बसपा (BSP) के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस (Congress) में विलय के बाद राजस्थान (Rajasthan) में एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है. बुधवार को पूरे दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (Rajasthan Congress) और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के निवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं व विधायकों कि हलचल देखी गई. पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, विधायक और कार्यकर्ता पायलट से मिलने उनके निवास पहुंचे, जहां कई नेताओं के साथ तो पायलट की काफी लंबी मंत्रणा चली.

पायलट के निवास पहुंचने वालों में वरिष्ठ नेता रघुवीर मीना, मांगीलाल गरसिया, डाॅ. चयनिका उनियाल, भगवाना राम, रिछपाल मिर्धा, करण सिंह राठौड, गोपाल सिंह शेखावत, नागराज मीना, नाना लाल नीनामा, भानुप्रताप सिंह, चुन्नीलाल राजपुरोहित, विधायक संयम लोढा, वीरेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह शक्तावत, महेंद्र मालवीय, दीपेंद्र सिंह शेखावत, गणेश घोगरा, रामलाल मीना, गोविंद राम मेंघवाल, पं. भॅवर लाल शर्मा, इंद्र राज गुर्जर, वेद प्रकाश सोलंकी सहित कई अन्य नेता और कार्यकर्ता शामिल थे.

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माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के स्तर पर बिना किसी प्रलोभन और लालच के स्वेच्छा से बसपा छोड़ कांग्रेस में आये सभी विधायकों को सम्मान स्वरूप ईनाम देने की तैयारियां जोरों पर है. इसके लिए आने वाले दिनों में प्रदेश में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियों के साथ ही मन्त्रिमण्डल विस्तार-फेरबदल देखने को मिलेगा. ऐसे में वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं. उनका डर ये है कि बसपा से आये विधायकों को एडजस्ट करने में उनका नम्बर कट सकता है दूसरी और उनके कैम्प को भी देखा जायेगा, मतलब की अमुख नेता-विधायक गहलोत कैम्प से आता है या पायलट कैम्प से.

गौरतलब है कि राजस्थान में जब एक व्यक्ति एक पद की मांग ने जोर नहीं पकड़ा और सोनिया गांधी ने भी संगठन में किसी तरह के बदलाव की सहमति नहीं दी तो पायलट का उत्साह बढ़ गया था. लेकिन इसके एक हफ्ते बाद ही गहलोत ने राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने की जादूगरी दिखा पार्टी में अपना रुतबा बढ़ा लिया है. इस कारण पायलट कैम्प के नेता-विधायकों को चिंता सताने लगी है, की पालयट और गहलोत की आपसी खींचतान का खामियाजा उन्हें नहीं उठाना पड़ जाये.

वहीं राजनीतिक नियुक्तियों के संदर्भ में सचिन पायलट ने साफ तौर पर कहा है कि खून-पसीना बहाकर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार लाने वाले कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान मिलना चाहिए. राजनीतिक नियुक्तियों में पार्टी के सच्चे और मेहनती कार्यकर्ताओं को ही आगे लाया जाएगा. पार्टी की अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) भी कह चुकी हैं कि सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल होना चाहिए. इसका मतलब यह भी निकलता है कि कांग्रेस सरकार में पार्टी बदलने वाले बसपा विधायकों (BSP MLAs) को राजनीतिक नियुक्तियों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

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