बीजेपी सांसद डॉ.किरोड़ीलाल मीणा ने आज राज्यसभा में आदिवासियों के हक में उनकी आवाज उठाई. साथ ही सरकार से पूछा कि क्या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री यह बताते की कृपा करेंगे कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि देशभर में उपयोग किए जा रहा बोतल बंद घातक है. उन्होंने कहा कि बोतल बंद पानी में प्लास्टिक के बारीक कण घुल जाते हैं जो मानव शरीर के लिए घातक साबित हुए हैं.

उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि क्या सरकार को यह पता है? क्या सरकार द्वारा लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए गए हैं? यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं तो इसके कारण क्या हैं?

इसके अलावा, अपने भाषण में किरोड़ीलाल मीणा ने आदिवासियों के दावों को निरस्त किए जाने और उनकी दयनीय स्थिति के बारे में सदन को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों के हित में 2005 में फोरेस्ट राइट एक्ट लाई जो 2006 में लागू हुआ. लेकिन राजस्थान में 36000 आदिवासी परिवार हैं जो अपने दावों को ठीक तरह से प्रस्तुत नहीं कर पाए और जिनके ​दावे निरस्त कर दिए गए. वहीं देशभर में 11 लाख आदिवासियों के दावे निरस्त हुए हैं.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि जो आदिवासी दावे प्रस्तुत नहीं कर सके, उन्हें जंगल से बेदखल कर दिया जाए. हालांकि केंद्र सरकार इस फैसले पर स्टे ले आई. इसके बावजूद राजस्थान के आदिवासी इलाकों में फोरेस्ट अधिकारी जबरन उनके घरों को उजाड़ रहे हैं. इनकी हालत इतनी दयनीय है कि पेट पालन के लिए ये लोग केवल दो हजार रुपये में अपने बच्चों तक को गिरवी रख रहे हैं. इस बात पर गौर किया जाए.

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