कांग्रेस में कलह: जितिन प्रसाद के बचाव में आए सिब्बल, सोनिया के बाद राहुल ने की कपिल-आजाद से बात

पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग पर लिखी चिट्ठी और उस पर राहुल-प्रियंका की नाराजगी नहीं उतर रही कई नेताओं के गले, डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस

Kapil Sibal Congress
Kapil Sibal Congress

Politalks.News/Delhi. कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के बाद कांग्रेस के नेताओं में उहापोह की स्थिति चल रही है. बैठक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वाले 23 नेताओं पर बीजेपी से मिले होने के आरोप लगने के बाद इन सभी नेताओं की नाराजगी अब सावर्जनिक तौर पर दिखाई देने लगी है. इन नेताओं ने इस संबंध में दिए बयानों से यूटर्न तो ले लिया लेकिन अभी तक अपनी कुंठा दबा नहीं पाए हैं. कांग्रेस भी लगातार डैमेज कंट्रोल में जुटी है और इसी के चलते सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने गुलाब नबी आजाद से फोन पर बात कर उन्हें समझाया है कि जैसा वे सोच रहे हैं, वैसा कुछ नहीं है और पार्टी में उनका सम्मान बरकरार है.

इसी कड़ी में यूपी के लखीमपुर खीरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को लेकर भी जमकर बवाल हुआ है. मौजूदा राज्यसभा सदस्य राजबब्बर पर भी कार्यकर्ताओं और नेताओं में रोष है. ये दोनों पत्र लिखने वाले उन 23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने ‘पूर्णकालिक और दूरदर्शी नेतृत्‍व’ की मांग की थी. लखीमपुर खीरी जिला कांग्रेस कमेटी ने जितिन प्रसाद पर न सिर्फ पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया बल्कि उन्‍हें पार्टी से निकालने के लिए आला अधिकारियों को पत्र भी लिखा है.

हैरानी की बात है कि प्रसाद को लेकर बुलाई गई बैठक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिला और नगर अध्यक्ष की मौजूदगी में जमकर मुर्दाबाद के नारे लगाए. इस पर फिर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपनी नाराजगी ट्वीटर पर जाहिर करते हुए लिखा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी में जितिन प्रसाद को आधिकारिक तौर पर निशाना बनाया जा रहा है. कांग्रेस को अपनी ऊर्जा को बर्बाद करने के बजाय सर्जिकल स्ट्राइक के साथ बीजेपी पर निशाना साधने की जरूरत है.

इधर, जिला कांग्रेस कमेटी ने पत्र में लिखा, ‘सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की एकमात्र सर्वमान्‍य नेता हैं. अगर कोई बदलाव होता है तो हमें राहुल गांधी पर भरोसा है, उन्‍हें अध्‍यक्ष बनाया जाए. इसके अलावा सोनिया गांधी की कार्यक्षमता पर उंगली उठाने वालों की कांग्रेस में कोई आस्‍था नहीं है जैसे बात लिखी गयी हैं और नेताओं के बयानों को बीजेपी की नकल करार दिया है. इसके अलावा पत्र में प्रसाद को लेकर कई और बातें लिखी गयी हैं. वहीं जितिन प्रसाद और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व मौजूदा राज्यसभा सदस्य राजबब्बर पर चिट्ठी लिखने के लिए कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने खुला विरोध करने के साथ पत्र लिखकर कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की मांग करने वाले नेताओं पर जमकर निशाना साधा है.

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केवल पूर्णकालीन अध्यक्ष की मांग करने पर वरिष्ठ नेताओं को उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में कुछ नेता लगातार सोशल मीडिया के जरिए ही अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. इनमें पहला नाम है सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का, जो टवीटर पर लगातार अपने मन की बात शेयर कर रहे हैं. बुधवार को भी उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘सिद्धांतों के लिए लड़ते समय… जीवन में, राजनीति में, अदालत में, सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर…विपक्ष तो मिल ही जाता है, लेकिन समर्थन का इंतजाम करना पड़ता है.’ मतलब साफ है कि वे कांग्रेस की ओर इशारा कर रहे हैं.

इससे पहले भी उन्होंने मंगलवार को टवीट करते हुए लिखा था कि यह सब कुछ किसी पद के लिए नहीं है बल्कि देश के लिए है.

दूसरी तरफ राज्‍यसभा के सदस्य और सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद भी CWC में अपने ही सहयोगियों की आलोचना के शिकार बनने की वजह से काफी दुखी हैं. गुलाम नबी को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता है और ये उपेक्षा उन्हें हजम नहीं हो रही. बैठक में जब राहुल गांधी ने गुलाम नबी सहित उक्त 23 नेताओं को लेटर विवाद के चलते बीजेपी से सांठगांठ का आरोप लगाया तो गुलाम नबी ने सीधे कहा था कि अगर आरोप साबित होते हैं तो वे इस्तीफा देने को तैयार हैं. उसके तुरंत बाद पहले सोनिया और बाद में राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद से फोन पर बात करते हुए भरोसा दिलाया कि उनकी चिंताओं पर विचार किया जाएगा.

बुधवार को राहुल गांधी ने भी आजाद से बात की थी. राहुल ने वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्‍बल को भी फोन किया था और दोनों वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के दौरान साफ किया कि उन्‍होंने पत्र लिखने वालों पर बीजेपी से मिले होने का आरोप नहीं लगाया था. सिब्बल, गुलाम नबी, जितिन प्रसाद और राज बब्बर उन 23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग वाली चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए थे. पार्टी के काफी सारे असंतुष्ट नेताओं का ये कहना है कि नेतृत्व बदलाव को लेकर लिखी गई चिट्ठी सोनिया गांधी के खिलाफ नहीं थी, बल्कि पार्टी में सुधार की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष को लिखी गई थी. उनका ये भी कहना है कि चिट्ठी लीक नहीं होना चाहिए था.

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वहीं विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, मल्लिकार्जुन खड़गे और अंबिका सोनी ने इस मामले में अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की मांग की ज‍बकि अधीर रंजन चौधरी ने बैठक में ही कहा कि ‘दूषित इरादे’ वाले लोगों को बोलने नहीं दिया जाए हालांकि सोनिया गांधी ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया. सोनिया गांधी भलीभांति अपने सहयोगियों को समझती हैं और पत्र लिखने की आवश्यकता को भी अच्छी तरह जानती हैं. ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका को भांपते हुए डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. यही वजह है कि बैठक के तुरंत बाद न केवल उन्होंने बल्कि राहुल गांधी को भी गुलाम नबी और कपिल सिब्बल सहित अन्य नेताओं से वार्ता करने को कहा. लेकिन अब नीचे दर्जे पर उक्त 23 नेताओं का विरोध शुरु हो गया है. इसके लिए अब केंद्रीय नेतृत्व धीरे ही सही लेकिन एक्शन में आ रहा है.

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