचानक हुए इस हमले से थाने में मौजूद तमाम पुलिस कर्मी बचने की कोशिश करते दिखे. कुछ यहां-वहां छिपे, कुछ दीवार लांघकर भागे. थाना अधिकारी सुगन सिंह अपने कक्ष में बैठे थे. हमला होने पर वह पिछले दरवाजे से निकल गए. कक्ष के दरवाजे पर काली फिल्म लगी होने से वह हमलावरों को नहीं दिखे. हमलावर चिल्ला रहे थे, जो भी दिखे, गोली से उड़ा दो. कुछ ही देर में वे पपला को हवालात से छुड़ा ले गए. पपला को छुड़ा कर ले जाने में उन्हें सात मिनट से ज्यादा समय नहीं लगा. एके-47 से फायरिंग करते हुए अपराधी को थाने से छुड़ा ले जाने का यह राजस्थान में पहला मामला है.

पपलू हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के खेतली गांव का रहने वाला है. महेन्द्रगढ़ पुलिस उसे 8 सितंबर, 2017 को अदालत में पेशी के लिए ले जा रही थी, तब उसके साथी उसे छुड़ा ले गए थे. तब भी पपला के साथियों ने पुलिस पर फायरिंग की थी और चार पुलिस कर्मियों को गोली लगी थी. उसके बाद से वह फरार थी. हरियाणा के मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में उसका नाम शामिल है. उस पर पांच लाख रुपए का इनाम है. वह अनायास ही राजस्थान पुलिस की पकड़ में आ गया था, लेकिन गलत नाम बताने से पुलिस गफलत में रही. पुलिस ने उसके पास से 31.90 लाख रुपए नकद बरामद किए थे.

क्या पुलिस अधिकारी लालच में आ गए थे? खबर है कि पुलिस अधिकारी ज्यादा रकम ऐंठने के लिए सौदेबाजी में लगे रहे. पपला ने छोड़ने के बदले 35 लाख रुपए देने की बात कही थी. इस पर पुलिस अधिकारियों ने पपला को साथियों से संपर्क करने के लिए अपना मोबाइल फोन दे दिया. पपला को अपने साथियों से संपर्क करने का मौका मिल गया. उसके बाद जो हुआ, वह सबके सामने है. पुलिस ने रोजनामचे में साहिल उस्मान के नाम से रिपोर्ट लिखी थी.

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पपला को छुड़ाकर भागे लोगों ने अपनी कार रास्ते में छोड़कर एक पिकअप गाड़ी लूटी. उसके बाद उसे भी छोड़कर एक और अन्य गाड़ी पर कब्जा किया, फिर हरियाणा सीमा पर उस गाड़ी को भी वहीं छेड़कर खेतों से पैदल भाग निकले. हमले के बाद हतप्रभ पुलिस ने पीछा किया, लेकिन कोई भी पकड़ में नहीं आया. पुलिस को दोष नहीं दिया जा सकता. पुलिस भले ही अपराधियों को पकड़ न सके, लेकिन पीछा तो करती ही है. बच्चों में चोर-पुलिस का खेल ऐसे ही लोकप्रिय नहीं हुआ है.

बहरहाल डीजीपी भूपेन्द्र सिंह (DGP Bhupendra Singh) बहरोड पहुंचे हुए हैं. भारी पुलिस बल भेजा गया है. घटना की एसआईटी से जांच की घोषणा हो चुकी है. सांप निकल गया, लकीर पीटने का काम हो रहा है. मुख्यमंत्री गहलोत की तरफ से इस घटना पर प्रतिक्रिया नहीं आई है. यह राजस्थान में कानून-व्यवस्था की तस्वीर है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने बहरोड़ की घटना पर गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने ट्वीट किया है कि इस घटना से प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. विधानसभा में भाजपा विधायक दल के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कहा कि प्रदेश में अराजकता की स्थिति है. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) और विधायक कालीचरण सराफ (Kalicharan Saraf) ने मुख्यमंत्री गहलोत से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है.

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