‘मैं भाजपा में तब शामिल होऊंगा, जब हमारे पास कश्मीर में काली बर्फ पड़ेगी’- गुलाम नबी आजाद

आजाद ने सुनाया किस्सा जब सदन में अटल बिहारी वाजपेयी ने मांगी थी माफी, कहा- अब न तो उनकी सांसद या मंत्री बनने की इच्छा है और न ही पार्टी में कोई पद लेना चाहते हैं, वह एक राजनेता के तौर पर अपने काम से संतुष्ट हैं और जब तक जिंदा रहेंगे, जनता की सेवा करते रहेंगे

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Politalks.News/GulamNabiAzad. कांग्रेस के दिग्गज नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के बीजेपी में जाने की अटकलों को खुद गुलाम नबी ने सिरे से खारिज कर दिया है. बीते मंगलवार राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी के गुलाम नबी को लेकर दिए भावुक भाषण के बाद सियासी गलियारों में आजाद के बीजेपी में जाने की खबरों ने जोर पकड़ लिया था. इसको लेकर एक मीडिया विशेष (हिंदुस्तान) को दिए इंटरव्यू में गुलाम नबी आजाद ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘मैं भाजपा में तब शामिल होऊंगा, जब हमारे पास कश्मीर में काली बर्फ पड़ेगी.’ वहीं इसके एक दिन पहले एक मीडिया एजेंसी से बातचीत में गुलाम नबी ने कहा था कि अब न तो उनकी सांसद या मंत्री बनने की इच्छा है और न ही अब वह पार्टी में कोई पद लेना चाहते हैं. आजाद ने कहा कि वह एक राजनेता के तौर पर अपने काम से संतुष्ट हैं और जब तक जिंदा रहेंगे, जनता की सेवा करते रहेंगे.

बता दें, कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से सदस्यता सोमवार को समाप्त हो रही है. इससे पहले आजाद ने शुक्रवार को हुई राज्यसभा की कार्यवाही में भाग भी लिया. हालांकि, राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को आगामी 8 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है. कांग्रेस के तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके गुलाम नबी आजाद ने संसद में चार दशक से भी अधिक लंबे समय का राजनीतिक सफर पूरा किया है. वहीं बीते दिनों राज्यसभा में जिस तरह के घटनाक्रम देखने को मिले, उससे ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि कांग्रेस में हाशिए पर चल रहे गुलाम नबी अब कांग्रेस से आजाद होकर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.

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राजमाता सिंधिया इन्हें नहीं जानती, मैं जानता हूं- अटल बिहारी वाजपेयी

इंटरव्यू के दौरान भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों के सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं भाजपा में तब शामिल होऊंगा, जब हमारे पास कश्मीर में काली बर्फ पड़ेगी, और भाजपा ही क्यों, उस दिन मैं किसी भी अन्य पार्टी में शामिल हो जाऊंगा. जो लोग यह कहते हैं या इन अफवाहों को फैलाते हैं, वे मुझे नहीं जानते. जब राजमाता विजयाराजे सिंधिया विपक्ष की उपनेता थीं, तो उन्होंने खड़े होकर मेरे बारे में कुछ आरोप लगाए. इस पर मैं उठा और मैंने कहा कि मैं आरोप को बहुत गंभीरता से लेता हूं और सरकार की ओर से मैं एक समिति का सुझाव देना चाहूंगा, जिसकी अध्यक्षता अटल बिहारी वाजपेयी करेंगे, और उसमें राजमाता सिंधिया और लालकृष्ण आडवाणी सदस्य होंगे. मैंने कहा कि उन्हें 15 दिनों में रिपोर्ट पूरी करनी चाहिए और वे जो भी सजा का सुझाव देंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा. अपना नाम सुनते ही अटल बिहारी वाजपेयी जी मेरे पास आए और पूछा कि ऐसा क्यों. जब मैंने उनसे कहा तो अटल जी ने खड़े होकर कहा- मैं सदन और गुलाम नबी आजाद से क्षमा मांगना चाहता हूं, शायद राजमाता सिंधिया इन्हें (आजाद) नहीं जानती, लेकिन मैं जानता हूं.

