विजय माल्या के मामले में पहल करे सरकार तो काफी हद तक सुधर सकती है देश की आर्थिक स्थिति

भगोड़े माल्या ने दिया भारत की अर्थव्यस्था को सुधारने का एक अवसर, सरकार करें अग्रिम पहल तो देश में आ सकता है दो लाख करोड़ से अधिक रुपया, आर्थिक सलाहकारों की भी यही राय

विजय माल्या
विजय माल्या

पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना वैश्विक महामारी के चलते देश दुनिया अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान हैं. हर देश अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपने देश के लोगों और देश की अर्थव्यवस्थता को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में भारत की आर्थिक स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है. हाल में बिगड़ती जा रही स्थितियों को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. माना जा रहा है कि कोरोना संकट और 54 दिन के लॉकडाउन के बाद देश की आर्थिक स्थिति राहत पैकेज के बावजूद दो साल में भी सुधर नहीं पाएगी लेकिन अगर सरकार विजय माल्या के मामले में अग्रिम पहल करे तो देश की आर्थिक स्थिति काफी हद तक सुधर सकती है. हालांकि माल्या पर देश के नाम 11 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है लेकिन इस अग्रिम कदम उठाने से देश के खाते में दो लाख करोड़ से अधिक पैसा आ सकता है.

अब कई लोग कहेंगे जब कर्ज 11 हजार करोड़ का है तो लाखों करोड़ कैसे आएंगे? इसका भी जवाब हम दिए देते हैं. दरअसल, भारत से करीब 11 हजार करोड़ का कर्जा लेकर विदेश भागे किंगफिशर कंपनी के मालिक और शराब कारोबारी विजय माल्या ने गुरुवार को भारत सरकार से बकाया चुकाने और चल रहे सभी आरोप वापिस लेने का अनुरोध किया है. हुआ कुछ यूं कि भगोड़े विजय माल्या को झटका देते हुए इंग्लैंड के हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है.

यह भी पढ़ें: मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज की दूसरी किश्त में ‘वन नेशन वन राशनकार्ड’, जानें वित्तमंत्री के बड़े ऐलान

माल्या ने धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों में प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका लगाई थी लेकिन हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने की याचिका को खारिज कर दिया. इस फैसले के बाद बचने के माल्या के सारे कानूनी रास्ते बंद हो चुके हैं. अब उसे 28 दिनों के अंदर भारत प्रत्यर्पित किया जाना है. हालांकि अगर माल्या यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) में जाता है तो प्रत्यर्पण लटक सकता है.

इसके बाद विजय माल्या ने ट्वीट करते हुए कहा कि वह स्टेट बैंक का सारा पैसा वापस लौटाना चाहता है. माल्या ने बिना किसी शर्त सारा पैसा लौटाने और केस वापिस लेने का अनुरोध किया है. माल्या ने ये भी कहा कि सरकार कर्ज का जितना पैसा छापना चाहें छाप सकती है लेकिन उन जैसे एक छोटे सहयोगकर्ता को इग्नोर करना चाहिए. सरकार से माल्या ने उन्हें माफ करने और केस वापिस लेने की अपील की.

अब अगर सरकार इस मामले में अग्रिम कदम बढ़ाए और विजय माल्या के अनुरोध पर गौर फरमाये तो सरकार के खातों में करीब 11 हजार करोड़ रुपये आ जाएंगे जो अब तक डूबत खातों में चल रहे हैं. इसी क्रम में हाल में रिजर्व बैंक ने 50 ऐसे कर्जदारों की सूची जारी की है जिन पर खरबों रुपये का कर्ज है और या तो वे सभी विदेशों में भाग गए हैं या फिर दिवालिया होने की तैयारी कर रहे हैं. इस सभी देनदारी को 12 सहयोगी बैंकों ने बट्टे खाते में डाल दिया है, यानि डूबत खाता मान लिया है.

यह भी पढ़ें: ‘आत्मनिर्भरता चुनौतीपूर्ण संकल्प’ 1 लाख करोड़ का योगदान देकर जिम्मेदारी लेने को तैयार बाबा रामदेव

इसी प्रकार, देश में करीब 500 कंपनियां ऐसी हैं जो किसी न किसी प्रकार से बैंकों की कर्जदार हैं. इनमें कई उद्योगपति ऐसे हैं जो या तो देश के बाहर भाग गए हैं या फिर देश में रहते हुए खुद को दिवालिया घोषित किया कर लिया है. आरबीआई के एक आकलन के अनुसार ये कंपनियां भारत की बैंकों की 8 लाख करोड़ रुपए की कर्जदार हैं इनमें नीरव मोदी, ललित मोदी, जतिन मेहता और भूषण स्टील जैसे बड़े उद्योगपति शामिल हैं. अगर ये 8 लाख करोड़ रुपया भारत के पास वापिस आता है तो देश की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होगी.

आर्थिक मामलों के कुछ जानकारों ने भी बताया कि विजय माल्या के केस में पहल सरकार के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. अगर सरकार पैसा लेकर कुछ शर्तों के साथ माल्या पर लगे केस वापिस ले लेती है तो अन्य डिफॉल्टर उद्योगपतियों के मन में भी ऐसा करने का ख्याल आ जाए, ऐसी उम्मीद की जा सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार कर्जा पूरा लौटाने के साथ-साथ अगर यह डिफॉल्टर उद्योगपति अपने यहां पूर्व में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन संबंधी मामलों का निपटारा कर दें तो उन्हें भारत में वापस लाना और उन पर चल रहे केस खत्म करने काफी हद तक आसान हो जाएगा. अगर कुछ कम पड़ता है तो सरकार ने जो संपत्तियों की कुर्की की है, उससे भी शेष क्षतिपूर्ति की जा सकती है.

