कोटा मामले में फिर बोले गहलोत- कुछ लोगों ने की राजनीति चमकाने की कोशिश, मृतक बच्चों के परिजनों से मिलने का नहीं था कोई तुक

गहलोत ने बिना नाम लिए सचिन पायलट और विपक्ष पर साधा निशाना, पिछले शनिवार को पायलट ने कोटा का किया था दौरा, की थी मृतक बच्चों के परिजनों से मुलाकात

सीएम गहलोत
सीएम गहलोत

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में राजनीतिक बयानबाजी का दौर थम नहीं रहा है. शनिवार को पीसीसी पहुंचे मुख्यमंत्री गहलोत ने एक बार फिर बिना नाम लिए उपमुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ सचिन पायलट और विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों ने इस पूरे मामले में अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की. कुछ स्थानीय नेताओं ने गैर वाजिब तरीके से इस मुद्दे को उठाया. नवजात मृतक बच्चों के घर जाने की भी नहीं है कोई परिपाटी. उनके घर जाने का भी कोई तुक नहीं होता है.

गौरतलब है कि पिछले शनिवार पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने कोटा अस्पताल का दौरा कर मृतक बच्चों के परिजनों से उनके घर जाकर मुलाकात की थी और उन्हें ढांढस बंधाया था. इस दौरान पायलट ने इस मामले में अपनी ही सरकार के काम को असंतोषजनक बताते हुए जवाबदेही तय करने की बात भी कही थी. सचिन पायलट के अलावा बीजेपी नेता और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला सहित कुछ अन्य नेताओं ने भी कोटा अस्पताल का दौरा कर परिजनों से मुलाकात की थी.

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शनिवार को पीसीसी में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद के बाद सीएम गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में कोटा मामले का जिक्र करते हुए कहा कि कोटा में जबसे एनआईसीयू बना है नवजात बच्चों की मौतें लगातार कम हो रही हैं. बीजेपी के 5 साल के कार्यकाल में भी मौतें कम हुई थीं और इस साल भी वहां मौते कम हुई हैं. बलिक पूरे प्रदेश में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी हुई है इसकी प्रशंसा होनी चाहिए थी. लेकिन शिशु मृत्यु दर को लेकर जो मीडिया ट्रायल हुआ यह कुछ नेताओं का षडयंत्र था. कुछ नेताओं द्वारा जानबूझकर इस तरह का माहौल बनाया गया कि बच्चे मर रहे हैं. जबकि शिशु मृत्यु दर लगातार कम होती जा रही है, इसकी प्रशंसा की जानी चाहिए थी.

सीएम गहलोत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ स्थानीय नेताओं ने प्रशंसा करने के बजाय अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस मुददे को तूल दिया क्योंकि उन्हें मालूम है कि हम लोग मोदी जी और अमित शाह जी के लिए बोलते रहते है. इस मामले पर किसी को जोधपुर, तो किसी को कोटा व जयपुर से खडा कर दिया क्योंकि उनका काम यही है कि सरकार के खिलाफ कोई ना कोई मुददा बनाओ और मीडिया को गुमराह करो. इसलिए इस केस में बहुत लंबा मीडिया ट्रायल चला और देश में राजस्थान की बदनामी हुई जो कि अच्छा संकेत नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए था हां अगर गलती कहीं हुई है तो मीडिया का कर्तव्य बनता है कि गलतियों को उजागर करे. सरकार का कर्तव्य बनता है कि जो गलतियां हुई है उनको स्वीकार करते हुए उस पर कार्यवाही करे.

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सीएम गहलोत ने आगे इस मामले पर कहा कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर कम होती जा रही है फिर भी नवजात बच्चों की मौत को मुद्दा बनाया गया. कोई भी नवजात बच्चा मरता है तो उसकी मां जिसकी कोख से बच्चा जन्मा है उसे और उसके पति को सबसे ज्यादा दुख होता है. बच्चों की मौत के लिए बैठने जाने का कोई तुक नहीं होता है. हम उनके घरों में बैठने जाएं यह कभी नहीं होता है. मैंने कभी आज तक सुना नहीं की नवजात बच्चे के मरने पर कोई बैठने जाता है. क्योंकि नवजात बच्चों की मौत पर बैठने जाने का कोई तुक नहीं होता है. इस पूरे मामले पर जो राजनीति हुई वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

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