वहीं जब गुलाम नबी आजाद से पूछा गया कि आपकी अपनी पार्टी के लोगों ने आपका कार्यकाल समाप्त होने पर क्या कहा? इस पर आजाद ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने एक लंबा पत्र लिखा और मेरे काम की सराहना की. उन्होंने यह भी कहा कि हमें संगठन को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना होगा और उसके बाद मैं उनसे मिला. उन्होंने कहा कि हमें चुनाव की तैयारी करनी होगी.

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इसके बाद गुलाम नबी आजाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों के बारे में पूछा गया तो आजाद ने बताया कि, “हम एक-दूसरे को 90 के दशक से जानते हैं. हम दोनों महासचिव थे और हम विभिन्न विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाली टीवी बहसों में आते थे. हम बहसों में भी वैचारिक तौर पर लड़ते थे. लेकिन, अगर हम जल्दी पहुंचते तो हम एक कप चाय भी साथ में पीते थे और बातें किया करते थे. बाद में हम एक-दूसरे को मुख्यमंत्रियों की बैठक, प्रधानमंत्री की बैठकों, गृह मंत्री की बैठकों से और ज्यादा जानने लगे. तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और मैं स्वास्थ्य मंत्री था और हम हर 10-15 दिन में अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत किया करते थे.”

राज्यसभा में आप और पीएम क्यों रोए?
हम दोनों इसलिए नहीं रो रहे थे क्योंकि हम एक दूसरे को जानते नहीं थे, बल्कि इसका कारण यह था कि 2006 में एक गुजराती पर्यटक बस पर कश्मीर में हमला किया गया था और मैं उनसे बात करते हुए भावुक हो गया था और रोने लगा था. प्रधानमंत्री कह रहे थे कि यहां एक शख्स रिटायर हो रहा है, जो एक अच्छा इंसान भी है. वह कहानी को पूरा नहीं कर सके क्योंकि वह भावुक हो गए और जब मैं कहानी को पूरा करना चाहता था, तो मैं भी नहीं कर सका क्योंकि मुझे लगा कि मैं 14 साल पहले उस पल में वापस आ गया था, जब हमला हुआ था.

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अब सांसद, मंत्री या कोई पद लेने की नहीं है इच्छा

आपको बता दें, इससे पहले बुधवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि लोग अब उन्हें कई जगहों पर देख पाएंगे, क्योंकि वह अब फ्री हो चुके हैं. आजाद ने यह भी कहा कि अब न तो उनकी सांसद या मंत्री बनने की इच्छा है और न ही अब वह पार्टी में कोई पद लेना चाहते हैं. गुलाम नबी ने कहा कि वह एक राजनेता के तौर पर अपने काम से संतुष्ट हैं और जब तक जिंदा रहेंगे, जनता की सेवा करते रहेंगे.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘मैं 1975 में जम्मू-कश्मीर यूथ कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष था. मैंने पार्टी में कई पदों पर काम किया है. मैंने कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे देश के लिए काम करने का मौका मिला. मैं खुश हूं कि मैंने ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. मुझे देश और दुनिया को जानने और समझने का अवसर मिला.’

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आजाद ने आगे कहा, ‘मैं एक राजनेता के तौर पर अपने काम से पूरी तरह संतुष्ट हूं. मुझे लगता है कि जब तक मैं जिंदा रहूंगा, जनता की सेवा करता रहूंगा.’ जब उनसे संसद में मिले प्रशंसा और बधाईयों को लेकर पूछा गया तो आजाद ने कहा, ‘हम कुछ लोगों को गहराई से समझते हैं तो कुछ को सतही तौर पर. जो मुझे गहराई से समझते हैं, उन्होंने सालों तक मेरा काम देखा है और इसलिए भावुक हो गए. मैं उन सबका आभारी हूं. मैं उन लोगों को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होंने मुझे मैसेज किया, कॉल किया और मेरे लिए ट्वीट किया.

राज्यसभा में विदाई भाषण के दौरान मिली प्रशंसा को लेकर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और विभिन्न दलों के सहयोगियों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरी अपनी प्रशंसा की और जिनके साथ मुझे काम करने का अवसर मिला. मैं उनकी कामनाओं के लिए सभी का शुक्रगुजार हूं. अपने आगे की राह को लेकर उन्होंने बताया कि अब आप मुझे कई जगहों पर देख सकते हैं. मैं अब फ्री हो गया हूं. सांसद, मंत्री बनने की अब मेरी कोई इच्छा नहीं है. मैंने काफी काम कर लिया है.

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