यह भी पढ़ें: मोदी सरकार ने बदली उद्योगों की परिभाषा, साथ ही जानें 20 लाख करोड़ के पैकेज में किसे क्या मिला?

हालांकि अभी तक केवल विजय माल्या ने ही पूरा बकाया पैसा लौटाकर तमाम केस खत्म करने की मांग भारत सरकार के समक्ष रखी है. लेकिन अगर शेष अन्य डिफॉल्टर भी इस तरह की पेशकश भारत सरकार के सामने करें और सरकार कुछ अन्य शर्तें रखकर इसे मान लेती है तो भारत फिर से काफी समृद्ध शाली देशों की श्रेणी में आ सकता है. ऐसा होने से भारत में 8 लाख करोड रुपए वापस आ सकते हैं. ये पैसा देश के विकास और भारत में स्वदेशी को बढ़ावा देने में लगाकर भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा हो सकता है. ऐसे में माल्या के केस में पहल भारत सरकार के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

नवंबर, 2019 में एक समाचार पत्र में प्रकाशित भारत के कुछ बड़े डिफॉल्टर बिजनेसमैन में से कुछ के नाम इस प्रकार हैं:-
1. गीतांजलि जेम्स लिमिटेड – 5044 cr.
2. आरईआई एग्रो लिमिटेड – 4197 cr.
3. विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लिमिटेड – 3386 cr.
4. रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 3225 cr.
5. रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड – 2844 cr.
6. किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड – 2488 cr.
7. कुडोस कैमि लिमिडेट – 2326 cr.
8. जूम डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड – 2024 cr.
9. डेक्कन क्रोनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड – 1951 cr.
10. एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड – 1875 cr.
11. फॉरएवर प्रीसियस ज्वैलरी एंड डायमंडस प्राइवेट लिमिटेड – 1718 cr.
12. सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 1628 cr.
13. एस कुमार्स नेशनवाइड लिमिटेड – 1581 cr.
14. गिली इंडिया लिमिटेड – 1447 cr.
15. सिद्दी विनायक लॉजिस्टिक लिमिटेड – 1349 cr.
16. वीएमसी सिस्टम्स लिमिटेड – 1314 cr.
17. गुप्ता कोल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड – 1349 cr.
18. नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड – 1314 cr.
19. इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड – 1091 cr.
20. श्री गणेश ज्वैलरी हाउस लिमिटेड – 1085 cr.
21. जैन इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटे़ – 1076 cr.
22. सूर्या फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड – 1065 cr.
23. नाकोडा लिमिटेड – 1028 cr.
24. केएस ऑयल्स लिमिटेड – 1026 cr.
25. कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड – 984 cr.
26. हानूग टॉयस एंड टैक्सटाइल्स लिमिटेड – 949 cr.
27. फर्स्ट लीजिंग कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड – 929 cr.
28. कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड – 888 cr.
29. एक्शन इस्पात एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड – 888 cr.
30. डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर – 869 cr.

इसी तरह आरबीआई की ओर से जारी टॉप डिफॉल्टर्स की लिस्ट के अनुसार, भारत के 12 उद्योगपति ऐसे हैं जिन्होंने बैंक के दो लाख करोड़ रुपए दबा रखे हैं. यह सारा पैसा बट्टे खाते नाम डाला जाना है. आरबीआई की सूची के अनुसार, 500 डिफाल्टर कंपनियां बैंकों की करीब 8 लाख करोड़ की कर्जदार हैं.

यह भी पढ़ें: दो माह की तपस्या न जाए बेकार, राज्य से लेकर वार्ड स्तर तक क्वारंटाइन प्रबंधन समितियों का हुआ गठन

आर्थिक मामलों के जानकारों की माने तो विजय माल्या का सौदा भारत सरकार के लिए घाटे का नहीं होगा, साथ ही भारत का विदेशों में गया करोड़ों रुपया भी वापस आ जाएगा. आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरीके से भारत के पास एक उम्मीद तो है लेकिन इसके अलावा प्लान बी शायद सरकार के पास तो नहीं है. ऐसे में देश के लिए ये घाटे का सौदा नहीं है.

आर्थिक सलाहकारों का ये भी कहना है कि अगर लंबे समय तक कानूनी तरीके से सरकार उक्त सभी 12 के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ता रहेगा तो सालों साल भी सरकार के हाथ कुछ नहीं आएगा. ऐसे में समझदारी कहती है कि सरकार को भागते भूत की लंगोटी ही मिले तो खींच लेनी चाहिए. वैसे भी कोरोना से आए देश की अर्थव्यस्था को हिलाकर रख देने वाले संकट के बीच अगर कुछ रियायतें देकर अगर सरकार के खाते में 5 लाख करोड़ रुपया भी आता है तो देश की इकोनॉमी रफ्तार पर न सही लेकिन पटरी पर धीरे धीरे स्पीड पकड़ने लायक स्थिति में तो आ ही जाएगी.

Leave a Reply