जगदीप धनखड़ बने बंगाल के अंपायर, ममता बनी विरोधी टीम की कप्तान, छुड़ा रही छक्के

दो तरफा लड़ाई से बंगाल में बन रहे नए चुनावी समीकरण, ओवैसी के आने से रोचक हुई जंग, दोनों के बीच शुरु हुई जुबानी तकरार

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. पश्चिम बंगाल में राजनीति का सियासी मैदान अब क्रिकेट का मैदान बनते दिख रहा है. यहां राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) तो बन गए हैं राज्य के अंपायर और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) बन गई है टीम की कप्तान जो लगातार अपने बल्लेबाज उतारे जा रही है और विपक्षी टीम के छक्के छुड़ा रही है. ये कल्पना हमारी नहीं बल्कि बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ की है और खुद उन्होंने इस बात को अपने लब्जों से पुख्ता किया है. जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर ममता दीदी व उनके मंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘क्रिकेट टीम की तरह एक एक करके जिस तरह राज्य सरकार मेरे खिलाफ बोलने के लिए बल्लेबाज उतार रही है, ऐसे में मैं कह देना चाहता हूं कि मैं गेंदबाज नहीं बल्कि इस राज्य का अंपायर हूं’.

दरअसल, गवर्नर (Jagdeep Dhankar) और बंगाल सीएम ममता बनर्जी के बीच चल रही तनातनी कोई नई नहीं है और दोनों के बीच पिछले कुछ समय से जुबानी जंग पहले से तीखी होती जा रही है. धनकड़ ने ये बयान ममता के उन मंत्रियों की ओर इशारा करते हुए दिया जो आए दिन उनके खिलाफ सिर्फ इसलिए टिप्पणी करते रहते हैं ताकि वे अपनी बॉस को खुश कर सकें. इस पर धनखड़ ने उन्हें नसीयत देते हुए कहा कि बयानों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय अपने विभागों पर ध्यान दें.

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इससे पहले बुधवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को मुर्शिदाबाद जिले की यात्रा के दौरान डोमकल क्षेत्र में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए और ‘वापस जाओ के नारे लगाए. राज्यपाल डोमकल गर्ल्स कॉलेज की एक नव निर्मित इमारत का उद्घाटन करने के लिए जा रहे थे. अपनी यात्रा के लिए उन्होंने राज्य सरकार से हेलीकॉप्टर मांगा लेकिन इसकी इस मांग का ममता बनर्जी ने कोई जवाब नहीं दिया.

इस घटना के बाद राज्यपाल जगदीन धनकड़ (Jagdeep Dhankar) ने यह आरोप लगाया कि राज्य में चांसलर के तौर पर उन्होंने यह अनुभव किया है कि यहां पर वाइस चांसलर की आवाज दबाई जा रही है. उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए ये भी कहा कि सरकार को मेरे खिलाफ बयानबाजी करने के लिए एक विशेष मंत्री नियुक्त कर देना चाहिए. वहीं ममता बनर्जी किसी भी तरह से भाजपा से हो रही लड़ाई में पीछे नहीं हट रही. बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में तीसरी बार सत्ता हथियाने की तैयारी में हैं. इससे पहले उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को करार जवाब देते हुए कहा कि वे किसी भी हाल में बंगाल में एनआरसी (NRC) लागू नहीं होने देंगी. अमित शाह ने राज्यसभा में सदन को संबोधित करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार देशभर में एनआरसी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.

इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटें मिलने के बाद ममता बनर्जी के तेवर केंद्र सरकार के लिए पहले से भी तीखे और कटू हो चले हैं. उनके निशाने पर अमित शाह और जगदीप धनखड़ रहते हैं. लेकिन धीरे धीरे उनके निशाने पर आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहसद मुसलमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भी आ गए हैं. हाल में कार्यकर्ताओं की एक बैठक में ममता ने निशाना साधते हुए ओवैसी को भाजपा की टीम बी और अल्पसंख्यक अतिवादी बताया. ममता ने ओवैसी का नाम लिया बिना कहा कि मैं देख रही हूं कि अल्पसंख्यकों के बीच कई अतिवादी हैं इनका ठिकाना हैदराबाद में है. ये लोग भाजपा की बी टीम हैं जो रैलियां करते हैं, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का दावा करते हैं लेकिन रुपये लेकर भाजपा के लिए काम करते हैं.

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इस पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने ममता को जवाब दिया कि दीदी डर गई हैं. उनका बयान यह संदेश दे रहा है कि ओवैसी की पार्टी बंगाल में एक जबरदस्त ताकत बन गई है. दीदी की जुबान पर मेरा नाम आया, इसके लिए मैं थैंक्यू कहना चाहूंगा. ओवैसी ने कहा कि बंगाल के मुसलमानों का मानव विकास सूचकांक सबसे खराब हालत में हैं. ममता दीदी को समझना होगा कि मुसलमान अब बदल चुके हैं.

ओवैसी ने अपने आपको भाजपा की टीम बी बताने पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि दीदी ये बताए लोकसभा में भाजपा ने कैसे 42 में से 18 सीटें जीत ली. जबकि देशभर में हमारी पार्टी केवल 3 सीटों पर चुनाव लड़ी. आखिर भाजपा 303 सीट कैसे जीत गई? हमें भाजपा की टीम बी कहना गलत है क्यों हम तो टीम ए बन गए हैं.

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